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मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday, 30 June 2012

पद्य - ८३ - मधुश्रावणी गीत - ‍२


मधुश्रावणी गीत - ‍२



चलै गे बहिना !   फुलडाली लय  फूल  तोड़य  लए ।
  अड़हूल तोड़य लए ।
  सखी अड़हूल तोड़य लए ।।
बिसहरि - गौड़ - महादेव पूजब,
माँगब     सिनुरक    लाली ।


चलै गे बहिना !   फुलडाली  लय   फूल   तोड़य   लए ।
  अड़हूल तोड़य लए ।
  सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।


भाँति – भाँति केर फूल फुलायल,
लुबुधल   भरि - भरि   डारि ।
बेला  –  बेली,  जाही  –  जूही,
गेना  -  गुलाब    -  नेवारि ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली  लय   फूल   तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।


बेलपात  आ   फूल   सखी  हे,
तोड़ब    भरि – भरि   डाली ।*
बिसहरि - गौड़ - महादेव पूजब,
माँगब      सिनुरक    लाली ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली   लय   फूल  तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।


आदिकाल  सञो    यज्ञभूमि,
मिथिला केर अछि ई तिहार ।
छी मिथिला केर बेटी,  तेँ  ई
जन्मसिद्ध        अधिकार ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली  लय   फूल  तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।




* डाली = मैथिलीक “बाँसक कमचीक बनल वस्तुविशेष”, नञि कि हिन्दीक “गाछक शाखा”


उच्चारण संकेत :-


                     अंग्रेजी आदिक पोथी सभ मे “आन भाषा – भाषी”क लेल वा “नवसिखिया” सभक लेल कोष्ठ मे “उच्चारण संकेत” (Pronunciations / Phœnetic symbols) देल रहैत छै । मैथिली मे ई परिपाटी नहि, तथापि हमरा लगैत अछि जे देबाक चाही, तेँ एहि बेर सञो शुरू कए रहल छी ।

                मैथिली मे बहुधा “साहित्यिक शब्द लेखन” ओ “शब्दोच्चारण”क बीच थोड़ेक अन्तर देखल जाइछ, जकरा “आन भाषा – भाषी मैथिली शिक्षणार्थी” लोकनि वा “नवसिखिया” लोकनि ठीक सँ नञि बूझि पबैत छथि आ “हिन्दी व्याकरण” केर आधार पर उच्चारण करैत छथि ।


                  बहुत बेर “मैथिल” लोकनि “सर्व – साधारण गप्प – शप” मे तँ सही उच्चारण करैत छथि परञ्च जञो “लिखित मैथिली” केँ पढ़ि कऽ उच्चारण करबाक हो तँ ओ “हिन्दी” व्याकरणक आधार पर उच्चारण करैत पाओल जाइत छथि ।



                 एहि सभ कारण सँ कए बेर लिखल कविता वा गीत वा गजल सभक उच्चारण, लय, ताल, मात्रा आदि बदलि जाइत अछि । ओना तँ एहि बदलाव सभ केँ रोकब पुर्णतः सम्भव नञि आ पाठक ओ गायक लोकनिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता सेहो । पर कएक बेर ई बदलाव एहि स्वरूपक होइछ जे अभिप्रेत लय, ताल पुर्णतया बदलि जाइत अछि । नचारी, डिस्को भऽ जाइत अछि आ सुगम संगीत पॉप या रैप ।



                 तेँ उपरोक्त कारण सभक द्वारेँ, हम अप्पन रचना मे प्रयुक्त किछु शब्द सभक उच्चारण संकेत एहि बेर सँ देअब शुरू कएल अछि ।



क्रम संख्या


लिखित शब्द


अभिप्रेत उच्चारण

भरि
भइर, भैर
डारि
डाइर, डाइढ़
नेवारि
नेवाइर
अड़हूल
अड़हूल, अढ़ूल
भाँति
भाँइत,भाँति
बिसहरि
बिसहैर
आदिकाल
आदिकाल, आइदकाल
अधिकार
अधिकार, अइधकार, ऐधकार
केर
(सम्बन्ध कारक विभक्ति)
केर (।।, एकमात्रक दू आखर/अक्षर),
के (ऽ, द्विमात्रिक एक आखर/अक्षर )
१०
केँ
(कर्म ओ सम्प्रदान कारक विभ॰)
केँ (ऽ, द्विमात्रिक), 
के (ऽ, द्विमात्रिक)
११
के
(प्रश्नवाचक सर्वनाम वा प्रश्नवाचक सार्वनामिक सम्बोधन)
के
(एक-, द्वि- या त्रिमात्रिक)
१२
अछि
अछि, अइछ, ऐछ, अइ
१३
छन्हि
छन्हि, छैन्ह, छैन
१४
छथि
छथि, छैथ


डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”                                

विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ५५,  अंक ‍१०९ , ‍०१ जुलाई २०१२ मे “स्तम्भ ३॰२” मे प्रकाशित ।



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