मधुश्रावणी गीत - २
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चलै गे बहिना !   फुलडाली लय  फूल  तोड़य  लए । 
  अड़हूल तोड़य लए । 
  सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।। | 
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बिसहरि - गौड़ -
महादेव पूजब, 
माँगब     सिनुरक  
 लाली । | 
चलै गे बहिना ! फुलडाली लय फूल तोड़य लए ।
  अड़हूल तोड़य लए ।
  सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।
भाँति – भाँति केर
फूल फुलायल,
लुबुधल   भरि - भरि   डारि ।
बेला  –  बेली,
 जाही  –  जूही,
गेना  -  गुलाब    -  नेवारि ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली  लय   फूल   तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।
बेलपात  आ   फूल   सखी  हे,
तोड़ब    भरि – भरि  
डाली ।*
बिसहरि - गौड़ -
महादेव पूजब,
माँगब      सिनुरक  
 लाली ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली   लय   फूल  तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।
आदिकाल  सञो   
यज्ञभूमि,
मिथिला केर अछि ई
तिहार ।
छी मिथिला केर
बेटी,  तेँ  ई
जन्मसिद्ध        अधिकार ।
चलै गे  बहिना !   फुलडाली  लय   फूल  तोड़य   लए ।
   अड़हूल तोड़य लए ।
   सखी ! अड़हूल तोड़य लए ।।
* डाली = मैथिलीक “बाँसक कमचीक बनल वस्तुविशेष”,
नञि कि हिन्दीक “गाछक शाखा”
 
उच्चारण संकेत :-
                     अंग्रेजी आदिक पोथी सभ मे “आन
भाषा – भाषी”क लेल वा “नवसिखिया” सभक लेल कोष्ठ मे “उच्चारण संकेत” (Pronunciations
/ Phœnetic symbols) देल रहैत छै । मैथिली मे
ई परिपाटी नहि, तथापि हमरा लगैत अछि जे देबाक चाही, तेँ एहि बेर सञो शुरू कए रहल
छी ।
                मैथिली मे बहुधा “साहित्यिक
शब्द लेखन” ओ “शब्दोच्चारण”क बीच थोड़ेक अन्तर देखल जाइछ, जकरा “आन भाषा – भाषी मैथिली
शिक्षणार्थी” लोकनि वा “नवसिखिया” लोकनि ठीक सँ नञि बूझि पबैत छथि आ “हिन्दी
व्याकरण” केर आधार पर उच्चारण करैत छथि ।
                  बहुत बेर “मैथिल” लोकनि “सर्व
– साधारण गप्प – शप” मे तँ सही उच्चारण करैत छथि परञ्च जञो “लिखित मैथिली” केँ
पढ़ि कऽ उच्चारण करबाक हो तँ ओ “हिन्दी” व्याकरणक आधार पर उच्चारण करैत पाओल जाइत
छथि ।
                 एहि सभ कारण सँ कए बेर लिखल
कविता वा गीत वा गजल सभक उच्चारण, लय, ताल, मात्रा आदि बदलि जाइत अछि । ओना तँ एहि
बदलाव सभ केँ रोकब पुर्णतः सम्भव नञि आ पाठक ओ गायक लोकनिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता
सेहो । पर कएक बेर ई बदलाव एहि स्वरूपक होइछ जे अभिप्रेत लय, ताल पुर्णतया बदलि
जाइत अछि । नचारी, डिस्को भऽ जाइत अछि आ सुगम संगीत पॉप या रैप ।
                 तेँ उपरोक्त कारण सभक
द्वारेँ, हम अप्पन रचना मे प्रयुक्त किछु शब्द सभक उच्चारण संकेत एहि बेर सँ देअब
शुरू कएल अछि ।
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क्रम संख्या | 
लिखित शब्द | 
अभिप्रेत उच्चारण | 
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१ | 
भरि | 
भइर, भैर | 
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२ | 
डारि | 
डाइर, डाइढ़ | 
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३ | 
नेवारि | 
नेवाइर | 
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४ | 
अड़हूल | 
अड़हूल, अढ़ूल | 
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५ | 
भाँति | 
भाँइत,भाँति | 
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६ | 
बिसहरि | 
बिसहैर | 
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७ | 
आदिकाल | 
आदिकाल, आइदकाल | 
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८ | 
अधिकार | 
अधिकार, अइधकार, ऐधकार | 
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९ | 
केर 
(सम्बन्ध कारक
  विभक्ति)  | 
केर (।।, एकमात्रक दू आखर/अक्षर),  
के (ऽ, द्विमात्रिक एक आखर/अक्षर )  | 
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१० | 
केँ 
(कर्म ओ सम्प्रदान
  कारक विभ॰)  | 
केँ (ऽ, द्विमात्रिक),  
के
  (ऽ, द्विमात्रिक)  | 
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११ | 
के 
(प्रश्नवाचक सर्वनाम
  वा प्रश्नवाचक सार्वनामिक सम्बोधन)  | 
के (एक-, द्वि- या त्रिमात्रिक) | 
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१२ | 
अछि | 
अछि, अइछ, ऐछ, अइ | 
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१३ | 
छन्हि | 
छन्हि, छैन्ह, छैन | 
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१४ | 
छथि | 
छथि, छैथ | 
“विदेह” पाक्षिक मैथिली
इ – पत्रिका, वर्ष –५, मास –५५,  अंक –१०९ , ०१ जुलाई २०१२ मे “स्तम्भ ३॰२”
मे प्रकाशित ।
 

 
 
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