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Wednesday 6 June 2012

पद्य - ६८ - मिलनोत्सुका गीत


मिलनोत्सुका गीत




कहुखन एहि चार पर, कहुखन ओहि चार पर ।
कखनहु  दुआरि  पर,   कखनहु  ईनार  पर ।
किए
कुचरै   अछि   कौआ,
एना जोर – जोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।




सखी !
कुचरल अछि वायस,
किए अहल भोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।



आइ अओथिन्ह जँ पिया, हम रूसि रहबै ।
घोघ तानि,  मूँह फेरि,  हऽम बैसि रहबै ।
मुदा,
रोकबै   कोना   सखी !
मोनक   हिलोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।



कहुखन एहि चार पर, कहुखन ओहि चार पर ।
कखनहु  दुआरि  पर,   कखनहु  ईनार  पर ।
किए
कुचरै   अछि   कौआ,
एना जोर – जोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।



पिया कतबहु मनओथिन्ह, ने हऽम बजबै ।
हास कतबहु हँसओथिन्ह, ने  हऽम हँसबै ।
हाल
हम्मर   कहत   सखी !
नयनक  ई नोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।



घोघ उठबैत सखी, लऽग अओताह पिया ।
स्नेह  हाथेँ  पकड़ि,   लगा   लेताह   हिया ।
नोर
नयनक    पोछैत,
  चूमि   लेताह   ओ   ठोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।



हम लाजहि ओतहि, गड़ि जयबै सखी ।
हम लाजहि तँ मरि – मरि जयबै सखी ।
कोना   पुछबै,
      किए   भेलाह,
 एहेन    कठोर ।
आई  लगइत  अछि  अओथिन्ह  हमर चितचोर ।।





विदेह” पाक्षिक मैथिली इ  पत्रिकावर्ष ,  मास ५३ ,  अंक ‍१०६‍१५ मई २०१२ मे “स्तम्भ ३॰७”  मे प्रकाशित ।

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