हम की करू ?
(गीत)
हमर चेतना हेरायल अछि, हम की करू ?
सम्वेदना बिलायल अछि, हम
की करू ?
हे ऐ देखल जखन सञो अहाँ केँ
प्रिय,
हमर सुधि बुधि
हेरायल अछि,
हम की करू ??
अहाँ छी ने उर्वशी, अहाँ छी ने मेनका ।
मुदा तइयो हमर लेल
चित्त केँ चोरा
।
अहँक सुन्नर छवी (वि) हमर
चञ्चल मनेँ,
बड़ थीर भए समायल अछि,
हम की करू ??
अछि बूझल, अहूँक अछि, एहने सनि गति ।
हृदयफाँस लेपटायल अछि,
सुन्नर सनि मति ।
अहँक चञ्चल चरण आ नयन ओ
वयन,
एखन जड़वत बन्हायल
अछि,
हम की करू ??
आइ मधुरिम मिलन, कत’
प्रतिक्षा केर बाद ।
बड़ प्रतिक्षा कराओल, अछि
अपरूब तेँ स्वाद ।
अहँक सुन्नर सुकोमल अरुण
ठोर पर,
मन्द हास छिरिआएल
अछि,
हम की करू ??
“विदेह” पाक्षिक मैथिली
इ – पत्रिका, वर्ष –५, मास –५४ , अंक –१०७ , ०१ जून २०१२ मे “स्तम्भ ३॰२”
मे प्रकाशित ।
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