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Friday, 15 June 2012

पद्य - ७४ - हम की करू ? (गीत)


हम की करू ?
(गीत)



आइ मधुरिम मिलन, कत’ प्रतिक्षा केर बाद ।
बड़ प्रतिक्षा कराओल, अछि अपरूब तेँ स्वाद ।




हमर  चेतना  हेरायल अछि, हम की करू ?
सम्वेदना  बिलायल  अछि,  हम की करू ?
हे ऐ देखल जखन सञो अहाँ केँ प्रिय,
हमर सुधि बुधि हेरायल अछि,
हम की करू ??



अहाँ  छी  ने  उर्वशी, अहाँ छी  ने मेनका ।
मुदा  तइयो  हमर  लेल  चित्त  केँ  चोरा ।
अहँक सुन्नर छवी (वि) हमर चञ्चल मनेँ,
बड़  थीर  भए  समायल  अछि,
हम की करू ??



अछि  बूझल,  अहूँक अछि, एहने सनि गति ।
हृदयफाँस लेपटायल अछि, सुन्नर सनि मति ।
अहँक चञ्चल चरण आ नयन ओ वयन,
एखन जड़वत बन्हायल अछि,
हम की करू ??



आइ मधुरिम मिलन, कत’ प्रतिक्षा केर बाद ।
बड़ प्रतिक्षा कराओल, अछि अपरूब तेँ स्वाद ।
अहँक सुन्नर सुकोमल अरुण ठोर पर,
मन्द हास छिरिआएल अछि,
हम की करू ??






विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ५४ , अंक ‍१०७ , ‍०१ जून २०१२ मे “स्तम्भ ३॰२” मे प्रकाशित ।

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