गर्मी – छुट्टी
(प्रवासी मैथिल धिया – पुताक नजरि सँ)
(बाल गीत)
आबि रहल छै गर्मी – छुट्टी,
जयबै हम सभ गाम ।
कऽलम - गाछी - पोखरि घुमबै,
घुमबै खेत - खरिहान ।।
अप्पन तुरिया नेना – भुटका,
गामक संगी –
साथी ।
बाबा – बाबी, भैय्या – भौजी,
भेटथिन्ह कक्का –
काकी ।
संगतुरिया सभ भाए – बहिन
संग,
घुमबै अङ्गना - दलान ।
आबि रहल छै
......... ।।
कहियो फलना केर हकार,
कहियो चिलना केर भोज
।
कहियो किर्त्तन – अष्टयाम,
नाटक – नौटंकीक जोश
।
राति–राति भरि जागि–जागि
कऽ,
रामलीला लए जान ।
आबि रहल छै
......... ।।
अन्हर – बिहारि, उठलै बिर्रो,
चल बीछए आमक टिकुला
।
के सुनैछ आ के डरैछ,
की भूत साँप आ ठनका ।
बैर – जिलेबी - बड़हर - कटहर,
जामुन – आम - लताम ।
आबि रहल छै ......... ।।
उपनयनक धमगज्जरि कत्तहु,
कतहु अबैछ बरियाती ।
मूड़न – जाग - दुरागमन
देखी,
कतहु बनी सरियाती ।
कतहु पमरिया नाचि रहल अछि,
भगता ब्रम्हस्थान ।
आबि रहल छै
......... ।।
कजरी - लगनी - बटगवनी,
आ बाबा केर नचारी ।
भोरे – भोरे गीत पराती,
गाबथि बुढ़िया दादी ।
कतहु गीत सलहेशक गाबथि,
सोहर आ समदाओन ।
आबि रहल छै
......... ।।
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