हमहूँ आई सँ इस्कूल जयबै
(बालगीत)
हमहूँ आई सँ इस्कूल जयबै,
सीखबै बहुते बात ।
आब ने रहबै मूरूख बनि कऽ,
करबै ने कोनो लाथ ।।
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हमहूँ आई सँ इस्कूल जयबै,
सीखबै बहुते बात ।
आब ने रहबै मूरूख बनि कऽ,
करबै ने कोनो लाथ ।।
धनरोपनी - कमठैनी लए ने,
करब पढ़ाई केँ कात ।
आब ने पेट – दरद फुसिये,
ने आब दुखेतै माथ ।।
हमहूँ पढ़बै भरि संसार, आ
मिथिला केर इतिहास ।
पढ़बै कोना हेतै भारत, आ
मिथिला केर विकास ।।
की विद्यापति,
प्रेमचन्द,
गोर्की, होमर लिखलाह
।
कतऽ ठाढ़ छी, की करैत छी,
नीक छी की, अधलाह ??
हमहूँ पढ़बै चान – सुरूज आ
ग्रह - उपग्रहक खगोल
।
मिथिला – भारत केर चौहद्दी,
दुनिञा केर भूगोल
।।
हमहूँ सीखबै नापब – जोखब,
गणितक औना पथारी ।
नञि हिसाब सँ हम घबड़एबै,
कतबो हो ओ
भारी ।।
हमहूँ बुझबै जीव – जन्तु
केर,
बनल कोना छै
देह ।
कोना यन्त्र सभ काज करै छै,
अणु – परमाणुक भेद ।।
धियापुता मिथिलाक नान्हि
टा,
पर बड़का अभिलाषा ।
साक्षर भारत, साक्षर
मिथिला,
शिक्षित मिथिलाबासा ।।
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteधन्यवाद विकासजी ।
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