आयल वसन्त नेने, नव - नव उमंग
(युगल गीत)
धरती केर कण कण मे, हरियऽरी आयल ।
भाँति – भाँति रंग केर, फूल फुलायल ।।
|
[+ -] मलयक सुवास नेने,
बहइछ पवन ।
आयल वसन्त नेने, नव - नव
उमंग ।।
[-] तीसी आ सरिसो केर,
कुसुमित शाखा ।
[+] प्रेम केर मधुवन मे,
नयन केर भाषा ।
[-] अएलाह भूतल पर मन्मथ, रती केर संग ।
[+ -] आयल वसन्त नेने, नव - नव
उमंग ।।
[-] धरती केर कण कण मे,
हरियऽरी आयल ।
[+] भाँति – भाँति रंग केर,
फूल फुलायल ।
[-] सुनि कोयलीक बोल, बढ़य प्रेमक अगन ।
[+ -] आयल वसन्त नेने, नव - नव
उमंग ।।
[-] सभतरि अछि जीवन,
आ सभतरि यौवन ।
[+] प्रिया केँ निरखि कऽ,
अघायल ने प्रियतम ।
[-] चलल भौंरा पराग
लए, लसित उपवन ।
[+ -] आयल वसन्त नेने, नव - नव
उमंग ।।
[-] चकोरक प्रतिक्षा केर,
भेल जेना अन्त ।
[+] चन्द्रमा सँ मिलल जनु,
पार कऽ अनन्त ।
[-] आइ क्षितिजक पार मिलल, धरती – गगन ।
[+ -] आयल वसन्त नेने,
नव - नव उमंग ।।
[-] :- स्त्री अवाज [+] :- पुरुष अवाज [+ -] :- स्त्री आ पुरुष दुहुक समवेत अवाज
No comments:
Post a Comment