कामिनी ! जुनि तोड़ू अहँ
फूल
कामिनी !
जुनि तोड़ू अहँ फूल ।
फूलहि निर्मित अंग अहँक
अछि, गरि जायत कोनो शूल ।।
मुँह अहँक जनु रक्त कमल ।
नील कमलदल नयन युगल ।
ग्रीवा मृणाल, जल अलक बनल
अछि, अधर कुसुम अरहूल ।
कामिनी ! जुनि तोड़ू अहँ फूल ।।
आँचरे झाँपि गुलाबक थौका ।
श्वासक संग मलय केर झोंका ।
अपनहि रमणि, रुचिर कुसुमादपि, तोड़ब किए अहँ फूल ?
कामिनी ! जुनि तोड़ू अहँ फूल ।।
पद पंकज अहँ केर कोमलतर ।
उपवन बीच भ्रमर कर सञ्चर ।
अहँ केँ देखि
भ्रमर लोभायल, अयलहुँ,
कयलहुँ भूल ।
कामिनी ! जुनि तोड़ू अहँ फूल ।।
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