देखू आयल बसन्त
(गीत)
लागय धरती केर कण – कण जीवन्त |
बीति गेल, बीति गेल, देखू बीतल हेमन्त ।
निज दल-बल केर संग, देखू आयल बसन्त ।।
हवा मदहोश बहय,
मोन उतड़ए – चढ़ए ।
जनु सबतरि, अछि
छायल अनंग ।।
खग कलरव करय,
राह गमगम करय ।
गूँजय कोयलीक स्वर,
दिग – दिगन्त ।।
देखू केसर, पलाश,
बेली, चम्पा, गुलाब ।
भेल सुरभित, धरा
संग अनन्त ।।
विरह वेदना बढ़ल, मिलन सपना सजल ।
रम्य लगइत अछि,
सुरूजक किरण ।।
नऽव शाखी* उगल, आयल किशलय नवल
।
लागय धरती केर कण
– कण जीवन्त ।।
* शाखी = शाखायुक्त = गाछ - बिरिछ
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