अबोध
बच्चा (बाल कविता)
टुकुर-टुकुर ओ ताकि रहल
अछि ।
आँखिसँ दुनिञा नापि रहल
अछि ।
एहि जग केर जगमगकेँ
निहारैत, जग केर माया भाँपि रहल अछि ।।
बाल-गोपाल स्वरूप छी बच्चा ।
सृष्टिक कोमल रूप छी
बच्चा ।
छी अबोध,
पर बोध कराबैछ,
भगवानक छवि-रूपकेँ बच्चा ।।
बच्चा नञि बस अगबहि बौआ ।
बच्चा माने
बुच्ची आ बौआ ।
नेन्ना कोमल, कोमल नेनपन,
देखि कऽ बिहुँसए आङ्गन कौआ ।।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 216म अंक (15 दिसम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 108, अंक 216) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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