बाबू
साहेब चौधरी
।। ०१ ।।
बाबू साहेब चौधरी ।
के छलाह ? ……………….. हम नञि चिन्हैत
छी ।
यौ ! अहींक गाम - पंचायतक
छलाह ।
……………….. हम नञि चिन्हैत छी ।
यौ ! ब्राह्मणहि छलाह ओहो ।
……………….. हम नञि चिन्हैत छी ।
आश्चर्य
! बड़ पैघ आश्चर्य !!
अहाँ
हुनिका नञि चिन्हैत छी !!
।। ०२ ।।
हाँ ! हम चिन्हैत छी ।
हम
चिन्हैत छी — मैथिलीक अभियानीकेँ ।
हम
चिन्हैत छी — मिथिलाक सेनानीकेँ ।
हाँ ! हम चिन्हैत छी — नेनपनहिसँ चिन्हैत छी ।
साक्षात
नञि देखल, मुदा काजहिसँ चिन्हैत छी ।
।। ०३ ।।
हाँ ! हम जानैत छी ।
हम
जानैत छी,
मिथिलाक
ओहि सशक्त व्यक्तित्वकेँ ।
मैथिलीक
ओहि सशक्त हस्ताक्षरकेँ ।
मैथिलीक
अमर प्रकाश पुञ्जकेँ ।
मिथिलाक
अडिग दृढ़ स्तम्भकेँ ।
।। ०४ ।।
हम
चिन्हैत छी ।
हाँ ! हम हुनिका चिन्हैत छी ।
जे
समस्त मिथिलाक रहथि ।
प्रेरणाक
श्रोत रहथि,
हमरा
लेल, हमर बाप - पित्तीक लेल ।
आ हमरहि
सनि, आनहु समस्त मैथिली प्रेमीक लेल ।
सनस्त
मैथिलक लेल ।
समस्त
मिथिलाक लेल ।।
।। ०५ ।।
मिथिलाभाषा
।
मिथिलाक
जन - जन केर भाषा ।
मिथिलाक
जड़ि - चेतन केर भाषा ।
मिथिलाक
हर जाति - धर्म केर भाषा ।
मिथिलाक
बारहो वर्ण केर भाषा ।
आ
ताहि भाषा लेल जिनगी अर्पित कएनिहार,
बाबू
साहेब चौधरी ।
कोना
नञि चिन्हबन्हि हुनिका ।
किएक
नञि चिन्हबन्हि हुनिका ।।
अखिल भारतीय मिथिला संघ कोलकाताक सहयोगसँ दुलारपुरमे (रुचौल-दुलारपुर) ०८
जनबरी २०१७ कऽ
आयोजित बाबू
साहेब चौधरी जन्म शताब्दी समारोहक कवि सम्मेलनमे पठित ।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 218म अंक (15 फरबरी 2017) (वर्ष 10, मास 109, अंक 218) केर “पद्य” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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