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Thursday, 12 January 2017

पद्य - ‍२‍२‍० - मैथिली दधीचि (कविता)

मैथिली दधीचि (कविता



छायाचित्र © डॉ॰शशिधर कुमर "विदेह"




बाबू साहेब चौधरी - मैथिली दधीचि ।
हँऽऽ ! हँऽऽ !! थम्हू !!!
दधीचि छथि भोला लाल दासजी ।
नञि ! नञि !! से कोना ?
दधीचि छथि लक्ष्मण झाजी ।
अओ भाइ लोकनि ! किएक लड़ैत छी ?
दधीचि माने की ?
दधीचि के ?
दधीचि जे अपन अस्थि दान देल ।
दान देल वृत्तासुरक संहार लेल ।
जीवितहि अस्थि दान - जिनगीक दान ।
मिथिलाक महायज्ञमे,
मैथिलीक महायज्ञमे,
नञि जानि एहने कतेको लोक,
लगा देल अपन जिनगी ।
आ कतेको लगओताह ।
ओ सभ मैथिली दधीचि छलाह ।
आ ओ सभ मैथिली दधीचि होएताह ।
यज्ञ एखन बाँकी अछि ।
हवन एखन बाँकी अछि ।
कतेकहु दधीचि केर,
अवतरण बाँकी अछि ।।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍219म अंक (‍01 फरबरी 2017) (वर्ष 10, मास 110, अंक ‍219) केर पद्य स्तम्भमे प्रकाशित ।





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