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Monday, 12 December 2016

पद्य - ‍२‍१७ - ऊद या ऊदबिलाड़ि (बाल कविता)

ऊद या ऊदबिलाड़ि (बाल कविता)





कोना करै छै,  देखही  एकरा,
ऊदमति    धऽ    लेलकैए ।
की छी ऊद आ केहेन ऊदमति,
ककरा    धऽ    लेलकैए ??

ऊद छी जीव,  जमीनक बासी,
तइयो छै  बड़  पानि  प्रिय ।
पानिमे  हेलए,  डुम्मी काटए,
ओकरा छै  बड़  माछ प्रिय ।।

देहमे  ओकरा  बड़ छै  फुर्ती,
बुट्टी - बुट्टी   चमकै  छै ।
की जमीन, की पानिक भीतर,
मस्त - मगन ओ रमकै छै ।।

बैसि ने रहइछ  ओ  निचैनसँ,
पानिमे करइछ  बड़ छलमल ।
तेँ कहबी छै - ऊदमति धेलकै,
जकर  मोन  बेसी  चंचल ।।

ऊदमति  मोन  ने  रहए थीर,
लगले एम्हर, लगले ओम्हर ।
जेना  ऊद  ने  रहैछ  थीर,
एखने एम्हर, एखने ओम्हर ।।








संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

ऊद वा ऊदबिलाड़ि मुख्यतः स्थलीय जीव अछि आ मीठ पानिक जलाशय सभसँ लऽ कऽ समुद्रक नोनगर पानि धरि भेटैछ । ओ मांसाहारी जीव अछि आ माछक शिकार करबामे बहुत माहिर होइत अछि । ओ पानिमे डुम्मी कटबामे आ गोंता लगएबामे अत्यन्त कुशल होइत अछि । बांग्लादेशमे एकरा पोशुआ बनाए प्रशिक्षित कएल जाइत अछि आ प्रशिक्षित ऊद मनुक्खक लेल नदीमेसँ माछ पकड़ि कऽ आनैत अछि । 



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍212म अंक (‍15 अक्टूबर 2016) (वर्ष 9, मास 106, अंक ‍212) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




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