भगजोगनी
(बाल कविता)
गे भगजोगनी, बड़
चमकै छेँ !
कतएसँ बिजुरी
अनने छेँ ।
घुप्प अन्हरिया, बाटक कातेँ,
चकमक चकमक कएने
छेँ ।।
आबि गेलेँ हमरा सोझाँ,
हमरा हाथक तरहत्थी पर ।
बिजुरीसँ ने हाथ जरैतछि,
छौ इजोत तोहर शीतल ।।*१
पेटक निचुला भाग पता नञि,
केहेन माया
रचने छेँ !
डिबिया - टेमी बिना तोँ सौंसे,
भुक्-भुक् भुक्-भुक् कएने छेँ ।।
पीच सड़क केर
कातेँ - कातेँ,
जमकल पानि आ गाछ
छै ।
ताहि गाछ पर सत्ता - सोड़े,
भगजोगनी केर बास छै ।।*२
भारी बरखा
आ ठण्ढीमे,
पतनुकान लऽ लैत
छै ।
बरखक शेष समएमे ओ तँऽ,
भुक् - भुक् - भुक् चमकैत छै ।।*३
भगजोगनीकेँ पकड़ि - पकड़ि,
बन्न करैत छी शीशीमे ।
भूर छी कएने
मुन्नामे,
साँस लेबा लेल शीशीमे ।।*४
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - भगजोगनीक उदर
भाग (VENTRAL
SURFACE) केर नीचाँमे विशिष्ट
अवयवी संरचना होइत अछि जकरा प्रकाश उत्पादक अंग (LIGHT EMITTING ORGANS) कहल जाइत अछि । एहिमे ल्यूसीफेरेज (LUCIFERASE) नामक एकटा किण्वक या एञ्जाइम (ENZYME) होइत अछि जे ऑक्सीजन आ मैग्नेशियम आयनक (Mg++) उपस्थितिमे ल्यूसीफेरीन (LUCIFERIN) नामक रासायनिक पदार्थ पर क्रिया कऽ कऽ प्रकाश या इजोत उत्पन्न करैछ । एहि
तरहेँ इजोतक उत्पत्ति जैव संदीप्ति (BIOLUMINESCENCE) केर उदाहरण अछि । भगजोगनीक एहि इजोतकेँ शीत इजोत (COLD LIGHT) कहल जाइत अछि । एहि इजोतमे पराबैगनी (ULTRA VIOLET) ओ अवरक्त (INFRA RED) किरण नञि रहैत
अछि । अवरक्त किरणक अनुपस्थितिक कारणेँ एहिमे उष्णता या गर्मी नञि रहैत अछि आ तेँ
छुअबा (छूबा) पर हाथ नञि पाकैत अछि । विश्वमे भगजोगनीक करीब दू (दुइ) हजार जाति (SPECIES) होइत अछि । भगजोगनीक विभिन्न जाति-प्रजातिक अनुसारेँ एहि इजोतक रंग पीयर, हरियर
या पिरौंछ लाल भऽ सकैत अछि ।
*२ - भगजोगनी दलदली
अथवा पानि लागल ओ गाछ-बिरिछसँ युक्त जगह सब पर रहैत अछि । एहि तरहक आवास क्षेत्र (HABITAT) अपना दिशि पीच (पक्का) सड़कक कातेँ-कातेँ आसानीसँ भेटि जाइत अछि कारण अछि ओहि
सड़कक दूनू कात माटि कटलासँ गँहीर भेल स्थानमे बरख या बाढ़िक पानिक जमाव आ संगहि -
संग भेल वृक्षारोपण ।
*३ - आन सन्धिपाद प्राणी (Arthropods) सब जेकाँ भगजोगनी सेहो शीतरक्तीय प्राणी (Cold blooded / Poikilothermal animal) अछि आ तेँ ठण्ढीक समएमे ओ पतनुकान लऽ लैत अछि अर्थात्
शीतनिष्क्रिय अवस्थामे (Hibernating
Stage) चलि जाइत अछि । किछु तँऽ बेङ्ग आ भेंक जेकाँ
माटिक भीतर नुकाए रहैत अछि । तहिना बेसी तेज बरखा भेला पर सेहो ।
*४ - बहुतहु लोक अपन
नेनपनमे भगजोगनीकेँ पकड़ि शिशीमे किछु काल वा किछु दिनक लेल बन्न कएने होएताह आ
एखनहु धियापुता सब करैत अछि ।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 218म अंक (15 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 109, अंक 218) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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