Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Friday, 25 March 2016

पद्य - ‍१६‍६ - दहियल (बाल कविता)

दहियल (बाल कविता)



खञ्जन आँखि,  चंचल  आँखि ।
लोक बूझए,  बड़ कारी आँखि ।।*

एक   भ्रमसँ    दोसर   भ्रम ।
एहिना  चलिते  रहइछ  क्रम ।।*

कारी  गर्दनि  आँखि  आ मूरी ।
खजिन  चिड़ैञा  भ्रमसँ  बूझी ।।

खजिन चिड़ैञा डोलबए नाङ्गरि ।
ऊपर - नीचाँ  करइछ नाङ्गरि ।।

ईहो चिड़ैञा  डोलबए  नाङ्गरि ।
बस ऊपर  फहड़ाबए  नाङ्गरि ।।*

यूरोपक   रॉबिन   जे   चिड़ै ।
तकरेसँ    आकार    मिलए ।।*

तेँ  कहलक   मैग्पी रॉबिन
जुनि बूझू  इण्डियन रॉबिन ।।*

अनुवादक  भ्रम  देल  पसारि ।
लीखलक  नीलकंठ अविचारि ।।*

दहियल  ई   कहबैछ  चिड़ै ।
बाङ्गलामे   दोयेल   कहबै ।।*

स्त्री - दहियल   कम   कारी ।
छाउरक  रंग   गर्दनि - मूरी ।।

पेट  सभक   भेटत   उज्जर ।
पाँखि ओ नाङ्गरि  चितकाबर ।।



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* * - खञ्जन आंखिकेँ मतलब सामान्य जन भ्रमवश कारी आँखि बूझए लागल । ई भ्रम कालान्तरमे एकटा आओरहु भ्रमकेँ जन्म देलक − लोक दहियल नामक चिड़ैकेँ सेहो खञ्जने बूझए लागल । ई चिड़ै खञ्जनहि आकारक आ चितकाबर रंगक होइत अछि । एकर मूरी आ गर्दनि केर संगहि आँखि सेहो गाढ़ कारी होइत अछि । ई वस्तुतः एक टा क्रमागत त्रुटि वा भ्रम (PROGRESSION OF ERRORS) केर उदाहरण थिक; एक भ्रमसँ दोसर भ्रम, दोसरसँ तेसर आ एहिना आगू सेहो ।

* - ईहो चिड़ै अपन नाङ्गरिकेँ डोलबैत अछि परञ्च ऊपर - नीचाँ या दायाँ - बायाँ नञि अपितु केवल ऊपर दिशि आ सेहो ऊपर दिशि जपानी पंखा जेकाँ खोलि कऽ फहड़ा दैत अछि ।

* - एहि चिड़ै केर आकार यूरोपक रॉबिन नामक चिड़ैसँ मिलैत अछि तेँ अंग्रेजीमे एकरा मैग्पी रॉबिन या ऑरिएण्टल मैग्पाइ रॉबिन नाम देल गेल अछि । एकरा नीलकण्ठ वा इण्डियन रॉबिन नञि बूझी । एहि चिड़ैमे लेशमात्रहु नील रंग नञि होइत अछि

*- किछु नवसिखुआ अनुवादक सभ अन्तर्जाल पर रॉबिनदेखि नीलकण्ठ अनुवाद कएने छथि से सर्वथा अनुचित ओ भ्रमकारक । लेशमात्रहु नील रंग नञि थिक एहि चिड़ैमे ।

*- दहियलकेँ बाङ्ग्ला भाषामे दोयेल कहल जाइत अछि आ ओ बाङ्ग्ला देश केर राष्ट्रिय चिड़ै अछि ।




मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



No comments:

Post a Comment