दहियल
(बाल कविता)
खञ्जन आँखि, चंचल आँखि
।
लोक बूझए, बड़ कारी आँखि ।।*१
एक भ्रमसँ
दोसर भ्रम ।
एहिना चलिते
रहइछ क्रम ।।*२
कारी गर्दनि
आँखि आ मूरी ।
खजिन चिड़ैञा
भ्रमसँ बूझी ।।
खजिन चिड़ैञा
डोलबए नाङ्गरि ।
ऊपर - नीचाँ करइछ नाङ्गरि ।।
ईहो चिड़ैञा डोलबए
नाङ्गरि ।
बस ऊपर फहड़ाबए
नाङ्गरि ।।*३
यूरोपक रॉबिन
जे चिड़ै ।
तकरेसँ आकार मिलए ।।*४
तेँ कहलक “मैग्पी रॉबिन” ।
जुनि बूझू “इण्डियन रॉबिन” ।।*४
अनुवादक भ्रम देल पसारि ।
लीखलक नीलकंठ अविचारि ।।*५
“दहियल” ई कहबैछ चिड़ै ।
बाङ्गलामे “दोयेल” कहबै ।।*६
स्त्री -
दहियल कम कारी ।
छाउरक रंग गर्दनि - मूरी ।।
पेट सभक भेटत उज्जर ।
पाँखि ओ नाङ्गरि चितकाबर ।।
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ *२ - “खञ्जन आंखि”केँ मतलब सामान्य जन भ्रमवश “कारी आँखि” बूझए लागल । ई भ्रम कालान्तरमे एकटा आओरहु
भ्रमकेँ जन्म देलक − लोक दहियल नामक चिड़ैकेँ सेहो खञ्जने बूझए लागल । ई चिड़ै
खञ्जनहि आकारक आ चितकाबर रंगक होइत अछि । एकर मूरी आ गर्दनि केर संगहि आँखि सेहो
गाढ़ कारी होइत अछि । ई वस्तुतः एक टा क्रमागत त्रुटि वा भ्रम (PROGRESSION OF ERRORS) केर उदाहरण थिक; एक भ्रमसँ दोसर भ्रम, दोसरसँ
तेसर आ एहिना आगू सेहो ।
*३ - ईहो चिड़ै अपन
नाङ्गरिकेँ डोलबैत अछि परञ्च ऊपर - नीचाँ या दायाँ - बायाँ नञि अपितु केवल ऊपर
दिशि आ सेहो ऊपर दिशि जपानी पंखा जेकाँ खोलि कऽ फहड़ा दैत अछि ।
*४ - एहि चिड़ै
केर आकार यूरोपक रॉबिन नामक चिड़ैसँ मिलैत अछि तेँ अंग्रेजीमे एकरा “मैग्पी रॉबिन” या “ऑरिएण्टल मैग्पाइ रॉबिन” नाम देल गेल अछि । एकरा “नीलकण्ठ” वा “इण्डियन रॉबिन” नञि बूझी । एहि चिड़ैमे लेशमात्रहु “नील रंग” नञि होइत अछि ।
*५ - किछु नवसिखुआ
अनुवादक सभ अन्तर्जाल पर “रॉबिन” देखि नीलकण्ठ
अनुवाद कएने छथि से सर्वथा अनुचित ओ भ्रमकारक । लेशमात्रहु नील रंग नञि थिक एहि
चिड़ैमे ।
*६ - “दहियल”केँ बाङ्ग्ला भाषामे “दोयेल” कहल जाइत अछि आ ओ “बाङ्ग्ला देश” केर राष्ट्रिय चिड़ै अछि
।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 197म अंक (01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक 197) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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