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Friday, 25 March 2016

पद्य - ‍१६‍५ - चातक या स्वाती चिड़ै (बाल कविता)

चातक या स्वाती चिड़ै (बाल कविता)



चातक  एलै !  चातक  एलै !
संगमे  बरखा - बुन्नी  लेलै ।।*

धरती     तबधल,
खेतहु     दगधल ।
मनुक्खक    मोन,
सेहो  छै  बगधल ।
धरतीक प्यास मिझाबऽ एलै ।।

करिया       पीठ,
सुरूज दिशि कएने ।
उजरा        पेट,
धरा  दिशि  धएने ।
जानि कतऽसँ, कोना कऽ एलै ! ! *

माथक      कलगी,
कारी       रंगक ।
परजीवी        ओ,
कोइली     ढंगक ।*
जलदक  दूत  धरा  पर  एलै ।।

लोक       कहए,
पहिलुक वर्षा जल ।
पिउबि    बिताबए,
जिनगी    चातक ।
अर्थ छी एतबहि, पावस एलै ।।*


संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - चातक आ पपीहाक आगमन भारतमे (खास कऽ उतबारी भारतमे) मॉनसून वा वर्षा ऋतुक आगमनक सूचना दैत अछि ।

* - ई चिड़ै अफ्रिका महादेशक मूल निवासी अछि आ ग्रीष्म ऋतुमे बेसी गर्मी पड़ला पर ओ भारत आबि जाइत अछि आ फेर शरद ऋतुमे आपिस अफ्रिका चलि जाइत अछि ।

* - कोइली जेकाँ ईहो चिड़ै “शिशु-भरण परजीवी” (BROOD PARASITE) अछि आ कौआ आदि आन चिड़ै केर खोंतामे अण्डा दैत अछि ।

* - कहबी छै कि ई चिड़ै मात्र बरखाक पानि पिउबि (स्वाती नक्षत्रक वर्षाक पानि) रहैत अछि पर ताहिमे कोनहु यथार्थ नञि । मतलब बस एतबहि कि चातकक आकमन वर्षाक अगमनक परिचायक अछि ।

गाबए बला पक्षी होयबाक कारणेँ आ एक्कहि समयमे भारतमे आगमन होयबाक कारणेँ मैथिलीक संग - संग आन भारतीय साहित्यसभमे बहुधा “पपीहा” ओ “चातक” पर्यायवाचीक रूपमे प्रयुक्त होइत अछि । पर यथार्थमे दुहु एकदम भिन्न चिड़ै अछि । पपीहा परेबा या बाजक आकारक होइत अछि जखनि कि चातक मएनाक आकारक ।
बंगालीमे चातक शब्द अंग्रेजीक स्काइलार्क (SKYLARK) (Alauda spp.) चिड़ै लेल सेहो प्रयुक्त होइत अछि, जकरा हिन्दीमे “चकता” या “अबाबील” कहल जाइत अछि । एकर मैथिली नाँओ एखनि धरि हमरा नञि बूझल अछि ।

मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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