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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Friday, 25 March 2016

पद्य - ‍१६‍८ - बगुली (बाल कविता)


बगुली (बाल कविता)



बगुला कुल केर चिड़ै अछैतहु,
ओ  बगुलासँ  भिन्न छै ।*
देखबै  बगुलहि संग जतऽ जे,
बास दुहुक  अभिन्न छै ।।

बगुलापेक्षा  छोट  छै  गर्दनि,
धऽर मुदा किछु छै  भारी ।
देहक  मूल  रंग  उज्जर  पर,
कारी - भूरा  सनि धारी ।।*

खाइत ईहो छै माछ आ कीड़ा,
साँप बेङ्ग आ  बेङ्गची ।
बगुले कुल केर छै, छोट मुदा,
कहबइए ओ  तेँ बगुली ।।*


संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - मैथिलीमे बगुला केर स्त्रीलिङ्ग बगुली नञि थिक । दुहुमे नर (पुरुष) आ मादा (स्त्री) जोड़ि पुलिङ्ग किंवा स्त्रीलिङ्गक निदेश कएल जाइत अछि । अंग्रेजीक HERONEGRET मैथिलीमे बगुला कहबैत अछि जखनि कि BITTERN बगुली । ई दुहु बगुला कुलक (Family - ARDEIDAE) सदस्य रहितहुँ परस्पर किछु भिन्न अछि । Ixobrychus, Botaurus Zebrilus वंशसभक (GENERA) चिड़ैसभ बगुली केर अन्तर्गत आबैत अछि ।

* -  देह उज्जर रंगक होइत अछि पर बगुला सनि नञि । बगुलीक गर्दनि पर भूरा-कारी सनि वा मटियाही धारी होइत अछि आ पंख सेहो उपरसँ ओहने रंगक होइत अछि ।

* - बगुलहि कुल केर मुदा ऊँचाईमे छोट होएबाक कारणेँ एकर नाम ‘बगुली अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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