बगुला
(बाल कविता)
काकचेष्टा बकोध्यानम् ।
छल जे विद्यार्थीक लक्षण
।।
से जे बक छल ओएह
बगुला, अछि कहाबैत मैथिलीमे ।।*१
नमगर आ पातर छै टाङ्ग,
पीयर - मटिया कारी
टाङ्ग ।
माथ उज्जर, धऽर
उज्जर,
लोल कारी
या छै पीयर ।।
माछ छै बड़ प्रिय
जकरा, सएह बगुला मैथिलीमे
।।
बगुला नञि छै एक
रंगक,
नञि बनावट
एक ढंगक ।
बेसी अगबे साफ उज्जर,
या कोनहु फेंटल
छै उज्जर ।।*२
जे हो, पर छै
टाङ्ग नमगर, तेँ छै कहबी मैथिलीमे ।।*३
बाध - खेत - पथार
सौंसे,
भेटए हरदम धार
काते ।
वा कोनहु उत्थर जलाशय,
देखब कीड़ा - माछ
ताकैत ।।
ठाढ़ एकटक ध्यान
देने, तेँ प्रशिद्ध ओ मैथिलीमे ।।*४
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - संस्कृतमे “वक” या “बक”
शब्दसँ जाहि चिड़ै समूहक बोध होइत अछि से मैथिलीमे “बगुला”
कहबैत अछि ।
*२ - बगुला नामक
चिड़ै केर अन्तर्गत विभिन्न आकार - प्रकारक बहुत रास चिड़ै आबैत अछि । अंग्रेजीक हेरॉन (HERON) आ एग्रेट (EGRET) शब्दसँ बोध होइ बला सब चिड़ै मैथिलीमे “बगुला”
कहबैत अछि । बेसीतर बगुला उज्जर रंगक होइत अछि पर किछु आन फेंट-फाँट रंगक सेहो ।
सब बगुलाक टाङ्ग पातर आ नमगर होइत अछि आ उड़बा काल अपन गर्दनि अन्दर सिकोड़ि कऽ (RETRACTED INWARD) रखैत अछि ।
*३ - “बगुला टाङ्ग” माने कि नमगर टाङ्ग − ई मिथिलाक प्रशिद्ध कहबी सबमेसँ एक अछि ।
*४ - माछ पकड़बाक लेल बगुलाक एकटक ध्यान, संयम आ तपस्या मिथिलामे आ तेँ मैथिली साहित्यमे
उदाहरणक रूपमे बड़ प्रशिद्ध अछि ।
“मवेशी बगुला”
(CATTLE EGRET) पालतू चौपाया जानवर (जेना
कि गाए, महींष) आदिक पीठ पर बैसि ओकर चाम परहक बाह्य
परजीवी (ECTOPARASITES) कीड़ा सभकेँ खाए जाइत अछि । ई सहोपकारिता
सम्बन्धक (SYMBIOTIC
RELATIONSHIP) एकटा नीक उदाहरण थिक ।
एहिसँ बगुलाकेँ भोजन आ मवेशी सभकेँ परजीवीसँ मुक्ति भेटैत अछि ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 197म अंक (01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक 197) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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