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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Friday, 25 March 2016

पद्य - ‍१६‍७ - बगुला (बाल कविता)

बगुला (बाल कविता)





काकचेष्टा      बकोध्यानम् ।
छल जे  विद्यार्थीक  लक्षण ।।
से जे बक छल ओएह बगुला, अछि कहाबैत मैथिलीमे ।।*

नमगर आ पातर  छै  टाङ्ग,
पीयर - मटिया कारी टाङ्ग ।
माथ  उज्जर,  धऽर  उज्जर,
लोल  कारी  या  छै पीयर ।।
माछ छै बड़ प्रिय जकरा,  सएह  बगुला  मैथिलीमे ।।

बगुला नञि  छै  एक रंगक,
नञि  बनावट  एक ढंगक ।
बेसी  अगबे   साफ उज्जर,
या कोनहु फेंटल छै उज्जर ।।*
जे हो, पर छै टाङ्ग नमगर, तेँ छै कहबी मैथिलीमे ।।*

बाध - खेत - पथार   सौंसे,
भेटए  हरदम  धार  काते ।
वा कोनहु  उत्थर  जलाशय,
देखब कीड़ा - माछ ताकैत ।।
ठाढ़ एकटक ध्यान देने, तेँ प्रशिद्ध ओ मैथिलीमे ।।*


संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - संस्कृतमे “वक” या “बक” शब्दसँ जाहि चिड़ै समूहक बोध होइत अछि से मैथिलीमे “बगुला” कहबैत अछि ।

* - बगुला नामक चिड़ै केर अन्तर्गत विभिन्न आकार - प्रकारक बहुत रास चिड़ै आबैत अछि । अंग्रेजीक हेरॉन (HERON) एग्रेट (EGRET) शब्दसँ बोध होइ बला सब चिड़ै मैथिलीमे “बगुला” कहबैत अछि । बेसीतर बगुला उज्जर रंगक होइत अछि पर किछु आन फेंट-फाँट रंगक सेहो । सब बगुलाक टाङ्ग पातर आ नमगर होइत अछि आ उड़बा काल अपन गर्दनि अन्दर सिकोड़ि कऽ (RETRACTED INWARD) रखैत अछि ।

* - “बगुला टाङ्ग” माने कि नमगर टाङ्ग − ई मिथिलाक प्रशिद्ध कहबी सबमेसँ एक अछि ।

* - माछ पकड़बाक लेल बगुलाक एकटक ध्यान, संयम आ तपस्या मिथिलामे आ तेँ मैथिली साहित्यमे उदाहरणक रूपमे बड़ प्रशिद्ध अछि ।

“मवेशी बगुला” (CATTLE EGRET) पालतू चौपाया जानवर (जेना कि गाए, महींष) आदिक पीठ पर बैसि ओकर चाम परहक बाह्य परजीवी (ECTOPARASITES) कीड़ा सभकेँ खाए जाइत अछि । ई सहोपकारिता सम्बन्ध(SYMBIOTIC RELATIONSHIP) एकटा नीक उदाहरण थिक । एहिसँ बगुलाकेँ भोजन आ मवेशी सभकेँ परजीवीसँ मुक्ति भेटैत अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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