मयूर
या मोर (बाल कविता)
कहबए मयूर
अथवा मजूर ।
पर लीखल जाइछ सभठाँ मयूर ।।*१
छी मोरक नाम तँऽ सब सुनने ।
मोरक रंग - रूप
सेहो देखने ।।
“पीकॉक” तँऽ छी हमसभ रटने
।
“पीहेन” मुदा कम्महि सुनने ।।*२
अपना दिशि
भेटैछ ने मोर ।
बसइछ पच्छिम भारतक कोर ।।*३
की भेलै जञो
नहिञे भेटैछ ।
छी चित्र सभक मनमे बसैछ
।।
मोरक सुन्नर सनि
पाँखि रहैछ ।
नञि मोरनीक
तेहेन
रहैछ ।।*४
भारतक मोर छी “नील मोर” ।
जावामे हरियर भेटैछ मोर ।।*५
उज्जर रंगक जे
छैक मोर ।
से उत्परिवर्तित नील मोर
।।*६
अपनहु ठाँ भेटैत छल पहिने ।
वन उपवन से विचरए
पहिने ।।*३
नञि जंगल आब ने मोरे छी ।
देखब तखने जँ पोषने छी ।।
छी मोर चकोर कुलक एक्के
।*७
पर मोरक छी बातहि अलगे ।।
पाँखिक आकर्षण
मनमोहक ।
नर की -
नारायणकेँ रुचिगर ।।
छी राष्ट्र - चिड़ै भारतवर्षक ।
मस्तक शोभित छी
श्रीकृष्णक ।।
कार्तिकेय केर छी वाहन ।
शाहजहाँ केर “मोर-सिंहासन” ।।*८
लागि गेलै
मेघो कारी ।
मोरक मोन मारए किलकारी ।।
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - मैथिलीमे एहि
पक्षीकेँ “मोर” अथवा “मयूर” कहल जाइत अछि । मयूर लिखला पर किछु लोक एकर तत्सम स्वरूपक
उच्चारण “मयूर” करैत छथि तँऽ किछु लोक अर्धतत्सम स्वरूपमे “मजूर” पढ़ैत छथि । उच्चारण भलहि किछु हो पर लीखए काल “मयूर” लीखल जाइत अछि । “मजूर” लिखलासँ ओकर अर्थ “मजदूर” होइत अछि ।
*२ - अंग्रेजीक PEAFOWL सँ मयूरक दुहु लिङ्गक बोध होइत अछि, जखनि कि PEACOCK सँ मोर आ PEAHEN सँ मोरनीक बोध भेल ।
*३ - प्राकृतिक
रूपसँ मोर एखन पच्छिम भारतक प्रदेश सभमे (राजस्थान आ ओकर सीमासँ सटल आन प्रदेश सभक
भूभागमे) पाओल जाइत अछि । बहुत पहिने जहिया अपना दिशि सघन वन छल तहिया सम्भवतः
अपनहु दिशि प्राकृतिक रूपसँ भेटैत छल ।
*४ - मयूरक जे
सुन्नर पाँखि प्रशिद्ध थिक आ जकरा कारण संस्कृतमे एकरा “चित्रपत्रक” सेहो कहल गेल अछि से वास्तवमे मात्र “नर मयूर”केँ होइत अछि । “स्त्री मयूर”केँ ओहेन आकर्षक पाँखि नञि होइत अछि ।
*५ - भारतक मोरक
कण्ठ गाढ़ नील (INDIGO / DEEP BLUE) रंगक होइत अछि तेँ एकरा
संस्कृतमे “नीलकण्ठ” नाम सेहो देल गेल अछि । एकर मूल क्षेत्र सम्पुर्ण भारतक
अतिरिक्त नेपाल, भूटान, बाङ्गला देश आ श्रीलंकाकेँ मानल जाइत अछि । ते एकरा “भारतीय मोर” (INDIAN PEAFOWL / Pavo cristatus) सेहो कहल जाइत अछि । ई भारत आ श्रीलंकाक राष्ट्रिय चिड़ै (NATIONAL BIRD OF INDIA & SRI LANKA) अछि ।
*६ - प्राणी (जैविक) उद्यानसभमे (ZOO) जे उजरा मोर देखैत छी से
मोरक कोनहु आन प्रकार नञि अछि । वास्तवमे ओ भारतीय नील मोर थिक जे एकटा विरले
जैववैज्ञानिक (RARE BIOLOGICAL PHENOMENON) वा आनुवांशिक परिघटना (RARE
GENETIC PHENOMENON) केर फलस्वरूप उत्पन्न
भेल अछि । एहि विरले आनुवंशिक परिघटनाकेँ जैववैज्ञानिक लोकनि उत्परिवर्तन (MUTATION) कहैत छथि । तेँ उजरा मोरकेँ (WHITE PEAFOWL) नील मोरक उत्परिवर्तित प्रतिरुप (MUTATIONAL VARIANT) कहि सकैत छी ।
एकर अतिरिक्त विश्वमे मोरक आन दू प्रकार सेहो
अछि । पहिल अछि हरियर मोर या जावा मोर (GREEN / JAVA PEAFOWL / Pavo muticus ) आ दोसर अछि कॉङ्गो मोर या अफ्रिकी मोर (CONGO / AFRICAN PEAFOWL / Afropavo
congensis) । जावा मोर भारतीय मोर जेकाँ होइत अछि आ म्यांमार,
जावा, सुमात्र आदि देश ओ द्वीपसमूहमे भेटैछ । एकर गर्दनि केर रंग नील नञि भऽ कऽ
हरियर होइत अछि । कॉङ्गो या अफ्रिकी मोर बहुतहु परिप्रेक्ष्यमे भारतीय मोरसँ भिन्न
होइत अछि ।
*७ - मोर आ चकोर दुहु मयूर कुल (Family - Phasianidae) केर चिड़ै अछि जँ मोरक आकर्षक पाँखि हटाए देल जाए तँऽ दुहु
मिलैत - जुलैत सनि लागत । प्रायः एहि कुलक पक्षी बेसी दूर नञि उड़ि पाबैत अछि ।
*८ - मोरकेँ अरबी
भाषामे “ताऊस” कहल जाइत अछि । मुगल बादशाह शाहजहाँ जाहि सिंहासन पर बैसैत
छलाह ओकर नाम छल “तख्त-ए-ताऊस” मतलब कि “मोर सिंहासन” या “मयूर सिंहासन” । एहि सिंहासनक
आकृति मोर सनि छल । दू टा मोरक अनुकृतिक बीच बादशाहक गद्दी छल आ गद्दीक पाछाँमे
सेहो एक टा मोरक अनुकृति छल ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 197म अंक (01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक 197) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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