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Saturday, 26 March 2016

पद्य - ‍१७० - मयूर या मोर (बाल कविता)

मयूर या मोर (बाल कविता)




कहबए  मयूर   अथवा   मजूर ।
पर लीखल  जाइछ सभठाँ मयूर ।।*

छी मोरक  नाम तँऽ  सब सुनने ।
मोरक  रंग - रूप  सेहो   देखने ।।

पीकॉक तँऽ छी  हमसभ रटने ।
पीहेन  मुदा  कम्महि  सुनने ।।*

अपना  दिशि  भेटैछ  ने  मोर ।
बसइछ  पच्छिम भारतक कोर ।।*

की  भेलै  जञो  नहिञे  भेटैछ ।
छी चित्र सभक  मनमे  बसैछ ।।

मोरक सुन्नर सनि पाँखि रहैछ ।
नञि   मोरनीक  तेहेन  रहैछ ।।*

भारतक मोर छी  नील मोर
जावामे  हरियर  भेटैछ  मोर ।।*

उज्जर  रंगक  जे  छैक मोर ।
से  उत्परिवर्तित  नील  मोर ।।*

अपनहु ठाँ  भेटैत छल पहिने ।
वन उपवन से विचरए पहिने ।।*

नञि जंगल  आब ने मोरे छी ।
देखब  तखने जँ  पोषने  छी ।।

छी मोर चकोर  कुलक  एक्के ।*
पर मोरक छी  बातहि अलगे ।।

पाँखिक  आकर्षण  मनमोहक ।
नर की - नारायणकेँ  रुचिगर ।।

छी  राष्ट्र - चिड़ै  भारतवर्षक ।
मस्तक शोभित छी श्रीकृष्णक ।।

कार्तिकेय   केर  छी   वाहन ।
शाहजहाँ  केर मोर-सिंहासन ।।*

लागि   गेलै    मेघो   कारी ।
मोरक मोन  मारए किलकारी ।।




संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - मैथिलीमे एहि पक्षीकेँ मोर अथवा मयूर कहल जाइत अछि । मयूर लिखला पर किछु लोक एकर तत्सम स्वरूपक उच्चारण मयूर करैत छथि तँऽ किछु लोक अर्धतत्सम स्वरूपमे मजूर पढ़ैत छथि । उच्चारण भलहि किछु हो पर लीखए काल मयूर लीखल जाइत अछि । मजूर लिखलासँ ओकर अर्थ मजदूर होइत अछि

* - अंग्रेजीक PEAFOWL सँ मयूरक दुहु लिङ्गक बोध होइत अछि, जखनि कि PEACOCK  सँ मोर आ PEAHEN सँ मोरनीक बोध भेल ।

* - प्राकृतिक रूपसँ मोर एखन पच्छिम भारतक प्रदेश सभमे (राजस्थान आ ओकर सीमासँ सटल आन प्रदेश सभक भूभागमे) पाओल जाइत अछि । बहुत पहिने जहिया अपना दिशि सघन वन छल तहिया सम्भवतः अपनहु दिशि प्राकृतिक रूपसँ भेटैत छल ।

* - मयूरक जे सुन्नर पाँखि प्रशिद्ध थिक आ जकरा कारण संस्कृतमे एकरा चित्रपत्रक सेहो कहल गेल अछि से वास्तवमे मात्र नर मयूरकेँ होइत अछि । स्त्री मयूरकेँ ओहेन आकर्षक पाँखि नञि होइत अछि ।

*- भारतक मोरक कण्ठ गाढ़ नील (INDIGO / DEEP BLUE) रंगक होइत अछि तेँ एकरा संस्कृतमे नीलकण्ठ नाम सेहो देल गेल अछि । एकर मूल क्षेत्र सम्पुर्ण भारतक अतिरिक्त नेपाल, भूटान, बाङ्गला देश आ श्रीलंकाकेँ मानल जाइत अछि । ते एकरा भारतीय मोर (INDIAN PEAFOWL / Pavo cristatus) सेहो कहल जाइत अछि । भारत श्रीलंका राष्ट्रिय चिड़ै (NATIONAL BIRD OF INDIA & SRI LANKA) अछि ।

*- प्राणी (जैविक) उद्यानसभमे (ZOO) जे उजरा मोर देखैत छी से मोरक कोनहु आन प्रकार नञि अछि । वास्तवमे ओ भारतीय नील मोर थिक जे एकटा विरले जैववैज्ञानिक (RARE BIOLOGICAL PHENOMENON) वा आनुवांशिक परिघटना (RARE GENETIC PHENOMENON) केर फलस्वरूप उत्पन्न भेल अछि । एहि विरले आनुवंशिक परिघटनाकेँ जैववैज्ञानिक लोकनि उत्परिवर्तन (MUTATION) कहैत छथि । तेँ उजरा मोरकेँ (WHITE PEAFOWL) नील मोरक उत्परिवर्तित प्रतिरुप (MUTATIONAL VARIANT) कहि सकैत छी ।


    एकर अतिरिक्त विश्वमे मोरक आन दू प्रकार सेहो अछि । पहिल अछि हरियर मोर या जावा मोर (GREEN / JAVA PEAFOWL / Pavo muticus ) आ दोसर अछि कॉङ्गो मोर या अफ्रिकी मोर (CONGO / AFRICAN PEAFOWL / Afropavo congensis) । जावा मोर भारतीय मोर जेकाँ होइत अछि आ म्यांमार, जावा, सुमात्र आदि देश ओ द्वीपसमूहमे भेटैछ । एकर गर्दनि केर रंग नील नञि भऽ कऽ हरियर होइत अछि । कॉङ्गो या अफ्रिकी मोर बहुतहु परिप्रेक्ष्यमे भारतीय मोरसँ भिन्न होइत अछि ।


*- मोर आ चकोर दुहु मयूर कुल (Family - Phasianidae) केर चिड़ै अछि जँ मोरक आकर्षक पाँखि हटाए देल जाए तँऽ दुहु मिलैत - जुलैत सनि लागत । प्रायः एहि कुलक पक्षी बेसी दूर नञि उड़ि पाबैत अछि ।

*- मोरकेँ अरबी भाषामे ताऊस”  कहल जाइत अछि । मुगल बादशाह शाहजहाँ जाहि सिंहासन पर बैसैत छलाह ओकर नाम छल तख्त-ए-ताऊस मतलब कि मोर सिंहासन या मयूर सिंहासन । एहि सिंहासनक आकृति मोर सनि छल । दू टा मोरक अनुकृतिक बीच बादशाहक गद्दी छल आ गद्दीक पाछाँमे सेहो एक टा मोरक अनुकृति छल ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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