बेङ्ग
आ भेंक (बाल कविता)
देखू ! देखू ! ई छै बेङ्ग ।
टर्र-टेँ, टर्र-टेँ करइछ बेङ्ग ।।
हरियर -
पीयर ढाबुस बेङ्ग ।
गाल फुला कोना
बाजए बेङ्ग ।।
खत्ता - डबरा -
पोखरि बेङ्ग ।
मेघक लगितहि
कुदकए बेङ्ग ।।
बेङ्गहि सनि
देखू ई भेंक ।
पर ने टर्र -
टर्र करइछ भेंक ।।
बौआ फेंकलक जुमा कऽ ढेप ।
डुम्मी काटि कऽ
भागल बेङ्ग ।।
बेशी सर्दी,
बेशी घाम ।
सहि ने पाबए ओक्कर चाम ।।
तेँ बरिसातक पहिने - बाद ।
माटिक तऽर रहए
निर्बाध ।।
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
देखबामे एकरंगाह होएबाक कारण
भेंक आ दादुर मैथिली साहित्यमे
− विशेषतः काव्य साहित्यमे − बहुधा बेङ्ग केर पर्यायवाचीक रूपमे प्रयुक्त होइत अछि
परञ्च ई दुहु वास्तवमे अलग - अलग जीव थिक । बेङ्ग केर त्वचा स्निग्ध आ
चिक्कन होइत अछि, ओकर जबड़ामे दाँत होइत अछि, नर बेङ्ग टर्र -टेँ केर अबाज निकालि
सकैत अछि जखनि कि भेंक केर त्वचा सुखाएल आ खरखर होइत अछि, ओकरा दाँत नञि
होइत अछि तथा ओ बेङ्ग जेकाँ अबाज नञि निकालि सकैत अछि । बेङ्गक बच्चाकेँ “बेङ्गची” आ भेंकक
बच्चाकेँ “भेंकशिशु” कहल जाइत अछि जकर प्रारम्भिक अकार माछक बच्चा सनि होइत अछि
आ विभिन्न स्तरक कायान्तरण प्रक्रिया (METAMORPHOSIS) केर बाद चिरपरिचित वयस्क
स्वरूपकेँ प्राप्त करैत अछि ।
·
बेङ्ग
/ बेंग (मैथिली) = मेंढक (हिन्दी) = FROG
(ENGLISH) = Rana spp. & Others (जैववैज्ञानिक
नाम)
·
भेंक / दादुर (मैथिली) = भेंक / दादुर (हिन्दी) = TOAD (ENGLISH) = Bufo spp. & Others (जैववैज्ञानिक नाम)
बेङ्ग आ भेंक - ई
दुहु उभयचर वर्गक जन्तु अछि अर्थात पानि आ माटि दुनु स्थानमे विचरण करैछ ( उभय =
दुहु / दुनु तथा चर = विचरण कएनिहार / रहनिहार) । उभयचर वर्गकेँ अंग्रेजीमे क्लास
एम्फिबिया (Class AMPHIBIA) (Amphi =
Both & Bion/Bios = Life) कहल जाइत अछि । उभयचर वर्गक जन्तुसभ शीतरक्तीय / अनियततापी / बाह्यतापी (COLD BLOODED / POIKILOTHERMIC / ECTOTHERMIC) जीव होइत अछि यानि कि ओकरसभक शरीरक तापमान वातावरणक
तापक्रमक अनुसार घटैत बढ़ैत अछि । तेँ वातावरणक तापमानक बहुत बेशी कम होएब आ बहुत
बेशी बढ़ब एहि तरहक जीव सभक लेल जानमारुक होइत अछि । एहना अवस्थामे ओ सभ जमीनक
भीतर नुका जाइत अछि । चुँकि जमीनक भीतरक तापमान जमीनक ऊपर जेकाँ घटैत - बढ़ैत नञि
अछि तेँ ओ एतए सुरक्षित रहैत अछि । एहि समय ओ जीवसभ बेशी हलचल नञि करैत अछि आ
जिउबाक लेल पुर्व सञ्चित भोजन (चर्बी) पर निर्भर करैछ । गर्मीक समयमे एहेन
प्रक्रियाकेँ गृष्मनिद्रा (AESTIVATION / ESTIVATION) आ ठण्ढीक समयमे शीतनिष्क्रियता (HIBERNATION) कहल जाइत अछि । शरीरक तापसन्तुलनक (THERMOREGULATION) एहि तरहक प्रक्रिया सरिसृप वर्ग (Class REPTILIA) केर प्राणीसभमे (यथा - साँप आदिमे) सेहो देखल जाइत अछि । पक्षी आ स्तनपायी
वर्ग (Class AVES
& MAMMALIA) केर जीव (मनुक्ख
सेहो) ऊष्णरक्तीय / नियततापी / स्थिरतापी / अन्तःतापी / अन्तर्तापी (WARM BLOODED / HOMEOTHERMIC / ENDOTHERMIC) होइत अछि अर्थात ओकर सभक शरीरमे एहेन व्यवस्था रहैत छै कि
वातावरणक तापक विरुद्ध ओ सभ अपन शरीरक तापमानकेँ एकटा निश्चित सीमामे बनओने रहैछ ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 193म अंक (01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक 193) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
No comments:
Post a Comment