सिरौली
या नकली नीलकण्ठ
(बाल
कविता)
हे नकली नीलकण्ठ ! तोहर छह
गजब पिहानी ।
असली भेल
अलोपित, तोँही राजा - रानी ।।*१
नील-हरित तोर
पाँखि, तोँहूँ बैसए छऽ ताड़ पर ।*२
गर्दनि छह ने नील
तोहर, मटियाही - पीयर ।।*३
नकली अशोक जे,
दुनिञा तकरा असली बूझए ।
सीता-अशोक जे छी
असली, से केओ ने चीन्हए ।।*४
तहिना तोहर
साम्राज्य बहुत, पसरल छह सौंसे ।
असली दुर्लभ,
नकली सर्वसुलभ, सब लोके ।।
नाम “सिरौली” तोहर छियऽह, बूझल से हमरा ।
अलग “सिरोली मएना” से जानए भरि मिथिला ।।*५
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - असली नीलकण्ठ
नञि देखाइ देबाक कारण लोक एकरे नीलकण्ठ मानि बैसल अछि । भ्रमक आओरो बहुत रास कारण
अछि ।
*२ - एकर पाँखि नील
रंगक होइत अछि जे उड़बा काल चमकैत हरिताभ-नील रंगक बुझि पड़ैछ । मिथिलामे पहिने
असली नीलकण्ठ सेहो बिजलीक ताड़ पर बैसल भेटैत छल तहिना ईहो चिड़ै भेटैत अछि ।
*३ - एकर गर्दनि नील
नञि भऽ कऽ पीयर सनि होइत अछि । एहि चिड़ैकेर बिदेशी किछु प्रजातिसभमे (SUB-SPECIES) पीयर गर्दनि पर नील आभा रहैत अछि पर ओ सभ उत्तर भारतमे नञि
पाओल जाइछ आ नहिञे कहियो पहिने पाओल जाइत छल । तेँ ओ नीलकण्ठ नञि भऽ सकैछ । तेलुगू
भाषामे एकर नाम “पलपित्त” अछि जखनि कि कन्नर
भाषामे “नीलकण्ठी” कहबैछ । सम्भवतः कन्नर
भाषाक नीलकण्ठीसँ ई भ्रम उपजल कि इएह संस्कृतक नीलकण्ठ अछि । पर जे हो, मैथिलीक
नीलकण्ठ ई नञि अछि ।
*४ - आइ - काल्हि
जाहि शोभा वृक्षकेँ अशोक नामसँ जानल जाइत अछि से वस्तुतः नकली अशोक छी । रावणक
अशोक वाटिकाक अशोक जकर कि चिकित्सकीय प्रयोग आयुर्वेदमे बताओल गेल अछि, से अलग अछि
। ओकरा आइ - काल्हि “सीता अशोक” कहल जाइत अछि आ इएह असली अशोक अछि जकर प्रयोग अशोकारिष्ट आदि बनएबामे होइत
अछि ।
*५ - मिथिलामे एकरा “सिरौली” नामसँ जानल जाइत अछि (सिरोली
नञि) । सिरोली एकटा अलग चिड़ै अछि, ओ एक तरहक मएना अछि ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 194म अंक (15 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक 194) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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ReplyDeletehttps://en.m.wikipedia.org/wiki/Saraca_asoca
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Deletehttps://www.ugaoo.com/knowledge-center/tree-saga-the-sita-ashoka-tree/
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