लालबोङ्गी या ललबोंगी (बाल कविता)
छोट चिड़ैञा मीठ बाजैत अछि ।
पेटक निचला भाग लाल अछि ।
इएह कारणेँ भरि मिथिलामे, चिड़ै ओ “लालबोङ्गी” कहबैतछि ।।*१
किछु केर माथ
छै पूरा कारी ।
पेटहु उज्जर -
भूरा - कारी ।
मुदा पेट केर निचला हिस्सा, लाल − तेँ लालबोङ्गी कहबैतछि ।।*२
आनक छाती, पेटहु
उज्जर ।
आँखिक पाछाँ लाल छी सुन्नर ।
एकरहु पेटक निचला हिस्सा, लाल − तेँ लालबोङ्गी कहबैतछि ।।*३
दुहुक माथ पर कारी कलगी ।
पहिलुक छोट, दोसरक
बड़की ।
दूरसँ देखि कऽ भ्रमित भेलहुँ हम, दू-दू टा किए लोल रहैतछि !! *४
बोल मीठ एहि
दुहु प्रकारक ।
छी सदस्य बुलबुल
परिवारक ।
बुलबुल रहितहुँ रूप विशिष्टहि, तेँ ओ लालबोङ्गी कहबैतछि ।।*५
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - मैथिलीमे व्यापक रूपेँ मनुक्खक “वङ्क्षण-प्रदेश”केँ (INGUINAL REGION) “बोङ्ग” कहल जाइत अछि, जे कि पेटक नीचाँ अवस्थित होइत अछि ।
ओना अतिसीमित अर्थमे “वृषण” (TESTIES) सेहो होइत अछि मुदा, एहि ठाम अभिप्राय वङ्क्षण-प्रदेशहिसँ अछि । चूँकि, एहि
चिड़ै केर पेटक निचलुका भाग लाल होइत अछि तेँ साम्यक आधार पर एकर नाम “लालबोङ्गी / ललबोंगी” पड़ल ।
*२ - किछु लालबोङ्गीक माथ पूरा कारी होइत अछि गर्दनि
केर अगिला भाग, वक्ष (छाती) ओ उदर (पेट) सेहो भूरा - कारी सनि रंगक होइत अछि । एकर
कनपट्टीमे लाल रंग नञि होइत अछि । पर, वङ्क्षण-प्रदेश लाल अवश्य रहैत अछि । ई
चिड़ै भेल “कारी मूरीबला लालबोङ्गी” जकरा अंग्रेजीमे RED VENTED BULBUL कहल जाइत अछि ।
*३ - किछु लालबोङ्गीक कनपट्टीमे दुहु कात लाल रंगक एकटा
पट्टी रहैत अछि संगहि ओकर वङ्क्षण-प्रदेश सेहो लाल रहैत अछि । ओकर गर्दनि केर
अगिला भाग, वक्ष (छाती) ओ उदर (पेट) स्वच्छ उज्जर रंगक होइत अछि । ई चिड़ै भेल “लाल कनपट्टीबला लालबोङ्गी” जकरा अंग्रेजीमे RED WHISKERED BULBUL कहल जाइत अछि ।
*४ - दुहु प्रकारक लालबोङ्गीक माथक ऊपर एक-एक गोट कारी
रंगक नमगर-तिकोणी (NARROW
ELONGATED TRIANGULAR) कलगी (CREST) होइत अछि । लाल कनपट्टीबला लालबोङ्गी केर कलगी अपेक्षाकृत बेसी पैघ होइत अछि
आ दूरसँ एहेन सनि लागैत अछि जेना ओहि चिड़ैकेँ दूटा लोल होअए − एकटा नीचाँ मूँहें
आ दोसर ऊपर मूँहें ।
*५ - अरबी, फारसी, हिन्दी आदि भाषासभमे ई “बुलबुल” नामक चिड़ै केर अन्तर्गतहि आबैत अछि
मुदा, मैथिलीमे एकर विशिष्ट रंगक कारण एकरा पृथक नाम देल गेल अछि । ओना, प्राणीशास्त्रक अनुसारेँ बुलबुल परिवार (Family - PYCNONOTIDAE) केर सदस्य तँऽ अछिअहि (अछिए) ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 205म अंक (01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक 205) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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