Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Sunday, 17 July 2016

पद्य - ‍२०० - खढ़िआ या खड़ेहा (बाल कविता)

खढ़िआ या खड़ेहा (बाल कविता)



खुसुर - फुसुर की बाजैत छी ? - सुनि लेलहुँ यौ कक्का !
खढ़िआ सनि तोर कान ठाढ़ छौ − छेँ तोँ परम उचक्का ।।*

गलती कऽ कऽ  भागि  गेलेँ तोँ - छेँ  उकपाती  बच्चा ।
खड़ेहा सनि  तोर टाङ्ग तेज छौ,  पर  पकरएबेँ पक्का ।।*

किछु तँऽ छै खड़गोशहि सनि केर, पर भिन्ने छै खढ़िआ ।
किछु छै एकरंगाह, अलगहि किछु, जहिना घोड़ा - गदहा ।।*

खढ़िआ भेटैछ  जंगल - झाड़मे, जीव छी  शुद्ध बनैया ।
खरगोशक सनि रहितहु ओ ने,  भेल मनुक्खक पोशुआ ।।

बिल नञि  ओ बनबैछ,  रहैतछि  नुका  सघन झाड़ीमे ।
बाध - बोनमे देखबै,  आबैत - जाइत  खऽढ़ - खरहीमे ।।*

ओ  तँऽ  शुद्ध  छी  शाकाहारी,  गाछ - पात  आहार ।*
पैघ बाज-चिल्होरि-गिद्ध केर,  ओ बनि जाइछ शिकार ।।*



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* * - खढ़िआ/खड़ेहा सनि कान ठाढ़ होयबखढ़िआ/खड़ेहा तेज टाङ्ग होयब ई दुहु मैथिलीक सुप्रशिद्ध कहबीसभमेसँ अछि ।

* - वयस्क खढ़िआ/खड़ेहा आओर खड़गोश देखबामे एकदम एकरंगाह प्राणी लागैत अछि तेँ ओकर नाँओसभ साहित्यमे बहुधा पर्यायी जेकाँ प्रयुक्त भेल अछि पर वास्तवमे दुहु एकदम्महि भिन्न प्रकारक प्राणी अछि ।

* - खढ़िआ/खड़ेहा खऽढ़, खरही या आन ताहि तरहक प्राकृतिक झाड़ी सदृश (BUSHY) जंगली आवास - क्षेत्रमे रहैत अछि । ओ रहबा लेल खड़गोश जेकाँ बियरि (बिल) (UNDERGROUND BURROW / RABBIT HOLES) नञि बनबैत अछि अपितु जमीनहि पर अऽढ़ जगह पर सुखायल घास - फूस केँ जमा कए रहबा लेल अस्थाई घऽर बनबैत अछि ।

*- खड़गोश आ खढ़िआ/खड़ेहा दुहु शुद्ध शाकाहारी जीव अछि । खड़गोश प्रायः कोमल घास खाइत अछि जखनि कि खढ़िआ/खड़ेहा ताहिसँ किछु दृढ़ वस्तु (जेनाकि गाछक छाल, छोट-मोट झाड़ीसदृश गाछक शाखा आ पातसभ) खाइत अछि ।

*- शिकारी चिड़ैसभक (RAPTORS) प्रिय शिकारमेसँ (PREY) खढ़िआ/खड़ेहा एक अछि ।



               करिया घेंटबला खढ़िआ/खड़ेहा (INDIAN HARE / BLACK-NAPED HARE / Lepus nigricollis) भारतक मूल निवासी (NATIVE SPECIES) अछि । ओ प्ररम्भहिसँ भारतीय उपमहाद्वीप पर रहैत आबि रहल अछि ।




मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍205म अंक (‍01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक ‍205) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



No comments:

Post a Comment