घियारी कीड़ा या कुम्हरा भेम्ह (बाल कविता)
ई की छियै ? − घियारी छै ।
कीड़ा कोन ? −
घियारी छै ।
माटिक सुन्नर घऽर आ घऽरक बासी - दुहु घियारी छै ।।*१
कुम्हरा भेम्ह छी एकरे नाम ।
बौका भेम्ह कहए किछु ठाम ।
भेम्हसँ भम्हरा नञि बुझू, ई ओहिसँ अलग घियारी छै ।।*२
कोन प्रयोजन ? − रहबा लए ।
अण्डा - बच्चा
पोषबा लए ।
बहुबिध छैक “घियारी-कीड़ी”, तेहने “घऽर-घियारी” छै ।।*३
पैघ घियारी − फूल चूसैए ।
अण्डा - बच्चा एतए रहैए ।
ठूसल मारि पचहिया-बिढ़नी, ई कोन बात नियारी छै ।।*४
अण्डासँ निकसल बच्चा ।
जिउतै ओहि बिढ़नीकेँ खा ।
पैघ हैत, उड़ि जैत फेर ओ, जाहि ठाँ फूल-कियारी छै ।।*४
माटि सानि थूकेँ
बान्हल ।
या अधपच काठक ठानल ।
निर्माणक साहित्य विविध छै, बहुविध रूप घियारी छै ।।*५
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - साधारणतः एहि तरहक माटिक कलाकृतिकेँ आ ओकरा
बनबएबला कीड़ा या कीड़ी दुहुकेँ “घियारी” कहल जाइत अछि । भ्रम नञि हो तेँ एहि
तरहक कीड़ाकेँ “घियारी कीड़ा” या “घियारी कीड़ी” कहल जा सकैत अछि ।
*२ - “घियारी कीड़ा” या “घियारी कीड़ी” केँ बहुत ठाम “कुम्हरा भेम्ह” कहल जाइत अछि । भेम्ह नाम होयबाक कारणेँ
एकरा भम्हरा (भँवरा) नञि बूझल जाए । ई भम्हरासँ (भँवरासँ) एकदम्मे भिन्न अछि । उकाठी
कएला पर कटबाक प्रवृत्तिक कारण सम्भवतः एकरा संगे “भेम्ह” शब्द जुड़ल अछि । भम्हरा (भँवरा) जेकाँ उड़बा काल भम्-भम् केर आबाज नञि
होयबाक कारण एकरा “बौका भेम्ह” सेहो कहल जाइत अछि ।
*३ - विश्वमे घियारी किड़ीक बहुते प्रकारसभ अछि तहिना
ओकरा द्वारा बनाओल गेल घऽर (घियारी) केर विविध रूप - रंग । अंग्रेजीक MUD DAUBER WASP केर अधिकांश
जाति आ POTTER WASP / MASON WASP सभ घियारी शब्दक अन्तर्गत आबैछ । एहि तरहेँ करीब 200 (दू सए) वंशक (GENERA) 3200 जातिक (SPECIES) समावेश घियारी किड़ीक रूपमे अछि ।
*४ - वयस्क घियारी कीड़ी एहि घियारीरूपी घऽरमे नञि रहैत
अछि । स्त्री घियारी किड़ी एहि घऽरकेँ बनबैत अछि । ओहिमे अण्डा दैत अछि । अण्डा
देबासँ पहिने ओहिमे जीविते बिढ़नी आ पचहियासभकेँ अपन दंशसँ अपाहिज कऽ कऽ ठूसि दैत
अछि । घियारी किड़ीक अण्डासँ जखन बच्चा निकलैत अछि तँऽ ओ सभ एहि बिढ़नी आ पचहियासभकेँ
खा कऽ पैघ होइत अछि । पैघ (वयस्क) भेला पर ओसभ ओहि घियारीकेँ छोड़ि भागि जाइत अछि
आ फूलक रस पिउबि अपन शेष जिनगी निमाहैत अछि । सम्भवतः इहो एकटा कारण थिक जे एकर
मैथिली नामक संग “भेम्ह” शब्द जुड़ल अछि ।
*५ - किछु घियारी माटिकेँ घियारी कीड़ी अपन थूकमे (SALIVA,लेर) सानि कऽ बनबैत अछि, तेँ “कुम्हरा भेम्ह” नाम पड़ल । किछु घियारी किड़ी घियारी बनएबाक लेल
अधपच काठक (SEMI
DIGESTED CELLULOSE, अर्धपाचित काष्ठ) प्रयोग करैछ ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 205म अंक (01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक 205) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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