नीर मएना या धार मएना (बाल कविता)
मएनहि सनि, मएनहि छी बूझू,
पर तइयो किछु अन्तर छी ।
मएनाक लोल छी पीयर
रंगक,
संतोला - रंग एक्कर
छी ।।*१
मएना भेटत घऽर -
आङ्गनमे,
ताहि ठाँ कम्महि भेटत ई ।
नदी - धार - नालाक
कातमे,
जंगल - झाड़क बासी
ई ।।*२
बहैत पानि केर कातक
भिण्डा,
घास - फूससँ झाँपल छी ।
ताहि ठाँ बियरि बना कऽ रहइछ,
बियरहि एक्कर खोंता छी ।।*३
ई मएना रहइछ ने गाछ पर,
जेना बगेरी, सुगबा सीकी ।
गाछ पर ओ खोंता ने
बनबैछ,
मुदा झुण्डकेँ बैसल देखी ।।*३
भारतीय उप -
महाद्वीप केर,
बस अगबहि छी थाती ई ।
विश्वमे अन्तऽ नञि
भेटैछ,
आसामसँ सिन्धक बासी ई ।।*४
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - मएनहि सनि = साधारण मएना - जे कि घऽर-आङ्गनमे
भेटैत अछि - तकरहि सनि मोटा-मोटी रूप । तथापि एकर रंगमे बहुत किछु विशिष्ट अन्तर
थिक । संगहि, आन बहुत रास बातमे अन्तर थिक ।
*२ - ई मएना बेसीतर मीठ पानिक बहैत श्रोतक (RUNNING FRESH-WATER SYSTEMS) कातमे भेटैत
अछि । ओना एकर प्राकृतिक आवास क्षेत्र कम भऽ जयबाक कारणेँ स्थिर पानिक श्रोत लग
सेहो देखल जा सकैत अछि । तेँ एकर मैथिली, अंग्रेजी आ हिन्दीमे एकर ताहि तरहक नाम
थिक ।
*३ - ई चिड़ै गाछ पर खोंता नञि लगबैत अछि आ बगेरी ओ
सुगवा-सीकी नामक चिड़ै जेकाँ माटिक भीतर बियरि (बिल) (UNDERGROUND BURROW) बनाए रहैत अछि
। नदी, धार, नहरि, पैघ नाला आदिक भीड़
(भिण्डा) पर जाहि ठाम मनुक्खक आबर-जात कम रहैछ आ जे घास-फूस झाड़ी आदिसँ झाँपल
रहैछ ताहि ठामक नम-भूमिमे ई चिड़ै बियरि बनबैछ । इएह बियरि एकर खोंता थिक । कखनहु
- कखनहु पुरना परित्यक्त ईनारक भीतमे सेहो बियरि बनाए खोंता बनबैत अछि । ई चिड़ै
प्रायः छोट-छोट झुण्डमे रहैत अछि ।
*४ - ई मएना भारतीय उपमहाद्वीप (INDIAN SUBCONTINENT) केर मूल निवासी (NATIVE
SPECIES) अछि । एतहु ओ
मात्र किछु सीमित भू-भागहिमे भेटैत अछि । पच्छिममे रावी-सतलुज-सिन्धु केर मैदानी
भागसँ लऽ कऽ पूबमे गंगा नदीक त्रिमुहानी या डेल्टा (DELTA) क्षेत्र धरि भेटैत अछि । दच्छिनमे उपरोक्त मैदानी
भागक दछिनबरिया सीमा धरि आ उत्तरमे हिमालयक तराई क्षेत्र धरि भेटैत अछि ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 205म अंक (01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक 205) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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