ब्राह्मिणी मएना या बभनी मएना (बाल कविता)
घर - आङ्गन नहिञे भेटैत अछि ।
लोकहु कहाँ बेसी
चिन्हैत अछि ?? *१
कण्ठ सिरौली सनि लागैत अछि ।
पीयर - नील लोल
शोभैत अछि ।।*२
भारत ओ नेपाल फिरैतछि
।
देश पड़ोसी
सेहो घुमैतछि ।।*३
माथ पर कारी शिखा
रहैतछि ।
तेँ “ब्राह्मिणी
मएना” कहबैतछि ।।*४
कीड़ा - मकोड़ा - फऽड़ चिखैतछि ।
फूलक रस ओ सेहो पिउबैतछि ।।*५
ढाक आ सिम्मर
फूल रुचैतछि ।
मएनासँ − से नञि पटैत अछि ।।*६
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - ब्राह्मिणी मएना घऽर-आङ्गनमे प्रायः नहिञे देखाइ
दैत अछि आ तेँ अपना दिशि घऽर आङ्गन धरि रहएबला लोकसभ बेसीतर एकरा नञि चिन्हैत छथि
आ जञो चिन्हबहु करैत छथि तँऽ नाम नञि जनैत छथि । ई चिड़ै खेत-पथाड़ आ पड़ती
चऽड़-चाँचरमे बेसी देखाइ दैत अछि । तेँ जे लोक खेतीक क्रममे वा माल-जाल चड़एबाक
लेल वा घास कटबाक लेल बाध-बोन जाइत रहैत छथि ताहिमेसँ किछुए लोक नामसँ एकरा
चिन्हैत छथि ।
*२ - एकर लोलक (BEAK / BILL) आगाँ दिशि पीयर आ पाछाँ दिशि गाढ़ नील
रंगक होइत अछि । एकर गर्दनि केर अगिला भागक केसक रंग ओ केसक विन्यास सिरौली (नकली
नीलकण्ठ) नामक चिड़ैसँ मिलैत अछि ।
*३ - ई चिड़ै भारत ओ नेपालक स्थायी निवासी (RESIDENT BREEDER) अछि । मुदा पाकिस्तानक सिन्ध प्रदेश धरि भेटैछ । ओ
ठण्ढीक समयमे श्रीलंकामे आ गर्मीक समयमे हिमालयक अपेक्षाकृत ऊँच क्षेत्र धरि सेहो
देखल जा सकैत अछि ।
*४ - एकर माथक उपरुका रंग गाढ़ कारी आ गर्दनि ओ देहक
रंग बदामी-पीयर (BUFFY CREAM
COLOUR) होइत अछि । माथक उपरुका कारी रंगक भाग आकारमे तिकोण होइत अछि
जे कि देखबामे ब्राह्मणक शिखा (गोखुर आकृतिक टीक) सनि लागैत अछि ।
ओना तँऽ माथपर
एहि तरहक कारी भाग प्रायः सभ मएनाकेँ रहैत अछि पर एहि मएनाक देहक रंग बदामी-पीयर
होयबाक कारण एकर शिखा दूरहिसँ स्पष्ट देखबामे आबैत अछि । इएह साम्य - वैशिष्ट्य
संस्कृत, मैथिली, हिन्दी ओ आन भारतीय भाषामे एकर विभिन्न नामक कारण थिक । एकर
जैववैज्ञानिक वा प्राणीशास्त्रीय नाँओ सेहो इएह आधारसँ प्रभावित अछि ।
*५ *६ - ई चिड़ै
कीड़ा-मकोड़ा आ फऽल तँऽ खाइतहि अछि मुदा, किछु पैघ फूलक मकरन्द सेहो चूसैत अछि । एहि
परिप्रेक्ष्यमे ई साधारण मएनासँ भिन्न अछि मुदा, सिरोलीसँ (सिरोली मएनासँ) मिलैत
अछि । पैघ लाल फूल जेना कि पलाश (Butea
monosperma), सिम्मर (Bombax ceiba syn. Salmalia malabarica) आ पारिभद्र (Erythrina variegata) आदिक फूलक
परागक ई चिड़ै बेसी प्रेमी अछि ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 205म अंक (01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक 205) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
No comments:
Post a Comment