गिद्ध
(बाल कविता)
बड़की टा केर चिड़ै छिऐ,
आ पंखक पैघ पसार
छै ।*१
हेय दृष्टिसँ लोक देखै पर,
ओक्कर बड़ उपकार
छै ।।
मुर्दाखौक अशुभ परिचायक,
पैघ लहाश आहार छै ।
छोट जीव खरहा
आ मूसक,
सेहो करैछ शिकार छै ।।*२
मृत प्राणीकेँ खा धरती
केर,
करइत ओ सिंगार छै ।
ओकरा बिनु धरती पर सौंसे,
मृत जीवक अम्बार
छै ।।*३
पछिला तीस बरखसँ एहिठाँ,
गिद्धक पड़ल अकाल छै ।
छी अकाल केर मूल
मनुक्खे,
ओकरे करनी काल
छै ।।*४
मृत गो महींष
बड़द तँऽ बूझू,
भऽ गेल आब जंजाल छै ।
धार नदी ओ नहरि बाढ़िमे,
सड़ैत लहाशक टाल
छै ।।*५
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - शिकारी पक्षीमे
प्रायः गिद्ध सभसँ पैघ होइत अछि । भारतमे मुख्यतः एकर पाँच टा प्रजाति पाओल जाइत
अछि -
·
WHITE
RUMPED VULTURE = Gyps
bengalensis
·
INDIAN
VULTURE = Gyps
indicus
·
SLENDER
BILLED VULTURE = Gyps
tenuirostris
·
HIMALAYAN
VULTURE = Gyps
himalayensis
·
GRIFFON
VULTURE / EURASIAN GRIFFON = Gyps
fulvus
*२ - ई चिड़ै
प्राथमिक रूपेँ मुर्दाखौक (SCAVANGER) अछि पर आवश्यकता पड़ला पर मूस, खरहा, खरगोश आदि
प्राणिक शिकार सेहो करैत अछि । तेँ एकरा मुर्दाखौक
शिकारी पक्षी (SCAVANGING BIRD OF PREY) कहल जाइत अछि ।
*३ - गिद्ध अपन
समाजमे प्रायः अशुभक परिचायक मानल जाइत अछि पर वास्तवमे ओकर एहि धरती पर बड़ पैघ
उपकार छै । ओ मृत प्राणीकेँ खा कऽ एहि धरतीकेँ स्वच्छ रखेत अछि, एहि धरतीक सिंगार
करैत अछि, धरती पर महामारीकेँ पसरबासँ रोकैत अछि ।
*४ - पछिला तीस
बरखसँ (सन् 1990सँ) भारत ओ नेपालमे गिद्धक संख्या बहुत तेजीसँ घटल अछि आ
एहि ठाम भेटए बला गिद्धक जातिसभ विलुप्त होएबाक कगार पर पहुँचि चुकल अछि । एकर
मुख्य कारण अछि पोशुआ पशु (माल - जाल) केर बेमार अवस्थामे सुई (INJECTION) केर रूपमे उपयोग होमए बला
एकटा दबाई जकर नाम अछि DICLOFENAC SODIUM । ई दबाई
मवेशीसभकेँ बोखारमे, चोट लगला पर, घाव-घोषसँ दर्द भेला पर देल जाइत छल । एहि दबाईक
किछु अंश मवेशीसभक शरीरक चर्बी ओ मांसुमे सञ्चित भऽ जाइत अछि आ मुइलाक बाद आहार श्रृंखला (FOOD CHAIN) द्वारा गिद्धक पेटमे चलि जाइत छल । एहि दबाईकेँ गिद्ध नञि
पचा पाबैत छल आ ओकर तत्काल प्रभावसँ गिद्धक आँत आ आन अंगसभमेसँ रक्तस्राव (INTERNAL BLEEDING / HAEMORRHAGE) होमए लागैत छल जाहि कारणेँ गिद्धक मृत्यु भऽ जाइत छल । एहि
तरहेँ मनुक्ख ओ माल - जालक लेल प्राणरक्षक दबाई गिद्धक लेल सद्यः प्राणघातक भऽ
जाइत छल । आब भारत, नेपाल ओ पाकिस्तान सरकार माल - जालमे एहि दबाई केर प्रयोग पर
रोक लगा चुकल अछि आ ओकरा बदला MELOXICAM दबाई प्रयोग करबा लेल कहल गेल अछि । MELOXICAM गिद्धक लेल घातक नञि अछि । एहि प्रतिबन्धक बावजूदहु आँकड़ा कहैत अछि जे
चोरा-नुका कऽ गाम-घऽरमे DICLOFENAC SODIUM केर प्रयोग मवेशीपर एखनहु भऽ रहल अछि ।
*५ - पहिने मृत
मवेशीसभकेँ (खास कऽ हिन्दूलोकनि द्वारा मृत गाएकेँ) गामसँ बाहर चऽरमे छोड़ि देल
जाइत छल जकरा गिद्धक झुण्ड किछुए कालमे खा जाइत छल पर आब से नञि भेलासँ बहुत
समस्या भऽ गेल अछि ।
विशेष - हिमालयी ग्रिफॉन गिद्ध ऊँच पर्वतीय क्षेत्रमे होयबाक कारण आ
संगहि अपन किछु विशिष्ट शारीरिक क्षमताक कारणेँ DICLOFENAC SODIUM केर दुष्प्रभावसँ सबसँ कम प्रभावित भेल । भारतमे पाओल जाए बला शेष सभ गिद्धक
प्रायः निनानबे प्रतिशतसँ बेशी (>99%) संख्या समाप्त भऽ चुकल अछि आ आब ओ सिर्फ संरक्षित स्थानहि
पर बाँचल अछि ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 203म अंक (01 जून 2016) (वर्ष 9, मास 102, अंक 203) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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