राजहंस
या हंसावर (बाल कविता)
हउए देखियौ
“अरुण - क्रुञ्च”,
वाह ! केहेन रमणगर लागैत छै ! *१
सागर तट पर झुण्डक - झुण्ड
ओ,
केहेन सोहनगर लागैत छै !! *२
खन सारस सनि ठाढ़ भेल छै,
खन हंसहि
सनि हेलैत
छै ।*३
हंसहि सनि
देखियौ गर्दनि,
ओ पानिसँ अनुखन खेलैत छै ।।
केओ कहैछ - छै “राजहंस” इएह,
केओ कहैछ - “हंसावर” छै ।*४
अपना दिशि
नञि छै भेटैत,
ओकरा बड़ रुचिगर सागर छै ।।*२
हंसहि सनि एकरहु
तँऽ मूँहमे,
छन्नी सनि
किछु लागल छै ।
कादो सानल
पानिसँ सेहो,
स्वच्छ आहार ओ
छानैत छै ।।*५
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - प्राचीन हिन्दू
धर्मग्रण्थसभमे जाहि “अरुण
क्रुञ्च” नामक चिड़ैकेँ
अग्निदेवताक वाहन बताओल गेल अछि से इएह चिड़ै थिक ।
*२ - ई चिड़ै समुद्र
तट पर रहब पसिन्न करैत अछि आ तेँ अपना दिशि नञि भेटैत अछि । भारतमे विशेष
कऽ पछबारी समुद्रतटीय घाट पर ई चिड़ै आबैत अछि आ किछु संख्यामे पुबारी समुद्रतटीय
घाट केर क्षेत्रमे (यथा - उड़ीसाक चिल्का झीलमे) सेहो । ई प्रबासी चिड़ै (MIGRATORY BIRD) थिक । गर्मीमे अफ्रिकाक समुद्री तटसँ भागि प्रायः दच्छिन-पच्छिम
एसियाक आ यूरोपक समुद्र तट पर आबैत अछि आ ठण्ढीमे पुनः ओतहि चलि जाइत अछि ।
*३ - ठाढ़ भेल ई
चिड़ै लाल रंगक सारस (क्रुञ्च या क्रौञ्च) जेकाँ लागैत अछि आ तेँ संस्कृतमे एकर
एकटा नाम “अरुण
क्रुञ्च” अछि । पानिमे
हेलबा काल ई अनमन्न हंस सदृश लागैत अछि, हंसहि सनि एकर गर्दनि अंग्रेजीक “S” वर्ण जेकाँ देखाइ दैत अछि । एकर आबाज सेहो हंसहिसं मिलैत
अछि । इएह कारणेँ “राजहंस” सेहो कहबैत अछि ।
*४ - किछु लोक “अरुण क्रुञ्च” नामक चिड़ै केर पर्यायी नाँओ “राजहंस” सेहो मानैत छथि तँऽ किछु लोक एकरा “हंसावर” कहि सम्बोधित करैत छथि ।
*५ - एहि चिड़ै केर
लोलक भीतर एकटा छन्नी सनि संरचना (SIEVE LIKE STRUCTURE) होइत अछि जकर मदतिसँ कादो भरल पानिमेसँ सेहो अपन खएबा जोग बस्तुकेँ स्वच्छ
स्वरुपमे प्राप्त कऽ लैत अछि आ बाँकी अनावश्यक पदार्थकेँ बाहरहि छोड़ि (छाड़ि) दैत
अछि । एहि तरहेँ कहि सकैत छी जे प्राचीन शास्त्रसभमे वर्णित “नीर - क्षीर विवेक” (नीर = कादो वा
निर्माल्ययुक्त पानि; क्षीर = पोषक तत्त्वसभ) केर गुण राजहंसमे पाओल जाइछ ।
किछु विशेष बात
-
·
ई चिड़ै अपना दिशि (सम्पुर्ण मिथिलामे) नञि
भेटैत अछि । तेँ एकर कोनहु आन मैथिली नाम नञि अछि । एहना स्थितिमे हम
एहि ठाँ ओकर संस्कृतहि नामकेँ तत्सम स्वरूपमे मैथिली नामक रूपमे प्रयोग कयल
अछि ।
·
मैथिली तँऽ मैथिली, संस्कृतहुमे “राजहंस” नाम केर सन्दर्भमे बहुत
मत - मतान्तर अछि । परञ्च, संस्कृतक प्रशिद्ध ग्रण्थ “अमरकोश”मे देल गेल राजहंसक विवरण एहि चिड़ैसँ बेसी मेल खाइत अछि । संगहि आनहु बहुत
रास गुण-धर्म केर मिलानक आधार पर आइ-काल्हि बेसीतर विद्वान एकरहि “राजहंस” मानैत छथि । अमरकोशक अनुसार
राजहंसक विवरण निम्न प्रकारेँ अछि -
Ø ……… राजहंसास्तु ते चक्षुचरणैर्लोहितैः सितः ……….।।
Ø अर्थात्, राजहंस
ओ थिक जे सित वर्ण (किछु धूसरि उज्जर; नञि कि स्वच्छ उज्जर) केर अछि आ जकर चक्षु
(आँखि) ओ चरण (पएर) लोहित (लाल वा ललौन) वर्णक अछि ।
·
जाहि ठाम ई चिड़ै नञि पाओल जाइत अछि (मिथिलामे
सेहो) ओहि ठामक सहित्यकारलोकनि आ लोकसभ राजहंस चिड़ै केर रूपमे अपना मन केर
कल्पनाक अनुसार गढ़ि लैत छथि । अथवा, राजहंस शब्दक प्रयोग तँऽ करैत छथि पर
राजहंसकेँ प्रत्यक्षतः चिन्हबाक झंझटिसँ दूरहि रहैत छथि ।
·
हिन्दीमे
देल गेल एकटा आओर नाम अछि - “हंसावर” । ई नाम फादर कामिल बुल्के (अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश)
द्वारा देल गेल छल । पर, हिन्दीअहुमे आब एहि शब्दक प्रयोग कम भऽ गेल आ एहि चिड़ै
लेल “राजहंस” शब्दक प्रयोग होइत अछि ।
·
लॅमिङ्गो (राजहंस) केर विश्वमे कुल छओ (बेसीतर
प्रणीशास्त्री द्वारा मान्य) जाति अछि-
Ø GREATER FLAMINGO - Phoenicopterus roseus - बड़का राजहंस / गुलाबी राजहंस
Ø LESSER FLAMINGO - Phoenicopterus minor - छोटका राजहंस
Ø CHILEAN FLAMINGO - Phoenicopterus chilensis - चीलीक राजहंस
Ø JAMES’ (or JAMES’S) FLAMINGO - Phoenicopterus jamesi -
जेम्सक राजहंस
Ø ANDEAN FLAMINGO - Phoenicopterus andinus - एण्डीज पहाड़क
राजहंस
Ø AMERICAN FLAMINGO - Phoenicopterus ruber - अमेरिकाक राजहंस
उपरोक्त जातिसभमेसँ (BIOLOGICAL
SPECIES) पहिल दू गोट भारतमे भेटैत अछि । राजहंसक छओ जातिसभमेसँ
पहिल केर संख्या विश्वभरिमे सभसँ बेसी अछि ।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 204म अंक (15 जून 2016) (वर्ष 9, मास 102, अंक 204) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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