पपीहा (बाल
कविता)
पपीहा, देखू देखि
रहल अछि पपीहा ।
पपीहा, जा कऽ
सभसँ कहत पपीहा ।
पपीहा, देखू चुप नञि रहत पपीहा ।*१
पपीहा, मुदा केहेन होइछ
पपीहा ??
कू - कू - कू - कू कोइली गाबए ।
पी - पी पपीहा
राग अलापए ।
किछु कोइली सनि लागि रहल ओ,
लोल बाज केर
भ्रम उपजाबए ।।*२
बहुत किछु
कोइलीसँ मिलए पपीहा ।
लागए खन एक्के कोइली
- पपीहा ।
बहुत केओ कह पर्याय पपीहा ।
मुदा छी अलगे कोइली - पपीहा ।।*३
भरण-परजीवी कोइली सनि ओहो ।
आन चिड़ैकेँ
धोखबै छै ओहो ।
अपन ने
खोंता बनबै छै आ,
अनकहि खोंता अण्डा दैछ ओहो ।।*४
बहुत धोखेबाज चिड़ै छै पपीहा ।
केवल नर गाबए
गीत पपीहा ।*५
गीत, धोखा केर
गीत पपीहा ।*६
अहाँ देखितहुँ ने चिन्हब पपीहा ।।*७
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - ई तीनू पाँती
एक टा पुरान हिन्दी फिल्मी गीतक मैथिली अनुवाद थिक । फिल्मक नाम छल “फरियाद” जे सन १९६४ ई॰मे बनल छल
। एहि गीतमे कहल गेल बातकेँ वास्तविकतासँ कोनहु सम्बन्ध नञि थिक । पर मोनमे एक टा
जिज्ञासा अवश्य होइत अछि कि आखिर ई “पपीहा” नामक चिड़ै देखबामे केहेन होइत अछि ।
*२ - कोइली आ पपीहा
एक्कहि परिवारक चिड़ै अछि । दुनुकेर आवाज मनुक्खक लेल कर्णप्रिय थिक । पपीहा केर
लोल “बाज” नामक चिड़ै जेकाँ आगाँसँ
मुड़ल होइत अछि तेँ अंग्रेजीमे एकरा HAWK CUCKOO कहल जाइत अछि ।
*३ - बहुत लोक कोइली
आ पपीहाकेँ एक-दोसराक पर्यायी नाँओ बुझैत छथि पर से नञि - दुहु भिन्न चिड़ै थिक ।
*४ - सभ प्रकारक
कोइली आ पपीहा शिशु-भरण परजीवी (BROODING PARASITE) होइत अछि । ओ अपन अण्डा कौआ, करिया धनछुआ,
धनछुआ या एहि तरहक आन चिड़ैसभक खोंतामे दैत अछि जे कि शिशु-भरण
पोषक (BROODING
HOST) केर भूमिका निमाहैत अछि । शिशु-भरण परजीवी अपन अण्डा
चोड़ा-नुका कऽ शिशु-भरण पोषकक खोंतामे दऽ दैत अछि आ शिशु-भरण पोषक अपन अण्डाक
संग-संग परजीवीक अण्डाकेँ सेहो सऐत अछि, अण्डासँ बच्चाकेँ निखालेत अछि आ
खोअबैत-पिउपैत अछि । उड़बा जोकर भेलापर परजीवी कोइली या पपीहाहक बच्चा अपना-अपना
झुण्डमे भागि जाति अछि आ ताहि बच्चाकेँ भागि गेला पर स्त्री/मादा कौआकेँ उदास होइत सेहो देखल गेल अछि ।
*५ - नर/पुरुष कोइली
जेकाँ केवल नर/पुरुष पपीहा “पी - पी” केर आवाज निकालैत अछि, मादा/स्त्री पपीहा नञि ।
*६ - पपीहा “पी -
पी” केर आवाज वास्तवमे कौआ आदि केँ खौंझएबाक लेल
निकालैत अछि । कौआ खौंझा कऽ अपन खोंता छोड़ि नर/पुरुष पपीहाकेँ खेहाड़ैत
अछि आ ताहि बीचमे मादा/स्त्री पपीहा अपन अण्डा ओहि कौआक खोंतामे धऽ दैत अछि ।
कोइलीक “कू - कू” केर आवाज सेहो इएह तरहक
आवाज अछि ।
*७ - कएक बेर पपीहा सामने रहितो अछि तँऽ साधारण लोक ओकरा नञि
चीन्हि पाबैत अछि, ओकरा “बाज” बुझबाक धोखा कऽ बैसैत
अछि ।
पपीहा, कोइली आ मएना भूआ
खाए मे माहिर (EXPERT) होइत अछि । ओकरा बूझल रहैत छै कि भूआ (CATERPILLARS / CATERPILLAR LARVAE) केर कोन भाग
विषाह छै । भूआक विषाह भागकेँ ओ अपन चाङ्गुरसँ दाबि कऽ आ गाछक ठोस डाढ़ि पर रगरि
कऽ हटा दैत छै आ खा जाइत अछि ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 195म अंक (01 फरबरी 2016) (वर्ष 9, मास 98, अंक 154) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
वाह! कविता संगे नीक जनतब। लागैय बाज बला धोखा हमरो संग होइ अछि। भुआ खाय बाला जानकारी रोचक अछि
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रणवजी ।
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