माटिखोद्धी
या माटिखोधी (बाल कविता)
बैसल - बैसल माटि
खोधै छेँ,
माटिमे की
तोँ ताकै छेँ ?
गाछ लोलसँ ठक -
ठक करइत,
कठखोद्धी सनि लागै
छेँ ।।*१
हम ने अनेरो
माटि खोधै छी,
कीड़ा − खएबा
लेल तकै छी ।
गाछक छालकेँ
खोधि-खाधि कऽ,
सेहो अपन आहार
तकै छी ।।*२
काठ खोधि ने
धोधरि बनबी,
कठखोद्धीसँ भिन्न छी
हम ।*३
हमर लोल पातर - नमगर छी,
माटि खोधक उपयुक्त जेहेन ।।*४
माथ - वक्ष -
गर्दनि छी पीयर,
पीयर - नारंगी अछि
कलगी ।
खोधए काल माटि −
पंखा सनि,
शोभए माथ हमर
कलगी ।।*५
पछिला भाग पाँखि
आ नाङ्गरि,
श्वेत - श्याम एकान्तर
छी ।
कठखोद्धी देखब ने
माटि पर,
हमरा -
ओकरामे अन्तर छी ।।*६
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - नमगर आ पातर लोलसँ
माटि वा गाछक अलगल छाल पर बेरि - बेरि आघात करबाक कारण अपना दिशि सामान्य लोक एकरा
प्रायः कठखोद्धी बूझि लैत अछि ।
*२ - माटिखोद्धी
माटिक तऽरसँ आ गाछक छालक भीतरसँ कीड़ा-मकोड़ा आ ओकर अण्डा बच्चाकेँ ताकि कऽ खा
जाइत अछि ।
*३ - माटिखोद्धी
गाछक छालक भीतरसँ मात्र कीड़ा-मकोड़ाकेँ ताकि भक्षण करैत अछि; कठखोद्धी जेकाँ
काठकेँ खोधि कऽ धोधरि नञि बनबैत अछि ।
*४ - माटिखोद्धीक
लोल कठखोद्धीक लोलक अपेक्षा बहुत पातर आ नमगर होइत अछि जे किछु नम (भीजल) माटि आ
गाछक अलगल छाल खोधबाक लेल विशेष उपयुक्त अछि नञि कि मजगूत काठ खोधबाक लेल ।
*५ - माटिखोद्धीक
माथ पर नारंगी-पीयर रंगक कलगी (CROWN) होइत अछि । ई कलगी मुर्गाक कलगी जेकाँ अविभक्त
नञि भऽ कऽ अरीय ढंगसँ (RADIALLY) विभक्त वा खण्डित रहैत अछि । माटि खोधबा काल ई
कलगी पंखा जेकाँ फुजि जाइत अछि (FANNING) वा पसरि जाइत अछि ।
*६ - माटिखोद्धीक पछिला भाग पर एकान्तर क्रममे कारी आ उज्जर रंगक
पट्टी रहैत अछि । माटिखोद्धी जेकाँ कठखोद्धीकेँ माटि खोधैत नञि देखब ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 195म अंक (01 फरबरी 2016) (वर्ष 9, मास 98, अंक 154) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
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