चकबा
या चकेबा (बाल कविता)
साम - चक, साम -
चक, चक माने की ? *१
चकसँ चकेबा − से बुझही ।।
चकबा - चकेबा
एक्कहि बात ।
संस्कृतमे कहबए चक्रवाक ।।*२
एकरे नाम छी ब्राह्मिणी
हंस ।
कर अबाज जेना
करइछ हंस ।।*३
चक्रबद्ध निकसए छै
अबाज ।
तेँ कहबैछ ओ चक्रवाक ।।*४
सामा दाइकेँ पड़लन्हि श्राप ।
तेँ ओ भए गेलीह चक्रवाक ।।*१
ई छी एकटा चिड़ै केर नाम ।
बसए चिड़ै जे
दोसर ठाम ।।*५
उत्तर - भर ठण्ढा जे प्रदेश ।
ततहिसँ आबए अपना देश ।।*५
ठण्ढीमे आबए
एहि ठाम ।
शान्त जलाशय कर विश्राम ।।
कोशीक कछेड़, कोशी बैराज
।
एकर प्रिय - स्थली - प्रवास ।।*६
कहुखन बड़का पोखरि
बीच ।
पानिमे बत्तख सनि ई जीव ।।*६
रातिमे विचरए
सर्वाहारी ।
लोल पछलुका पाँखि
छै कारी ।।*७
स्वर्णिम बिचला
देह आ पाँखि ।
उज्जर गर्दनि
कारी आँखि ।।*७
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - संदर्भ पाँती −
“साम-चक, साम-चक अबिहऽ हे” − मिथिलाक विशिष्ट पाबनि “सामा - चकेबा”सँ । एहि पाबनिक कथामे सामा दाइ
श्रापक कारण चकेबा चिड़ै भऽ गेल छलीह ।
*२ - तत्सम “चक्रवाक” केर तद्भव रूप
अछि “चकबा” या “चकेबा” ।
*३ - हंस सनि आबाज
निकालबक कारण एकरा संस्कृत साहित्यमे “ब्राम्हिणी
हंस” सेहो कहल गेल अछि ।
*४ - चकेबाक ई हंसवत
आबाज चक्रबद्ध रूपमे नकलैत अछि (A SERIES OF
LOUD NASAL HONKING NOTES/CALL) तेँ संस्कृतमे
एकर नाम पड़ल “चक्रवाक” (चक्र = चक्रबद्ध तथा
वाक् = बोल/आवाज) ।
*५ - मिथिला सहित
सम्पुर्ण भारतवर्षमे चकेबा प्रवासी पक्षी (MIGRATORY BIRD) केर रूपमे आबैत अछि । एकर मूल स्थान उतरबारी एशिया (रूसक साइबेरिया क्षेत्र) आ
दच्छिन-पूब यूरोप अछि जाहि ठाम सालहु भरि भारतक अपेक्षा मौसिम ढण्ढा रहैत अछि ।
ठण्ढीक समयमे ओहि क्षेत्रसभमे असहनीय ढण्ढी पड़बाक कारण ई चिड़ै पड़ाए कऽ वा
प्रवास कऽ हिमालय केँ नाँघि भारतीय उपमहाद्वीपमे आबैत अछि आ एहि ठामक पैघ ओ मीठ
पानिक जलाशयसभमे, वा शान्त बहैत नदीक कछेड़ वा बाढ़िक पानिसँ बनल दलदली
क्षेत्रसभमे देखल जा सकैत अछि । नेपाल स्थित कोशी-बैराजमे कोनहु एक समयमे एहि
चिड़ै केर उपस्थिति चारि हजार (4000) धरि देखल गेल अछि ।
*६ - पानिमे हेलैत काल ई स्वर्णाभ-पीयर पाँखियुक्त बत्तख सनि
लागैत अछि । कहुखन - कहुखन सिल्ली जेकाँ सेहो लागैत अछि पर चकेबा आ सिल्ली दुहु दू
चिड़ै केर नाम थिक ।
*७ - एकर लोल आ पछिला नाङ्गरि परहक पाँखि कारी होइत अछि । शेष
पाँखि ऊपर सँ स्वर्णाभ-पीयर आ भीतरसँ उज्जर होइत अछि । वक्ष तथा उदर सेहो
स्वर्णाभ-पीयर रहैत अछि । माथ, गर्दनि आ मुख्य पंखक पछिला हिस्सा प्रायः उज्जर सनि
रहैत अछि ।
नाङ्गरि/लाङ्गरि आ नाङ्गर
मैथिलीमे श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द अछि -
·
नाङ्गरि/लाङ्गरि - पूँछ (TAIL)
·
नाङ्गर - प्रायः
एक पएरसँ विकलाङ्ग (HEMIPARESIS /
HEMIPARALYSIS / HEMIPLEGIC); दुहु पएरसँ
विगलाङ्ग तथा चलबा वा ठाढ़ हएबामे असमर्थ “लोथ” (PARAPARESIS / PARAPARALYSIS / PARAPLEGIC) कहल जाइत अछि ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 195म अंक (01 फरबरी 2016) (वर्ष 9, मास 98, अंक 154) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे
प्रकाशित ।
खूब नीक
ReplyDeleteधन्यवाद ।
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