ओ व्यक्ति की ?
(बालगीत)
(बालगीत)
ओ हृदय की ? जे ने दुःखक कोनो स्वाद चिखने हो ।।
ओ सैनिकहि की ? युद्ध मे जे भाग नञि लेलक ।
ओ नाविकहि की ? जे ने झंझावात सञो खेलल ।
ओ सोन की ? जे आगि केर नञि धाह सहने हो ।
ओ व्यक्ति की ? जे नहि समय केर मारि सहने हो ।।
तरुआरि की ? जे शत्रु केर शोणित सँ नञि भीजल ।
ओ आँखि की ? जे नोर सन अमृत सँ नञि तीतल ।
संजोगे की ? जे नञि वियोगक राति सहने हो ।
ओ व्यक्ति की ? जे नहि समय केर मारि सहने हो ।।
ओ की पथिक ? जे काँट पर चलनाय नहि सीखल ।
ओ की सरित ? जे पर्वतहुँ मे धार नहि चीड़ल ।
ओ वयस की ? जे नञि जगक अनुभव समेटने हो ।
ओ व्यक्ति की ? जे नहि समय केर मारि सहने हो ।।
ओ गाछ की ? सदिखन लसित वसन्त जे देखल ।
ओ विजय की ? जे विघ्न – बाधा केर विना भेटल ।
ओ दीप की ? जे वायु केर नञि कम्प सहने हो ।
ओ व्यक्ति की ? जे नहि समय केर मारि सहने हो ।।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४७, अंक – ९३, दिनांक - १ नवम्बर २०११, “बालानां कृते” मे प्रकाशित ।
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