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Tuesday, 1 November 2011

पद्य - २० - ओ व्यक्ति की ? (बालगीत)

      ओ व्यक्ति की ?
         (बालगीत)


ओ नाविकहि की ? जे ने झंझावात सञो खेलल



ओ व्यक्ति की ? जे नहि  समय केर मारि सहने हो ।
                       ओ हृदय की ? जे ने दुःखक कोनो स्वाद चिखने हो ।।

ओ सैनिकहि की ? युद्ध मे जे भाग नञि लेलक ।
ओ नाविकहि की ? जे ने झंझावात सञो खेलल ।
          ओ सोन की ? जे आगि  केर नञि  धाह  सहने हो ।
                       ओ व्यक्ति की ? जे नहि  समय केर मारि सहने हो ।।

तरुआरि की ? जे शत्रु केर शोणित सँ नञि भीजल ।
ओ आँखि की ? जे नोर सन अमृत सँ नञि तीतल ।
            संजोगे की ? जे  नञि  वियोगक  राति  सहने  हो ।
                      ओ व्यक्ति की ? जे नहि  समय केर मारि सहने हो ।।

ओ की पथिक ? जे काँट पर चलनाय नहि सीखल ।
ओ की सरित ? जे पर्वतहुँ मे  धार  नहि  चीड़ल ।
             ओ वयस की ? जे  नञि  जगक अनुभव समेटने हो ।
                      ओ व्यक्ति की ? जे नहि  समय केर मारि सहने हो ।।

ओ गाछ की ? सदिखन लसित वसन्त जे देखल ।
ओ विजय की ? जे विघ्न – बाधा केर विना भेटल ।
            ओ दीप की ?  जे  वायु  केर नञि  कम्प सहने हो ।
                      ओ व्यक्ति की ? जे नहि  समय केर मारि सहने हो ।।




विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ४७, अंक ९३, ‍दिनांक - नवम्बर २०११, “बालानां कृते” मे प्रकाशित ।

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