सुनू यौ भारत केर सरकार !
(आह्वान गीत)
(आह्वान गीत)
सुनू यौ भारत केर सरकार !
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
नञि
माँगय छी भीख
हऽम, निज माँगै छी अधिकार ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
जाहि
धरती पर जन्म लेलहुँ हम,
जाहि
धरती पर खेल
केलहुँ ।
पीबि जकर हम अमिय सलिल नित,
अन्न
खाय प्रतिपाल भेलहुँ ।
माँगि
रहल छी, माए
मैथिलीक पावन निर्मल प्यार ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
जन्महिसँ सिखलहुँ
जे बाजब,
जाहि
भाषासँ दुनिञा जनलहुँ ।
जकर ज्ञान - गंगामे नहा हम,
वाणी रुपी रुपी रत्नकेँ पओलहुँ ।
माँगि
रहल छी, ओहि भाषामे भाव - ज्ञान - सञ्चार ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
किन्नहु आब ने रहतीह
मैथिली,
ककरहु चरणक दासी
।
लेब अपन
अधिकार,
रहब हम
लऽ कऽ अप्पन थाती ।
शान्ति
समाहित क्रान्ति ज्वालसँ,
दूर करब अन्हार ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
लेब
अपन अधिकार, मैथिलक
स्वाभिमान अछि
जागि उठल ।
निज समृद्धि, उन्नति, विकाश केर,
नूतन
पथ अछि बना
रहल ।
आब ने रहतीह मिथिला - शिथिला, ने सहतीह
अत्याचार ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
रोकि
सकैछ ने केओ
आइ,
कोशी - कमलाक उमड़ल
धारा ।
बान्हि
सकैछ की केओ
हवा,
पहिरा
सकइछ ओकरा काड़ा ?
देब
जवाब डूबा ओकरा , जे रोकत
निज करुआरि ।
सुनू यौ भारत
केर सरकार !!
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४७, अंक – ९३, दिनांक - १ नवम्बर २०११, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।
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