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Tuesday 15 December 2015

भूकम्प - (बाल विज्ञान कथा)



भूकम्प
(बाल विज्ञान कथा)






विज्ञान विषयक लेख सभक लेल नित नऽव पारिभाषिक शब्द सभक आवश्यकता पड़ैछ । एहि प्रकारक पारिभाषिक शब्द सभ कोनहु भाषा मे ओकर मातृक मूल भाषा (Parent / Source language) सँ बनाओल जाइछ, यथा अंग्रेजीमे लैटिनसँ  मैथिलीमे संस्कृतसँ 



एहि बाल विज्ञान कथाक अधिकांश भाग 18 दिसम्बर 2014 ई॰ (वृहस्पतिदिन आ पूसक अन्हरिया पखक एकादशी तिथि) कऽ जे भूकम्प आयल छल तकर प्रात भने लीखल गेल छल । तेँ एहि कथाक परिप्रेक्ष्य ओही संदर्भ मे ली से पाठकगणसँ निवेदन । ई भूकम्प भारतीय मानक समय केर अनुसार रातिमे 09 बाजि कऽ 02 मिनट आ 10 सेकेण्ड पर आयल छल । एकर आकार रि॰ना॰ पर 5.9 जनाओल गेल अछि तथा एकर मूल / केन्द्र नेपालक प्रशिद्ध नामचे बजार सँ  26 कि॰मी॰ उत्तर पच्छिममे आ 10 कि॰मी॰ गँहीर छल ।



        भोरुका समय छल । कुहेस लागल रहै । मुदा धिया - पुतासभ कहाँ मानए बला छल । भोरे भोरे सूति-उठि कऽ लुरू-खुरू करए लागल छल । जिनगीमे शायद पहिलहि बेर एकटा विचित्र पर मजगर घटनासँ साक्षात्कार भेल छलै । 

 गए प्रीती !  पता छौ, काल्हि रातिमे भूकम्प आएल रहै – प्रीतीकेँ अपना दिशि अबैत देखि सोनी बाजलि ।

 हँ से तँऽ ठीके । काल्हि हमसभ खाएत रही कि अचानके चौकीसभ जोरसँ हिलए लगलै – सोनी उतारा देलक ।

 अरे ! बुझलही की, हमरा तँऽ भेल जे भूत आबि गेल अछि, आ हमर चौकीकेँ जोरसँ झमारि रहल अछि ।

बब्बनक ई बात सुनितहि सभ धिया - पुता संगहि ओहि ठाम बैसल चेतन लोकनि सेहो भभा कऽ हँसि पड़लाह ।

 तँऽ फेर की केलही ? सीरक सँ मुँह झाँपि हनुमान चलीसा पढ़ए लगलही की ? – रत्तन मुस्किआइत कटाक्ष करैत बाजल ।

 तोरा तँऽ हमेशा मजाके बुझाइत छौ – बब्बन थोड़ेक खौंझायल मुद्रामे बाजल । सभहक सोझाँ ओकरा अप्पन मान-सम्मान पर बट्टा लगैत बुझि पड़लै ।

        हऽम दलाने पर सुतले रही पर निन्नमे नञि छलहुँ । सीरक तऽरेसँ खरिहानमे भऽ रहल सभ बात सुनैत रही । मूरी उठाए कने जोरसँ कहलियै – बब्बन, तमसाए किए छेँ ? तोरे नहि, बहुतोकेँ से बुझाएल होएतन्हि । पुछहुन्ह गऽ लाल कक्काकेँ, डऽरेँ सुटिया गेल छलाह कि नहि ? 

      लाल कक्का अपन नामक चर्च सुनि घूरे लगसँ चहकैत बजलाह – एँह, नञि पूछह हमरा तँऽ किछु बुझएबे नहि कएल । लागल जे कुकुर चौकी तऽर मे पैसि खड़बड़बैत अछि । एतबा सुनि उपस्थित सभ धिया-पुता हँसए लागल ।

 अच्छा कहू तँऽ ई भुकम्प किएक अबैत’छि – प्रीती हमरा दिशि तकैत पुछलक ।

 एतबो नञि बूझल छौ, काछु केर पीठ पर ई धरती टिकल छै । ओकरा जखन भारी लगै छै तँऽ ओ हिलए लगैत अछि आ भूकम्प आबि जाइत अछि – बब्बन तपाक सँ बाजल ।

 का ……छु  ………….. माने की ? – सोनी हिचकिचाइत पुछलक ।

 अरे काछु माने कछूआ………….टर्टल………….टॉर्ट्वाइज – बब्बन उतारा देलक ।

 दादी तँऽ कहैत छलथिन्ह जे सीता माए धरतीमे समाए गेल छलीह । हुनक मोन अओनाइत छन्हि तँऽ भुकम्प अबैत अछि – रत्तन बाजल ।

 अरे नञि । हम्मर बाबा कहैत छलाह जे समुद्रक ऊपर छाल्ही जेकाँ ई धरती अछि । जखन समुद्रक पानिमे हिलोर उठैछ तँऽ भूकम्प अबैछ – सोनी बाजलि ।

           आब सबगोटे अप्पन-अप्पन मोनक बात बाजि चुकल छल । पर, ककरो बात सँ केओ सन्तुष्ट नहि छल वा सभ अपनहि बातकेँ सच मानि रहल छल । तेँ सभ एकाएक चुप भऽ हमरा दिशि ताकए लागल । आँखि मे प्रश्नक भाव आ मोनमे सही उत्तरक उत्कण्ठा नेने । 

           हम कम्मल ओढ़ने उठि कऽ बैसि गेलहुँ । मोनमे कने पश्चाताप सेहो छल जे बेकारे टोकारा देलियै । ने टोकारा दितियै आ ने भोरे-भोरे फँसितहुँ । आब तँऽ भोरुका नित्यकर्म निश्चिते बिलमि गेल । फेर हिम्मत कऽ कऽ बजलहुँ – 

 देखह ! जे-जे कारण तोँ सभ कहलह से सभ कहबी छै । अपना हिन्दु धर्म ग्रण्थसभमे एहि तरहक किछु खिस्सा भेटैत छै । हँ, जे अन्तिम बात – छाल्ही बला बात – छै, ताहि मे किछु यथार्थक छवि जरूर छै । 

 से कोना ? – प्रीती जिज्ञासा भरल स्वरमे पुछलक ।

 छाल्ही बला बात एखनुका विज्ञानसँ कोना मिलए छै – से बादमे कहबह । हम कहलियै । 

 ठीक छै – प्रीती बाजलि ।

 भूकम्पक कारण बुझबाक लेल आवश्यक छी जे पहिने अप्पन पृथिवीक आन्तरिक संरचनाक बारे मे किछु जानकारी लऽ लेल जाए । पृथिवीक अन्दरक संरचना आ ओकर गतिविधिक बारे मे बुझने बिना ओकर सतह वा पपड़ी पर महसूस होमए बला घटना अर्थात् भूकम्पक विषयमे जानब असम्भव – उपस्थित सभ धियापुताकेँ सम्बोधित करैत हम कहलियै ।

 तऽ बताउ ने – प्रीती बाजलि ।

 ओना तँऽ पृथिवी केर आन्तरिक संरचनाक बारे मे बहुत रास मत – मतान्तर छै, पर जे सभसँ नऽव मत छै ताहि अनुसारेँ सम्पुर्ण पृथिवीकेँ 3 भागमे बाँटल जा सकैत अछि । सभसँ उपरुका भाग भेल भूपर्पटी या पपड़ी (EARTH CRUST / CRUST) । ई भाग हमरा सभकेँ देखाइ दैत अछि आ एही भाग पर सातो महाद्वीप वा महादेश तथा पाँचो महासागर स्थित अछि । सागरक पेनी यानि कि सागरतल पर एकर मोटाई 6 सँ ‍10 किलोमीटर धरि आ महाद्वीपिय भाग मे 25 सँ 50 किलोमीटर तक होइछ ।

सभ धियापुता धेआन लगा कऽ सुनि रहल छल ।

 सभसँ अन्दर केर भागकेँ भूकेन्द्र वा भूक्रोड (CORE / EARTH’S CORE) कहल जाइत अछि । ई पुनः 2 भागमे विभाजित अछि – अन्तः भूकेन्द्र (INNER CORE) बाह्य भूकेन्द्र (OUTER CORE) । सम्पुर्ण भूकेन्द्रक मोटाई पृथिवीक केन्द्रविन्दु सँ 3400 कि॰मि॰ धरि मानल गेल अछि । ई लोहा, निकेल आ सिलिकेट मिश्रित भारी धातुपिण्डसँ बनल अछि । एकर आयतन सम्पुर्ण पृथिवीक आयतनक मात्र ‍16 प्रतिशत पर भार 32 प्रतिशत अछि, अर्थात् भूकेन्द्रक घनत्त्व बहुत बेशी अछि । बाह्य भूकेन्द्रक संहति द्रव स्वरूपक पर अन्तः भूकेन्द्रक संहति ठोस स्वरूपक बूझि पड़ैत अछि ।

 आ पृथिवीक बिचला भागकेँ की कहैत छियै – बब्बन पुछलक ।

 भूपर्पटी आ भूकेन्द्रक बीच करीब 3000 कि॰मि॰ मोट भागकेँ भूमध्य वा मैण्टल (MANTLE) कहल जाइत छै । ई भाग पुनः 3 उपविभाग मे विभाजित अछि । बाह्य भूकेन्द्र सँ सटल भाग अधोभूमध्य या अधोमैण्टल (LOWER MANTLE) कहबैत अछि जखनि कि भूपर्पटीसँ सटल भाग ऊर्ध्व भूमध्य वा ऊर्ध्व मैण्टल (UPPER MANTLE) कहबैत अछि । मैण्टलक एहि दुनु क्षेत्रक बीच एकटा पातर सनि संक्रमण क्षेत्र (TRANSITION ZONE / AREA) पाओल जाइत अछि । सम्पुर्ण मैण्टल क्षेत्रमे सीलीकेटक अधिकता पाओल जाइत अछि संगहि लोहा आ मैगनेशियम सेहो रहैछ । ऊर्ध्व मैण्टलक संहति अनियमित स्वरूपक रहैछ जखनि कि अधोमैण्टलक संहति द्रवस्वरूपक ।

 यानि कि धरतीक त्रिज्या या अर्धव्यास (RADIUS / HALF DIAMETER) लगभग 6400 कि॰मि॰क भेलै – रत्तन किछु जोड़ैत - बिचारैत हमरा दिशि देखि कऽ बाजल ।





 हाँ एकदम सही । आ पृथिवीक संहति केर बारे मे सेहो किछो ध्यान देलहक आ कि नञि ?

 अधोमैण्टल आ बाह्य भूकेन्द्र द्रव स्वरूपक अछि, ऊर्ध्वमैण्टल अनियमित संहतिक पर अन्तः भूकेन्द्र ठोस अछि । भूपर्पटी सेहो ठोस अछि पर ओहि परक जलमण्डल द्रव अछि – रत्तन उतारा देलक । 

 मतलब कि अन्दरसँ द्रव मैण्टल पर पपड़ी या भूपर्पटी ठोस स्वरूपमे जमल अछि -  बजैत काल सोनीक ममुखमण्डल पर खुशी छलकि रहल छलै । ओकरा भूकम्पक बारेमे अप्पन बाबाक बताओल बातसँ साम्य प्रतीत भऽ रहल छलै । 

 हूँऽऽ, बहुत किछु तहिना – हम कहलियै ।

 से तँऽ ठीक पर द्रव भूमध्यक नीचाँमे ठोस भूकेन्द्र कोना ? --- बब्बन धीरेसँ किछु सोचैत बाजल ।

 देखह ! भूपर्पटी पृथिवीक सभसँ बाहरी स्तर अछि तेँ अपेक्षाकृत सभसँ बेसी ठण्ढा अछि । जेना – जेना पृथिवी केर भीतर जाइत छी तेना-तेना दाब आ तापमान बढ़ैत जाइत अछि । इएह कारण अछि जे  भूमध्य आ बाहरी भूकेन्द्र द्रव स्वरूपमे अछि । भीतरी भूकेन्द्र सेहो द्रव होयबाक चाहैत छल पर आगाँ दाब एतेक बेशी बढ़ि जाइत अछि कि सर्वाधिक तापमान होयबाक बादो भीतरी भूकेन्द्र ठोस अछि ।

 से कोना बुझै छियै – हमर बात खतमो नञि भेल छल कि रत्तन तपाकसँ बाजि उठल ।

 सभटा आइए पूछि लेबह …………… काल्हि लए सेहो किछु रहऽ दहक ने – बब्बन रत्तनक हाथ झिकैत बाजल ।

 हँ, ई सभ बात फेर कहियो कहबऽ, नञि तँऽ भूकम्पक खिस्सा आधे पर छुटि जएतह । एतऽ धरि बुझलहक किने ? ………… आ कि नञि ?

हँ बुझि गेलियै; आगू कहू – सभ धियापुता एक्कहि संगे बाजल ।

 द्रव केर ऊपर स्थित कोनो चीज स्थिर नञि रहि सकैत अछि । ओ निरन्तर दहाइत रहैत अछि – जेना कि कोनो काठक टुकड़ी, ………

 नाओ आ पनिया जहाज – प्रीती हमर उदाहरणक सुचीकेँ पुर्ण करबाक प्रयास कएलक ।

 नञि ……… नाओ (नाह या नाव) केँ मनुक्ख करुआड़िसँ चलबैत अछि आ पनिया जहाजमे ई काज ओकर ईञ्जन करैत अछि । ई दुनु दहाइत नञि अछि अपितु हेलैत अछि । हेलब (SWIMMING) सचेष्ट क्रिया अछि, जखनि कि दहाएब (FLOATING) निष्चेष्ट क्रिया । ……… पानि पर काठक टुकड़ी वा कागजक नाओ दहाइत अछि, नञि कि हेलैत अछि । तहिना पृथिवीक सभ महाद्वीप दहाइत रहैत अछि ।

               हमर ई कथन सुनि सभ धियापुता अवाक भऽ विश्मयसँ हमरा दिशि ताकए लागल । बब्बनक चेहरा पर चौअनिञा मुस्की (एकटा कुटिल मन्द हास) सेहो छलै – जेनाकि हमर बात पर ओकरा विश्वास नञि हो वा ओ हमरा मूर्ख बूझि रहल हो । मामिलाकेँ ताड़ैत हम बजलहुँ – की विश्वास नञि होइ छऽ ने ???

 धियापुता पुनः किछु नञि बाजल ।

 जखन पहिल बेर एहि तरहक बात कहल गेल तँऽ लोकसभकेँ एहिना विश्वास नञि भेलै । बात पर कोनो ध्यान नञि देल गेलै । परञ्च अल्फ्रेड वेगनर (ALFRED WAGNER) नामक जर्मन जलवायुविज्ञानवेत्ता जखन पूरा साक्ष्यक संग ई परिकल्पना छपबओलन्हि तँऽ वैज्ञानिकलोकनिक ध्यान आकर्षित भेलन्हि । सन् ‍1912 ई॰ मे ई जर्मन भाषामे मूल रूपसँ छपल छल जकर बाद 1924 ई॰ मे एकर अंग्रेजी अनुवाद छपल आ तकरा बादसँ एखन धरि ई पूरा विश्वमे चर्चाक विषय बनल रहल आ बनल अछि । एकरा वेगनरक महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त (WAGNER’S CONTINENTAL DRIFT THEORY) कहल जाइत अछि ।

 पर से कोना सम्भव छै – प्रीती किछु सकुचाइत शब्देँ बाजलि ।

 एकर समर्थनमे बहुत रास साक्ष्य वेगनर अपने देने रहथि आ बहुत रास आन प्रमाणसभ बादक भूवैज्ञानिक आ जीववैज्ञानिकलोकनि देलन्हि जकर विस्तृत चर्चा आन दिन फेर कहियो करब ।

 ठीक छै । सभ धियापुता एक स्वरेँ बाजल ।

 इएह महाद्वीपीय प्रवाह मुख्यरूपसँ भूकम्प आ ज्वालामुखी विस्फोट दुनु प्रकारक प्राकृतिक घटनाक लेल उत्तरदायी मानल जाइत अछि ।

 भूकम्पक लेल सेहो !!!!! ……. प्रीती किछु विश्मय ओ जिज्ञासाक स्वरमे बाजलि ।

 हाँ भुकम्पक लेल सेहो – हम आश्वस्त करैत हामी भरलहुँ । वास्तवमे पृथिवीक ऊपरुका भाग या पपड़ी या भूपर्पटी कएक टा छोट-पैघ अलग-अलग टुकड़ीसभक मिलबासँ बनल अछि । एहि टुकड़ीसभकेँ विवर्तन छज्जी या छज्जी या टेक्टोनिक प्लेट (TECTONIC PLATES / PLATES) कहल जाइत अछि । सतत प्रवाहमान होयबाक कारणेँ ई छज्जी सभ भिन्न-भिन्न दिशामे अलग-अलग वेगसँ गतिशील अछि । एहि गतिशीलताक कारण किछु छज्जी एक-दोसराक नजदीक अबैत अछि तँऽ किछु परस्पर दूर भागि रहल अछि । जे छज्जीसभ परस्पर नजदीक आबि रहल अछि तकरसभक किनारी या कोड़ी एक-दोसरासँ टकराइत रहैत अछि आ एक-दोसरा पर जोरगर दबाव आरोपित करैत अछि ।



 अरे बाप रे ! – बब्बन किछु अकचकाइत बाजल ।

 बब्बनक बात सुनि सभ हँसए लागल । बुझाइत अछि बब्बनक दिमाग दुखाए लगलै – रत्तन चुटकी लैत बाजल ।

 नञि, से बात नञि ।

 तँऽ फेर की ? – हम पुछलियै ।

 हम सोचैत रही जे एतेक पैघ पैघ छज्जी सभक आपसी टकराहटि केहेन होइत हेतै – बब्बन उतारा देलक ।

 सही बात । ई टकराहटि एतेक शक्तिशाली होइत अछि जे ओहि ठामक जमीनक पुर्ण स्वरूपहि बदलि जाइत अछि । एहने टकराहटि केर कारण हिमालय पहाड़क निर्माण भेल अछि । वास्तवमे एहि तरहक टकराहटि केर प्रक्रिया – जकरा कि भूवैज्ञानिक लोकनि भू विवर्तनिक प्रक्रिया (PLATE TECTONIC ACTIVITIES) कहैत छथि – भूकम्पक प्रमुख कारण अछि । एहि कारणसँ आयल भूकम्पकेँ विवर्तनिक भूकम्प (TECTONIC EARTHQUAKES) कहल जाइत अछि । एहि प्रकारक भूकम्पक मूल धरतीक भीतर धरातलसँ प्रायः 5 सँ 20 कि॰मि॰ नीचाँ रहैत अछि; आ एकरा द्वारा प्रभावित क्षेत्र बहुत विस्तृत रहैत अछि । कोनहु दू-टा महाद्वपीय छज्जी जाहि ठाम एक-दोसरासँ सटैत अछि, धरती पर ओ एक-टा रेखाक रूपमे बुझना जाइत अछि । ई रेखा सरल रेखा नञि भऽ कऽ प्रायः कतेको स्थान पर वक्र या वलित (टेढ़-मेढ़) होइत अछि । एकरा भ्रंश रेखा/रेषा (FAULT LINE) कहल जाइत अछि ।



 हमरासभकेँ इस्कूलमे बहिनजी कहैत छलथिन्ह जे भूकम्प ज्वालामुखी विस्फोटक कारणेँ अबैत अछि – सोनी हमर बातसँ असमञ्जसक स्वरमे बाजलि ।

 अपन मिथिला क्षेत्रमे तँऽ दूर-दूर धरि कोनहु ज्वालामुखी पहाड़ नञि अछि तखन फेर भूकम्प किएक अबैत अछि ??? ……………….हम भरियऽबैत पुछलियै । सभ धियापुता चुप्प ! …………… फेर हमही चुप्पी तोड़ैत कहलियै – वास्तवमे मिथिला सहित सम्पुर्ण हिमालय आ हिमालयसँ सटल प्रदेशमे एहि प्रकारक माने कि ज्वालामुखीय विष्फोटक कारण भूकम्प नञि अबैत अछि । एहि क्षेत्रमे विवर्तनिके भूकम्प अबैत अछि । आ अपना एहि ठाँ भूकम्प भारतीय विवर्तन छज्जी ओ यूरेशीय विवर्तन छज्जीक परस्पर टकराहटिक परिणाम थिक ।

 ओह ! – सोनी किछु पश्चातापक स्वरमे बाजलि – मोनमे ऊहापोहक स्थिति छलैक जे हमर बात मानए कि बहिनजीक ।

 ज्वालामुखी विस्फोटक कारणेँ सेहो भूकम्प अबैत अछि जकरा ज्वालामुखीजन्य वा ज्वालामुखीय भूकम्प (VOLCANIC EARTHQUAKES) कहल जाइत अछि । एहि तरहक भूकम्प जपान, फिलिपिन्स, मलेशिया, सिंगापुर, इण्डोनेशिया, चिली और पेरू आदि देशसभमे बेसी अबैत अछि ।  वस्तुतः प्रशान्त महासागरक चारूकातक क्षेत्र भयंकर ज्वालामुखीय गतिविधिक क्षेत्र अछि आ तेँ एहि क्षेत्रकेँ “”अग्नि वलय या “आगिक औंठी (RING OF FIRE) सेहो कहल जाइत अछि ।  


 अरे बाप रे ! बब्बन फेर किछु अचंभित स्वरेँ बाजल ।

 हाँ । पर एतबहि नञि ई क्षेत्र विभिन्न महादेशीय छज्जी सभक मिलन-स्थल होयबाक कारणेँ भीषण भूकम्पीय गतिविधिक क्षेत्र सेहो अछि आ तेँ तीव्र सुनामीक क्षेत्र सेहो । 

 ई सुनामी की होइत छै - प्रीती सहज भावेँ पुछलक ।

 अरे टी॰भी॰ पर समाचारमे नञि सुनने रही की ? - समुद्री तुफान होइत छै । बब्बन टीपलक ।

 पर सभ टा इएह क्षेत्रमे किएक - रत्तन जिज्ञासा कएलक ।

 हूँऽऽऽ । नीक प्रश्न छह - हम पैघ साँस छोड़ैत कहलिऐक । एखन तक भेल शोधकार्य ई दर्शाबैत अछि कि धरातल पर ज्वालामुखीय गतिविधि बहुत हद तक महादेशीय छज्जीसभक मिलान केर जगह होइत अछि - हँ, ई बात अलग कि ओ एहि तरहक सब मिलानस्थल पर नञि होइत अछि । समुद्रक पेनी पर या ओकर आस पास होमएबला भूकम्पक कारण समुद्रक ऊपरुका सतह पर पैघ-पैघ आ ऊँच-ऊँच लहरि केर उत्पत्ति होइत अछि । एहि तरंगसभक कारण समुद्रक सतह पर भयंकर तुफान आबि जाइत अछि, जकरा ‘सुनामी’ (TSUNAMI) कहल जाइत अछि । ‘सुनामी’ जपानी भाषाक शब्द अछि जकर अर्थ भेल ‘समुद्री तुफान’  सन् 1883 ई॰मे समुद्रतल पर क्राकाटोआ ज्वालामुखीक गतिविधिक कारण आयल भूकम्पक परिणामस्वरूप  उठल सुनामीमे ओहि क्षेत्रक द्वीपसभ पर लगभग 36,000 लोक मारल गेल छलाह ।

 ओह ! ई तँ बड्ड विनाशकारी छल । - सोनी किछु दुःखाएल स्वरेँ बाजलि । 

 हँ से तँऽ अवश्ये । एकर अतिरिक्त भूकम्पक आन बहुत रास कारण अछि किछु प्राकृति  आ किछु मनुक्खक द्वारा सृजित ।

 मनुक्खक द्वारा सृजित - माने ??? - प्रीतीक प्रश्नवाचक स्वर कानमे पड़ल ।

  मनुक्खक द्वारा सृजित यानि कि मनुक्ख द्वारा बनाओल अर्थात् कृत्रिम कारण सभ; जेना कि - पारमाणु बमक विष्फोट, खदान (खाद्यान्न नञि) केर कारण भेल धँसना या धँसाव आदि । पर प्राकृतिक कारणसँ आबएबला भूकम्पक कारणसभमे सभसँ बेसी उपर कहल गेल कारणेसभसँ आबैत अछि आ ओकर विनाशक क्षमता सेहो आन कारणसभसँ आबएबला भूकम्पसभसँ प्रायः बेशी रहैत अछि । 

 अच्छा, ई भूकम्पक केन्द्र की होइत अछि ? -  ई सोझ प्रश्न रत्तनक दिशिसँ छल ।

 भूगर्भमे ओ स्थान या केन्द्र जाहि ठाँ चट्टानसभमे होमएबला विशेष परिवर्तनक क्रियासभसँ भूकम्पीय हलचलक प्रारम्भ होइछ ओकरा भूकम्प मूल या भूकम्प केन्द्र (FOCUS / CENTRE) कहल जाइछ । एहि केन्द्र सँ लम्बवत, धरातलक (धरतीक उपरुका सतह पर)  जाहि विन्दु पर सभसँ पहिने भूकम्पक धक्काक अनुभव होइछ ओहि स्थानकेँ भूकम्पक अधिकेन्द्र (EPICENTRE) कहल जाइछ । जन सामान्यक भाषामे वा बहुधा समाचार पत्र, आकाशवाणी आ दूरदर्शन आदि मिडियासभमे अधिकेन्द्रहिकेँ भूकम्पक केन्द्र वा मूल कहि देल जाइत अछि आ से …….

 आ से तँऽ भ्रम उत्पन्न करएबला भेल कि ने - हमर बातकेँ बीचहिमे लोकैत रत्तन बाजल ।

 हँ आ ताहि द्वारे आइ-काल्हि भूकम्पविज्ञानी (SEISMOLOGISTS) द्वारा भूकम्प मूल या भूकम्प केन्द्र (FOCUS / CENTRE) हेतु एकटा नऽव शब्द अधोकेन्द्र (HYPOCENTRE) केर प्रयोग भऽ रहल अछि अधोकेन्द्रसँ अधिकेन्द्र धरिक लम्बवत दूरीकेँ (सभसँ कम दूरीकेँ) भूकम्प मूलक या भूकम्प केन्द्रक गहराई (FOCAL DEPTH OR DEPTH OF FOCUS / CENTRE / HYPOCENTRE) कहल जाइत अछि । अधि- माने ऊपर अर्थात् धरतीक सतह पर आ अधो- माने नीचाँ माने कि धरातल वा धरतीक सतहसँ नीचाँ ।


 कोनहु भूकम्पक मूल बेशी सँ बेशी कतेक गँहीर भऽ सकैत अछि - जिज्ञाशा रत्तन कएने छल ।

 वस्तुतः भूकम्पक केन्द्र (अधोकेन्द्र) ओहि ठामक धरतीक सतहसँ कतेक गँहीर अछि, ताहि आधार पर भूकम्प केर 3 प्रकार कएल गेल अछि । जाहि भूकम्पक केन्द्र धरातलसँ 70 कि॰मि॰ धरिक गहराई पर रहैत अछि ओ उत्थर भूकम्प (SHALLOW EARTHQUAKES) कहल जाइछ । एहि तरहक भूकम्पमे सबसँ बेसी क्षति अधिकेन्द्रसँ किछु किलोमीटरक परीधि मे होइत अछि । एहि प्रकारक भूकम्प विवर्तनिक या आन बहुतो कारणसँ होइत अछि । धरातलसँ 70 सँ 300 कि॰मि॰ धरिक गहराई पर जाहि भूकम्पक केन्द्र वा मूल रहैत अछि से  मँझलुका भूकम्प (EARTHQUAKES OF MEDIUM DEPTH) कहबैत अछि । एहेन भूकम्प प्रायः विवर्तनिक भूकम्प होइछ । विवर्तनिक भूकम्पमे भूकम्पक अधिकेन्द्रसँ बेसी दूरक क्षेत्रसभक कमजोर शैल/चट्टानबला जगहमे अधिक नोकशान होइत अछि । अधिकेन्द्रसँ 300 सँ 700 कि॰मि॰ गँहीर केन्द्र या मूल बला भूकम्प गँहीर/पताली/पतालीय भूकम्प (PLUTONIC EARTHQUAKES) कहबैत अछि । एहि तरहक भूकम्पक उत्पत्तिक कारण एखन धरि अज्ञात अछि ।

 यौ ! टी॰भी॰सभमे जे भूकम्पक केन्द्रक - माने कि अधिकेन्द्रक - चारू कात गोल-गोल वृत्त जेकाँ देखबै छै, से किएक ? - ई प्रीतीक प्रश्न छल ।


 भूकम्प मूलसँ जे ऊर्जा मुक्त होइत अछि (निकसैत / निकलैत अछि) से भूकम्पीय तरंग (SEISMIC WAVES) केर रूपमे हर सम्भावित दिशामे पसरैत अछि । ओकरा भूकम्प-केन्द्रक चारू कात धरतीक भीतर गोलाकार आ सतह पर वृत्ताकार घेरा (घेरेबा) केर रूपमे देखाओल जाइत अछि । एहि तरहक वृत्त या गोला तरंगाग्रक (WAVEFRONT) गमणक दिशामे काल्पनिक रूपेँ बनाओल जाइत अछि । मतलब कि ई वृत्त या गोला सभ आँखिसँ वा कोनहु यण्त्रसँ नञि देखाई दैत अछि, बुझबामे वा आँकलनमे सुविधाक लेल बनाओल जाइत अछि । ई घेरासभ भूकम्पसँ होमएबला हानि केर अनुमान लगएबा मे सहायक होइत अछि । भूकम्पसँ सभसँ बेसी नोकसान अधिकेन्द्रसँ (वृत्तक केन्द्रसँ) हटि कऽ बनए बला भीतरुका वृत्तसभक क्षेत्रसभमे होइत अछि ।  पृथिवीक सतहसँ नीचाँ ई त्रि-आयामी / त्रिविमीय (THREE DIMENSIONAL) होइत अछि, तेँ गोलाकार (SPHERICAL) बुझना जाइत अछि आ ओहि गोलाक केन्द्र भूकम्पक केन्द्र (अधोकेन्द्र) पर स्थित रहैत अछि । धरातल यानि पृथिवीक सतह पर ई भूकम्पीय तरंगसभ अधिकेन्द्रसँ निकलैत प्रतीत होइत अछि । धरातल चौरस होइत अछि अर्थात् ओकरा मात्र लम्बाई आ चौड़ाई होइत अछि मोटाई या गहराई या ऊँचाई नञि, तेँ ओ द्वि-आयामी/द्विविमीय (TWO DIMENSIONAL) संरचना थिक । धरातल पर गमण करैत काल भूकम्पीय तरंग द्वि-आयामी/द्विविमीय (TWO DIMENSIONAL) बुझि पड़ैत अछि आ तेँ वृत्ताकार (CIRCULAR) होइत अछि । एहि वृत्तसभक केन्द्र भूकम्पक अधिकेन्द्र पर होइत अछि । सामान्य भाषामे इएह वृत्तसभक केन्द्रकेँ भूकम्पक केन्द्र कहि देल जाइत अछि जे कि वास्तवमे भूकम्पक अधिकेन्द्र रहैत अछि । 

 हूँऽऽऽ, तँऽ ई बात छै - रत्तन गँहीर साँस छोड़ैत बाजल ।

 अच्छा ई कहह जे भूकम्पक अध्ययन कोन शास्त्रक अन्तर्गत होइत अछि ……..

  भूगोलमे - हमर बातकेँ बिच्चँहिमे लोकैत बब्बन बाजल ।

 आंशिक रूपसँ सही छह । भूकम्पक अध्ययन “भूकम्प विज्ञान” केर अन्तर्गत कएल जाइत अछि जकरा अंग्रेजीमे सिस्मोलॉजी / साइस्मोलॉजी (SEISMOLOGY) कहैत छिऐ । हाँ, कोनहु भूकम्पक कारण धरतीक उपरुका सतह अर्थात धरातलक भौगोलिक संरचनादि पर जे किछु परिणाम घटित होइत अछि तकर अध्ययन भूगोलक एकटा शाखाक अन्तर्गत कएल जाइत अछि जकरा भौतिक भूगोल (PHYSICAL GEOGRAPHY) कहल जाइत अछि । भूकम्प विज्ञानक क्षेत्र भूगोल (GEOGRAPHY), भूगर्भ विज्ञान (GEOLOGY), भू-भौतिकी (GEOPHYSICS) आदि विभिन्न शास्त्रसभसँ सेहो सम्बद्ध अछि । ……………………….. आ भूकम्पक गतिविधिकेँ नपबाक हेतु कोन यण्त्रक प्रयोग होइत अछि ? - हम अपनहि उपरुका प्रश्नक उतारा दैत-दैत एकटा आओर प्रश्न जुमा कऽ धियापुता दिशि फेंकि देलियै ।

 भूकम्पमापी - रत्तन तपाकसँ जवाब देलक, जेनाकि ओकरा पहिनहिसँ हमर एहि प्रश्नक प्रतिक्षा रहए । 

  संगहि संग एकटा आओर जाँतल स्वर सुनाइ पड़ल - भूकम्पलेखी । ई स्वर सोनीक छल, शायद ओ पुर्णरूपेँ आश्वस्त नञि छल अपना उत्तरसँ ।

 देखह हिन्दीमे जकरा भूकम्पमापी यण्त्र कहैत छियै से मैथिलीमे भूकम्पनापी यण्त्र भेल कारण मापब वा माप शब्द मैथिलीमे प्रयोग नञि होइत अछि । हर तरहक नापीक लेल मैथिलीमे नापब वा नाप वा नापी शब्द प्रयुक्त होइत अछि - चाहे ओ आयतन हो, लम्बाई हो अथवा आन कोनहु चीज । तेँ अंग्रेजीक मेजरमेण्ट (MEASUREMENT) केर लेल मैथिलीमे नाप या नापी शब्दक प्रयोगे उचित । तहिना अंग्रेजीक स्केल (SCALE) शब्दक लेल मैथिलीमे नापनी या नप्पा ग्राह्य थिक जखनि कि मापनी अग्राह्य । भूकम्पनापी यण्त्रकेँ अंग्रेजीमे सिस्मोमीटर या साइस्मोमीटर (SEISMOMETER) कहल जाइत अछि । एहिना, “भूकम्पलेखी” नामक यण्त्रकेँ अंग्रेजीमे सिस्मोग्राफ या साइस्मोग्राफ (SEISMOGRAPH) कहल जाइछ । भूकम्पलेखी यण्त्र भूकम्पीय गतिविधिसँ उत्पन्न विभिन्न तरहक तरंगसभकेँ एकटा विशिष्ट प्रकारक अभिलेख पत्र (GRAPH PAPER) पर अभिलेखित वा अंकित (RECORD) करैत अछि । भूकम्पलेखी द्वारा जे किछु अभिलेख प्राप्त होइत अछि तकरा मैथिलीमे “भूकम्पाभिलेख” ओ अंग्रेजीमे “सिस्मोग्राम या साइस्मोग्राम” (SEISMOGRAM) कहल जाइत अछि आ एकरहि वैज्ञानिक अध्ययनसँ भूकम्पीय गतिविधिक विश्लेषण कएल जाइत अछि । यद्यपि भूकम्पमापी आ भूकम्पलेखीमे किछु सुक्ष्म अन्तर अछि तथापि दुहु शब्द पर्यायी रूपमे व्यवहृत होइत अछि । भूकम्पलेखी वा  सिस्मोग्राफ  (SEISMOGRAPH) प्रायः पुरना यण्त्रसभक लेल प्रयुक्त होइत अछि जखनि कि नवका यण्त्रसभक लेल प्रायः भूकम्पनापी या सिस्मोमीटर (SEISMOMETER) शब्द प्रयुक्त होइत अछि । भूकम्प अध्ययन केन्द्रसभ पर एहि तरहक यण्त्र सालमे तीन सए पैंसठि दिन आ चौबीसो घण्टा सतत क्रियाशील रहैत अछि । एहि तरहक एकटा आओर यण्त्र अछि - भूकम्पदर्शी या सिस्मोस्कोप (SEISMOSCOPE) । ई यण्त्र धरतीक कम्पनक अभिलेखन सतत रूपमे लगातार नञि करैत अछि पर ई सूचना दैत अछि कि भूकम्प भेल छल आ भूकम्पक अकार केर बारेमे एकटा अपरिष्कृत (मोटा-मोटी) जानकारी दैत अछि । भूकम्पीय तरंगक वा धरतीक कम्पनक अभिलेखन ओ नापी कएनिहार भूकम्प-विज्ञानक ई उपशाखा भूकम्पमिति या सिस्मोमेट्री (SEISMOMETRY) कहबैछ तथा एहि तरहक समस्त यण्त्रसभकेँ भूकम्पमितिक यण्त्र या सिस्मोमेट्रिक इण्स्ट्रुमेण्ट्स (SEISMOMETRIC INSTRUMENTS) कहल जाइत अछि ।


 कोनहु भूकम्पाभिलेख भूकम्पक बारेमे की सभ बतबैत अछि ? - रत्तनक जानबाक इच्छा आओर बढ़ि गेल रहैक ।

 भूकम्पाभिलेखक वैज्ञानिक अध्ययनसँ पता चलैत अछि जे भूकम्पीय तरंगसभ मुख्यरूपसँ दू तरहक होइत अछि - पहिल कायिक तरंग आ दोसर सतही या धरातलीय तरंग । कायिक तरंग (BODY WAVES) भूकम्पक अधोकेन्द्रसँ चारू दिशामे पसरैत अछि, पृथिवीक भीतर सेहो । ई फेरो दू प्रकारक होइत अछि - पहिल प्राथमिक या पी-तरंग(PRIMARY / P - WAVES) आ दोसर द्वितीयक या एस-तरंग (SECONDARY / S - WAVES)सतही या धरातलीय तरंग (SURFACE WAVES) भूकम्पक अधिकेन्द्रसँ निकलैत प्रतीत होइत अछि आ मात्र धरातल पर गमण करैछ, धरतीक भीतर नञि । ईहो पुनः मुख्यतः दू तरहक अछि - पहिल लव तरंग (LOVE WAVES) आ दोसर रेले तरंग (RAYLEIGH WAVES) । धरतीक कोनहु स्थान पर सभसँ पहिने प्राथमिक तरंग पहुँचैत अछि, तकरा बाद द्वितीयक आ तकर बादहि आन धरातलीय तरंगसभ । सतही तरंगसभक उत्पत्ति वस्तुतः कायिक तरंगसभसँ होइत अछि । रेले तरंग जलीय पारिस्थितिक तण्त्र (AQUATIC ECOSYSTEMS) आ लव तरंग भवनादि स्थापत्यक नेँओकेँ विशेष रूपसँ नोकशान पहुँचबैत अछि ।


 अपना मिथिलामे एहेन कोनहु केन्द्र अछि की ? - बब्बनक प्रश्नवाचक स्वर छल ।

 अछि तँऽ अवश्ये पर सुनबामे आयल अछि कि पछिला दसो बरखसँ ओकर गतिविधि मृतप्राय अछि । पछबारी चम्पारण जिलाक वाल्मिकीनगर नामक स्थान पर भारतीय मौसम विज्ञान विभागक ई  भूकम्प वेधशाला (SEISMOLOGICAL OBSERVATORY) अवस्थित अछि । एकर स्थापना सन 1960 ई॰मे भेल छल आ 2005 ई॰मे एकर भूकम्पलेखी यण्त्र खड़ाब भ गेल से अद्यावधि ठीक नञि भेल अछि । 


 ओह ! ई तँऽ बड़ दुःखक गप्प अछि - रत्तन निराशा भरल भारी अवाजमे बाजल ।

 वाल्मिकीयेनगरमे - महर्षि वाल्मिकीक आश्रम छलन्हि ने - प्रीती पुछलक ।

 हाँ, ओत्तहि रहन्हि । ओना कानपुर लऽग एकटा स्थान अछि - उन्नाव । ओहि ठामक लोक सेहो एहि तरहक धारणाक दावा करैत अछि । पर सीता कौशल राज्यसँ निर्वासनक बाद वाल्मिकी आश्रममे लव आ कुशकेँ जन्म देने रहथि । आ चुँकि उन्नाव ओहि समय कौशल राज्यक अन्तर्गतहि अबैत छल जखनि कि वाल्मिकीनगर कौशलसँ बाहर मिथिलाक भाग छल, तेँ एहि बातकेँ बल भेटैछ कि वाल्मिकीयेनगरमे हुनक आश्रम छल । उल्लेख ईहो अछि कि शत्रुघ्नजी लवणासुरक वध हेतु अयोध्यासँ मथुरा जएबा काल लव आ कुश केर नामकरण कएलन्हि । ई बात वाल्मिकीनगरक विपक्षमे जाइत अछि । पर ईहो बात विदित होअए कि शत्रुघ्नजी लवणासुरक वध करबाक हेतु अयोध्यासँ मथुरा सोझ रस्तासँ नञि गेल रहथि । सर्वथा विपरीत मार्गक अनुसरण कएने रहथि जाहिसँ लवणासुरकेँ कनिकबहु शंका नञि हो । हुनक रस्ता बीहर जंगल आ पहाड़सँ भऽ कऽ जाइत छल जे कि बाल्मिकीनगर केर पक्षमे जाइत अछि नञि कि उन्नाव केर । बाल्मिकीनगर रेल्वे स्टेशनसँ (जे कि भारतमे अछि) करीब 6 - 7 कि॰मि॰ उत्तर भऽर बाल्मिकी आश्रम (एखन नेपालक चितवन राष्ट्रिय उद्यानमे पड़ैछ) अछि जे कि देखबा योग्य स्थान अछि । हम प्रीतीक बातकेँ फरिछबैत कहलियै । 

 कोनहु भूकम्प कतेक शक्तिशाली छल से कोना बुझैत छिऐ ? - सोनी पुछलक ।

 कोनहु भूकम्पक परिमाण अर्थात ओकर आकार बतबैत अछि कि भूकम्प कतेक शक्तिशाली छल । कोनहु भूकम्पक वास्तविक शक्ति वा ओहि भूकम्पसँ उत्पन्न कुल वास्तविक ऊर्जा जाहि युक्तिसँ नापल जाइत अछि तकरा भूकम्पक आकार या परिमाण नापनी (MAGNITUDE SCALE) कहल जाइत अछि । भूकम्पक परिमाण वा आकारक निर्धारणक लेल बहुत रास नापनी या स्केल बनाओल गेल अछि, पर जे सर्वाधिक प्रशिद्ध वा प्रचलित नापनी अछि से अछि “रिक्टर नापनी” या “रिक्टर स्केल (RICHTER SCALE / RICHTER MAGNITUDE SCALE)  अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर अपन सहयोगी गुटेनबर्गक सहायतासँ सन् ‍1934 ई॰मे एकरा विकसित कएलन्हि । एहि नापनी या स्केल पर 01 सँ 12 धरिक अंक होइत अछि जे कि भूकम्पक आकारकेँ बतबैत अछि । 

 कतेक आकारक भूकम्प खतरनाक होइत अछि ? - बब्बनक सीधा प्रश्न छल ।

 00 सँ 02 परिमाणक भूकम्पकेँ मात्र भूकम्पलेखी द्वारा बूझल जा सकैत अछि, मनुक्ख ओकर कम्पनक अनुभव नञि कऽ पाबैछ । 02 सँ 03 परिमाणबला भूकम्पसँ जमीनमे बहुत हल्लुक कम्पन होइत अछि जे मात्र किछु अतिसंवेदनशील लोकसभ द्वारा अनुभव कएल जा सकैत अछि, जखनि कि बेशीतर लोक ओकर अनुभूतिसँ वञ्चितहि रहैत छथि । 03 सँ 04 धरिक आकारबला भूकम्पसँ किछु-किछु तहिना बुझाइत अछि जेना कोनो ट्रककेँ सोझाँसँ गेला पर कम्पन होइत अछि । 04 सँ 05 आकारक भूकम्पक कम्पनसँ खिड़कीक शीशा चनकि सकैत अछि या देबाल पर टाँगल फोटोफ्रेम आदि खसि सकैत अछि । 05 सँ 06 परिमाणबला भूकम्पसँ घरमे राखल चौकी - पलंग - कुर्सी आदि आन समानसभ हिलए लगैछ, 06 सँ 07 आकारबला भूकम्प घरक नेँओकेँ दड़का सकैत अछि तथा विशेष कऽ बहुमजिला भवनसभक उपरुका घरसभकेँ बेशी नोकशान करैछ । 07 सँ 08 तक आकारबला भूकम्प विनाशकारी होइछ तथा एहिसँ भवन वा आन स्थापत्यसभ ढहि सकैत अछि आओर जमीनक भीतर पाइपसभ फाटि सकैत अछि । 08 सँ 09 परिमाणबला भूकम्प अतिविनाशकारी होइत अछि आ पैघ पैघ दृढ़ स्थापत्यसभकेँ सेहो बेस नोकशान पहुँचा सकैछ, संगहि सामान्यरूपसँ बनल प्रायः सभ भवनादिकेँ सामान्यसँ लऽ कऽ गम्भीर क्षति पहुँचाबैत अछि । रिक्टर नापनी पर 09 सँ बेशी अकारक भूकम्प वस्तुतः प्रलयंकारी वा अतिप्रलयंकारीए (-अहि) बुझू; भूकम्पक अधिकेन्द्र आ ओकर आस-पासक प्रायः समग्र विनाश भऽ जाइत अछि । सामान्य भाषामे रिक्टर नापनी पर मात्र एक अंकक कमी-बेशी भेलासँ भूकम्पक विनाशकारी क्षमतामे क्रमशः दसगुणाक ह्रास या वृद्धि भऽ जाइत अछि ।

 पर भूकम्पसँ क्षति सभ जगह एक सनि किएक ने होइत अछि ? - सोनीक एहि जिज्ञाशाक हमरा पहिनहिसँ अपेक्षा रहए ।

 कोनहु स्थान पर भूकम्प द्वारा भेल विनाश भूकम्पक आकारक अतिरिक्त आन बहुत रास बातसभ पर निर्भर करैछ, जेना कि - भूकम्पक अधिकेन्द्रसँ ओहि स्थानक दूरी, ओहि स्थानक धरातलक आन्तरिक सतहक माटि ओ शैलखण्डक संरचना, स्थापत्य ओ निर्माणक मजगूती, जनसंख्या घनत्व आदि । एहि प्रकारेँ एक्कहि परिमाण वा आकारबला भूकम्पक तीव्रता आ तकर कारण होमएबला विनाशकारी प्रभाव भिन्न-भिन्न स्थान पर अलग-अलग होइत अछि, जकरा नपबाक लेल एकटा आन प्रकारक नापनीक प्रयोग होइत अछि । एहि नापनीकेँ भूकम्पक तीव्रता नापनी या सिस्मिक इण्टेन्सिटी स्केल (SEISMIC INTENSITY SCALE) कहल जाइत अछि । विभिन्न देशमे अलग-अलग तीव्रता नापनीक प्रयोग होइत अछि पर मान कमोबेश एकरंगाहे अछि आ प्रायः रोमण अंक पद्धतिमे (I,II,III,IV…….) लिखल जाइत अछि । बेशीतर तीव्रता-नापनीमे ‍एक सँ बारह (I - XII) धरिक श्रेणी होइत अछि । भारतमे भूकम्पक तीव्रता नपबाक लेल पहिने मेद्वेदेव-स्पोनह्युवर-कार्निक नापनी (MEDVEDEV–SPONHEUER–KARNIK SCALE; MSK-64) प्रयुक्त होइत छल पर आइ-काल्हि यूरोपीय वृहत्भूकम्पीय तीव्रता नापनी (EUROPEAN MACROSEISMIC INTENSITY SCALE / EMS-98 ) केर प्रयोग बढ़ि रहल अछि । सं॰ रा॰ अमेरिकामे संशोधित मर्केली नापनी (MODIFIED MERCALLI SCALE) केर प्रयोग कएल जाइत अछि ।

 अपना क्षेत्रमे ‍1934 ई॰मे सेहो एकटा बडका भूकम्प आयल रहए ने ? - प्रीती जानए चाहलक ।

 आ ‍1988 ई॰मे सेहो - प्रीतीक बात पूरा होइते रहै कि बब्बन बाजि उठल ।

 हाँ, ‍1988क भूकम्प विनाशकारी छल जखनि कि ‍1934क भूकम्प अतिविनाशकारी21 अगस्त 1988 कऽ जे भूकम्प आयल छल तकर आकार रिक्टर नापनी पर 6.9 बताओल गेल छल (किछु वेधशाला द्वारा 7.2) जखनि कि भूकम्पक केन्द्र नेपालक उदयपुर शहर लग धरातलसँ 62 कि॰मि॰ गँहीर छल । ‍15 जनबरी ‍1934 केर भूकम्पक आकार रि॰ना॰ पर 8.1 (किछु वेधशाला द्वारा 8.4) कहल संगहि भूकम्पक केन्द्र नेपालक सगरमाथा या माउण्ट एवरेस्ट (MOUNT EVEREST) पर्वत शिखरसँ 9.5 कि॰मी॰ दच्छिनमे धरतीक सतहसँ 33 कि॰मी॰ गँहीर छल । एकर अतिरिक्त 18 सितम्बर 2011 कऽ सेहो एकटा भूकम्प आयल छल जकर आकार रि॰ना॰ पर 6.9 छल आ केन्द्र भारतक सिक्किम राज्यमे कञ्चनजङ्गा रिजर्व क्षेत्रमे छल जे धरातलसँ 19.7 कि॰मी॰ गँहीर अवस्थित छल । काल्हि (‍18 दिसम्बर 2014 ई॰ कऽ) जे भूकम्प आयल छल तकर आकार रि॰ना॰ पर 5.9 जनाओल गेल अछि तथा एकर मूल नेपालक प्रशिद्ध नामचे बजार सँ  26 कि॰मी॰ उत्तर पच्छिममे 10 कि॰मी॰ गँहीर छल । एहि भूकम्पसभक अधिकतम तीव्रता (विनाशक क्षमता) क्रमशः नओ, एगारह, सात ओ पाँच  (IX, XI, VII V) छल ।


 अरे, बाप रे ! …………… एगारह तीव्रता रहै …………… रत्तन अचम्भित स्वरेँ बाजल ।

 हाँ । ई एतेक विनाशकारी छल कि सम्पुर्ण मिथिलाकेँ तहसि-नहसि कऽ देलक । संगहि मिथिलाक चारू कातक परिक्षेत्रमे सेहो भारी तबाही कएलक । निर्मली - भप्तियाहीक बीच रेलपुल टुटलासँ सीधा सम्पर्क टूटि गेल जे अद्यावधि बहाल नञि भऽ सकल अछि । दरभंगा-सहरसा रेल लाइन पुर्णतः टूटि गेल जे दोबारा आइ धरि नञि बनि सकल । राजनगरक नौलक्खा महल सही रूपेण बसबासँ पहिनहि उजड़ि गेल । नेपालक धरहरा स्तम्भ केर सभसँ उपरुका तीन टा तल्ला टूटि गेल जकरा बादमे फेरसँ बनाओल गेल । पच्छिम चम्पारणमे बगहा-छितौनीक बीच रेल पुल टुटलासँ करीब 60 वर्ष धरि रेल सम्पर्क बाधित रहल । कोशी (कोसी) नदीक रस्तामे स्थायी परिवर्तन भऽ गेल - ओ पूबसँ आओर पच्छिम दिशि घुसकि गेल । मिथिलामे प्रायः एहेन कोनहु मकान नञि छल जे क्षतिग्रस्त नञि भेल होअए आ एहि क्षेत्रक प्रायः सब कच्चा मकान ढहि गेल । जान मालक अपार क्षति भेल । एहि भूकम्पक धक्का (झटका) एतेक जोड़गर छल जे उत्तरमे तिब्बतक ल्हासासँ दच्छिनमे बम्बई धरि आ पूबमे बर्मासँ (आब म्यांमार) लऽ कऽ पच्छिममे अमृतसर तक ओकर नीक जेकाँ अनुभव कएल गेल ।


 बाबा तँऽ कहैत रहथिन्ह जे कऽलसभमे अपने-आप पानि खसए लागल छल - बब्बन टीका कएलक ।

 एहि भूकम्पक एकटा विशेषता छल कि बहुत विस्तृत भूभागमे धरतीक भीतरसँ पानि आ बालुक बमकल्ला (SAND & WATER VENTS) फूटल छल । धरतीमे बहुतो ठाम पैघ-पैघ दड़ारि (FISSURES) फाटि गेल रहए । ओहि समयक निर्मली रेल्वे स्टेशन भू-द्रावण / भू-द्रवीभवन (SOIL LIQUEFACTION) कारण करीब ‍3 मीटर (10 फीट)  नीचाँ जमीनमे धँसि गेल आ तकरा ऊपर बालु भरि गेल । बहुत रास ईनार आ पोखरिक पेनीमे बालु जमा भऽ गेल, बालुक कारण बहुत रास उपजाउ खेत बर्बाद भऽ गेल । बहुतो चापाकऽलसभ बालुक कारण खड़ाब भऽ गेल जखनि कि आन बहुतो ईनार आ चापाकऽल जे पहिनेसँ सुखाएल छल - पानिसँ भरि गेल । अधिकेन्द्रसँ करीब 650 सँ 700 कि॰मी॰ धरिक परीधीमे भवनादि स्थापत्यसभ ढहबाक रेकॉर्ड उपलब्ध अछि । सरकारी आँकलनक अनुसार नेपालमे कुल  10800 सँ 12000 लोक आ बिहारमे 7253 लोक मारल गेलाह, पर आन सूत्रसभक अनुसार ई संख्या एहिसँ बहुत बेशी छल । कोनहु भूकम्पक पहिल शक्तिशाली कम्पन वा मुख्य संक्षोभ (MAIN SHOCK) केर बादहु किछु दिन/महिना/साल भरि तक भूकम्पक छोट-मोट झटका आबैत रहैत अछि, जकरा पराकम्पन या पश्च संक्षोभ (AFTER SHOCKS) कहल जाइत अछि । रेकॉर्ड बतबैत अछि कि उनैस सए चौंतीसक एहि भूकम्पक नओ महीना बाद तक (1934 ई॰क अक्टूबर महीना तक) मनुक्खकेँ अनुभव करबा योग्य पराकम्पन अबितहि रहल । …………….. आ भविष्यमे ईहोसँ पैघ विनाशकारी भूकम्प आबि सकैत अछि  - हम कहलियै ।
हमर ई बात सुनि सभ अचानक शान्त भऽ गेल । सभ धियापुता चुपचाप हमर बातकेँ ध्यानसँ सुनि रहल छल । पुर्ण शान्ति छल । जँ एकटा सुइयो जमीन पर खसैत तँ ओकर अवाज सुनल जा सकैत छल - शुचिपात स्तब्धता।


 कहिया ? - सोनीक मन्द स्वर शान्त वातावरणक बीच बहरायल ।

 से केओ नञि कहि सकैत अछि - भऽ सकैए एखने, आइए, चारि दिन बाद, चारि महीनाक बाद, चारि साल बाद, चारि दशकक बाद, या फेर …………… वास्तवमे एतेक वैज्ञानिक प्रगतिक बादो भूकम्पक समयक भविष्यवानी करब एखन धरि सम्भव नञि भेल अछि । 


 अपना मिथिलामे एतेक भूकम्प किएक अबैत अछि ? - रत्तन हमरासँ उताराक अपेक्षा रखैत बाजल ।

 एकर कारण अछि कि भारतीय विवर्तन छज्जी आ यूरेशीय विवर्तन छज्जीक टकराओ केर भ्रंश रेखा मिथिलाक क्षेत्रसँ गुजरैत अछि जाहि कारण ई भूकम्प सम्भाव्य क्षेत्र सं॰ 5 केर अन्तर्गत आबैत अछि ।

 ई भूकम्प सम्भाव्य क्षेत्र सं॰ 5 की अछि ? - प्रीतीक सोझ प्रश्न छल ।


 भारतक कोन क्षेत्रमे भूकम्प अएबाक कतेक सम्भावना अछि ताहि आधार पर समस्त भारतकेँ पाँच गोट क्षेत्रमे बाँटल गेल छल जकरा  “भूकम्प क्षेत्र” या “भूकम्प सम्भाव्य क्षेत्र” (SEISMIC ZONES / SEISMOLOGICALLY PRONE AREAS) कहल जाइत अछि आ एकसँ लऽ कऽ पाँच धरिक संख्यासँ निर्देशित कएल जाइत अछि । भू॰सं॰क्षे॰सं॰-‍1 केँ भूकम्पक संभावनासँ रहित क्षेत्र मानल गेल,  भू॰सं॰क्षे॰सं॰-2 केँ अत्यल्प (न्यूनतम) सम्भावनाबला क्षेत्र आ भू॰सं॰क्षे॰सं॰-5 केँ सभसँ बेशी (महत्तम) सम्भावनाबला  क्षेत्र मानल गेल । बादमे बुझना गेल जे भारतीय प्रायद्वीप पर कोनहु क्षेत्रविशेषकेँ भूकम्परहित क्षेत्र मानब गलत अछि । वस्तुतः जखन भारतीय विवर्तन छज्जी आगाँ घुसकैत अछि तँऽ छज्जीक माँझ कतहु भ्रंश केर निर्माण भऽ सकैत अछि आ से बादमे भूकम्पक स्वतन्त्र कारण बनि सकैत अछि । एहि प्रकारक भूकम्पकेँ अन्तः-छज्जी / अन्तर्छज्जी भूकम्प (INTRA PLATE / INTRA TECTONIC EARTHQUAKE) कहल जाइत अछि । सन 2001 ई॰मे सूरतमे आयल भूकम्प एहने भूकम्पक उदाहरण छल । तेँ भू॰सं॰क्षे॰सं॰-‍1 केँ समाप्त कऽ देल गेल आ सम्पुर्ण भारतकेँ  भू॰सं॰क्षे॰सं॰-2, 3, 45 मे बाँटि देल गेल जे आइ धरि मान्य अछि । अपन मिथिलाक केन्द्रीय भाग भू॰सं॰क्षे॰सं॰-‍5 मे आबैत अछि जखनि कि परीधीय मिथिला भू॰सं॰क्षे॰सं॰-‍4 मे आबैत अछि ।


 तखन तँऽ मिथिलासँ पलायने उचित - बब्बन बाजल ।

 नञि, हमरा जनैत कथमपि नञि । पलायन कएनिहार व्यक्ति कतहु सफल नञि होइत अछि । हमरालोकनिकेँ एही ठाम रहि विकाशक रास्ता तकबाक चाही । जँ पलायने रस्ता रहैत तँऽ जपानक लोकसभ कहिया ने पलायन कऽ गेल रहैत आ जपान विरान भऽ गेल रहैत । ओहुना हर जगह पर भूकम्प नञि तँऽ कोनहु आनहि प्राकृतिक आफदसभ अवश्य रहैत अछि, सृष्टिमे जीवन-यापन कतहु अतिसुगम नञि अछि । देशक राजधानी दिल्ली सेहो भू॰सं॰क्षे॰सं॰-‍4मे आबैत अछि । 

 एहिनामे की करबाक चाही - प्रीतीक प्रश्न कानमे पड़ल पर ई प्रश्न सभ धियापुताक मोनमे चलि रहल छलै ।

 एहिनामे धैर्य आ विवेकसँ काज लेबाक चाही । समकालीन वैज्ञानिक ज्ञानक यथासम्भव उपयोग करबाक चाही ।

 ओहिमे तँऽ बेशी खर्च लगैत हेतैक ? - सोनी पुछलक । 

  ‍जरूरी नञि छै कि हमेशा खर्च बेशीए लागए । 1934 ई॰क भूकम्पमे राजनगरक नौलक्खा महल, दरिभंगामे छत्र निवास महल (पैलेश)  आदिकेँ ध्वस्त भेलाक बाद दरिभंगामे नरगओना महल (पैलेश)  केर निर्माण भेल जे तत्कालीन वैज्ञानिक ज्ञानक आधार पर बनाओल गेल । ओ एहि समस्त क्षेत्रक पहिल भूकम्परोधी भवन छल । ई महल बाहरसँ बहुत साधारण लगैत अछि, कोनहु तरहक अनावश्यक अलंकरणसँ रहित अछि पर ओहि समयक भूकम्परोधी स्थापत्य अभियान्त्रिक ज्ञानक पुर्ण प्रयोग कएल गेल अछि । नेँओ मजगूत देल गेल अछि, भवनक देबालक उपर देबाल अछि, देबालक या खम्भाकेँ नीचासँ उपर धरि एक सीधमे राखल गेल अछि, कतहु कोनहु बाह्यधऽरनि / बाहुधऽरनि (CANTILEVER) नञि देल गेल अछि, कोनो तरहक तोरण / चाप / मेहराब (ARCH) नञि देल गेल अछि ।  एकर निर्माणमे ईंटेबाक प्रयोग नञि कएल गेल अछि अपितु सम्पुर्ण महल केर देबाल आ खाम्ह मात्र कंक्रीटसँ बनल अछि ।
 

 तहिना चीन तकनीक बल पर तिब्बतक भूकम्प प्रभावित क्षेत्रमे यार्लङ्ग साङ्ग्पो (YARLUNG TSANGPO) नदी (चीनमे ब्रह्मपुत्र नदीक नाँओ) पर एकटा अति महत्वाकांक्षी बान्ह केर निर्माण कएलक अछि । यद्यपि एकर विरोधमे सेहो बहुत स्वर उठल अछि पर एकटा बात विचारणीय अछि कि बिना खतरा मोल नेने सफलता नञि भेटैछ । हाँ आवश्यकता अछि ओहि खतरा वा सम्भावित दुर्घटनासँ बचाओ करबाक हेतु समुचित व्यवस्थाक । तेँ एहि क्षेत्रक समुचित विकाशक लेल दृढ़ ईच्छाशक्तिक संग सभसँ पहिने एहि ठामक लोकसभकेँ आ तकरा संगहि राज्य ओ केन्द्र सरकारकेँ सोझाँ आबए पड़तैक । अपनासभमे कहबीयो छैक कि बऽडर बुड़िबक तँऽ दहेज के लेत । एहि कहबीक अर्थ दहेजप्रथाकेँ समर्थन करब नञि थिक आ नहिञे हमरासभकेँ तकर समर्थन करबाक चाही । ओहुना कोनहु कहबीक शब्दार्थ नञि ग्रहण कऽ ओकर भावार्थ ग्रहण कएल जाइत अछि । तेँ एकर गूढ़ अर्थकेँ बुझबाक प्रयास करह ! जँ एहि ठामक लोके एहि ठामक समस्यासँ पलायन करैत रहत, ओकरा लेल अवाज नञि उठाओत, ओकर निराकरणक लेल काज नञि करए चाहत तँऽ राज्य ओ केन्द्र सरकार किएक ने कानमे तूर दऽ कऽ सूतल रहत ।


 ठीके कहैत छी अहाँ - रत्तन बाजल ।

 एकदम सही, हम सभ पलायनक बारेमे सोचबो नञि करब - बब्बनक सहमति भरल पाँती छल ।

  चाहे पढ़बाक-लीखबाक लेल वा कमएबाक लेल जतऽ कतहु जाइ, पर आपिस आबि अपना मिथिला लेल काज करब - प्रीती बाजलि ।

  हमहूँ - सोनी समर्थन स्वरमे बाजलि ।

 तँऽ आजुक भूकम्प-कथा आब एत्तहि समाप्त करैत छी ।  बाकी काजसभ सेहो करबाक अछि ने । आ अहूँसभकेँ तैय्यार भऽ कऽ इस्कूल जएबाक अछि । - हम सीरककेँ कातमे टारैत कहलियै ।

 हँ , ठीक छै - सभ धियापुता से कहि विदा भेल आङ्गन दिशि ।



डॉ॰ शशिधर कुमर विदेह”,  तथा
श्रीमति सुप्रिया / बेबी कुमारी
ग्राम रुचौल (दुलारपुर-रुचौल) ,
पो॰ मकरमपुर, जिला दरभंगा,
पिन ८४७२३४,
videha19@yahoo.com





मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍192म अंक (‍15 दिसम्बर 2015) (वर्ष 8, मास 96, अंक ‍192) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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