कल्पनाक यान सँ
(गीत)
कल्पनाक यान सँ,
मोनक उड़ान सँ,
घुरि फिरि आबैत छी, प्रेयसीक गाम सँ ।।
कोनटा केर कात सँ,
ग्रसित लोक लाज सँ,
स्वागत ओ कयलि, अपन मन्द - मन्द हास सँ ।।
अधीर सनि गात सँ,
विरहक प्रताप सँ,
सोझाँ भेलीह ओ मिलनक उसास सँ ।।
कोमल सनि हाथ सँ,
तिलकोरहि पात सँ,*
आँजुर दुइ नेह देल पुर्वहि प्रभात सँ ।।
कागक अवाज सँ,
आभासहि प्रात सँ,
टूटल जे निन्न, स्वप्न डूबल सन्ताप सँ ।।
* तिलकोरहि पात = प्रेयषीक पातर – पातर ठोरक लेल उपमा = तिलकोरक पात सन पातर ठोर ।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४८, अंक – ९६, दिनांक - १५ दिसम्बर २०११, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।
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