।। प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।
(मिथिला वन्दन गीत)
स्वर्गहु सँ सुन्नर पावन जे धाम ।
प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।*
मण्डन - अयाची - उद्याना केर नगरी ।
कवि कोकिल विद्यापति केर गाम एतए विसफी ।
आबि एतए भेलाह शंकर निरूत्तर ,
कर्मभूमि जनकक, ओ सीता केर गाम ।
प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।
गोबर सँ नीपल द्वारि , पाड़ल अरिपन ।
स्वच्छ - सुगम्य बाट - घाट लागय मनोरम ।
गाछ जतऽ फूल, बेलपात आ अशोक केर ,
खल – खल हँसैत, भरल खरिहान ।
प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।
नामी जतऽ केर अछि भोजन सचार ।
चुड़ा - दऽही - चिनी आ आमक अचार ।
नामी अछि विश्व भरि पेण्टिङ्ग जतऽ केर,
नामी जतऽ केर अछि पान आ मखान ।
प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।
गीत विद्यापति केर गूँजय हर अङ्गना ।
बाजय राधा केर पायल आ कङ्गना ।
गूँजय यत्र – तत्र गीत भगवान केर,
हर – हर महादेव, जय राम – घनश्याम ।
प्रथम् पुज्य मिथिला हमर शत् - शत् प्रणाम ।।
* ई हमर बहुत पुराण गीत सभ मे सँ थिक, जे कि १९९० - १९९७ केर बीच किछु लोकनि द्वारा “जे॰ एन॰ कॉलेज मधुबनी”, “आर॰ के॰ कॉलेज मधुबनी” तथा “भगवती स्थान कोइलख मधुबनी” आदिक मञ्च सभ सँ गाओल जा चुकल अछि ।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४८, अंक – ९६, दिनांक - १५ दिसम्बर २०११, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४८, अंक – ९६, दिनांक - १५ दिसम्बर २०११, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।
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