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Tuesday 25 April 2017

पद्य - २३५ - पटना पुस्तक मेला (बाल कविता)


पटना पुस्तक मेला (बाल कविता)

पटनाक पहिल पुस्तक मेलासँ किनल किछु सोवियत पोथीसभ - रादुगा, मीर ओ प्रगति प्रकाशनक पोथीसभ


आइ गेल छलहुँ  पुस्तक मेला,
पटनाक   गान्धी   मैदानमे ।
नञि विशेष किछु  छल तइयो,
नव  पोथीक  अनुसन्धानमे ।।

याद आबैछ  एखनहु  ओहिना,
पटनाक  पहिल पुस्तक मेला ।
पोथी  सभहक  अम्बार   बेस,
आ लोक सभक रेला - ठेला ।।

मीर,  रादुगा,  प्रगति प्रकाशन,
सोवियतक   पुस्तक  आगार ।
ऑक्सफोर्ड, प्रैण्टिस आ कैम्ब्रिज,
एन॰बी॰टी॰, सी॰एस॰आइ॰आर॰ ।।

हरेक विषय पर  छल  पुस्तक,
भाषा, इतिहास, भूगोल  रहए ।
अभियंत्रन, वाणिज्य, चिकित्सा,
ज्योतिष, धर्म, खगोल  रहए ।।

बहुबिध  देसी  आओर  बिदेसी,
पुस्तक   केर   स्टॉल  रहए ।
मैथिलीक  सेहो  एक - दू  टा,
नीक  छोट   स्टॉल   रहए ।।

सोचल    आगाँ   धीरे - धीरे,
मैथिलीक    स्टॉल    बढ़त ।
ई  तँऽ   पहिलुक  बेर  थिकै,
आगाँ  बढ़िञा माहौल  रहत ।।

एहनहु  बरख   रहल  जहिया,
छल नामहि केर पुस्तक मेला ।
पाटलीपुत्र    मैदान    फिरल,
भेल  दूसल्ला  पुस्तक मेला ।।

कतोक  प्रकाशन   बन्न  भेल,
अन्तर्जालक  ई  युग आएल ।
थिक  उदासीन  सरकार  सेहो,
राज्यक भाषा सभ बौआएल ।।

युवा ई मेला - चौबीस बरखक,
वृद्ध  सनक  लागैत  अछि ।
पुस्तक मेलाक  शिशु अवस्था,
याद  बहुत  आबैत  अछि ।।

2017 ई॰क पटना पुस्तक मेलामे मैथिली द्वार तँऽ छल मुदा मैथिली पोथीक स्टॉल नञि । शायद एही द्वार बाटे मैथिली पोथीसभ भागि गेल होयत !!!




मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍224म अंक (‍15 अप्रील 2017) (वर्ष 10, मास 112, अंक ‍224) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।


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