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Thursday 2 February 2012

पद्य - ३८ - हे अए (ऐ) हमर शशिकामिनी


हे अए (ऐ)  हमर शशिकामिनी
(गीत)



मधु - हासिनी ,     सौदामिनी ।



हे अए (ऐ)  हमर शशिकामिनी ।*
हे अए (ऐ)  हमर शशिकामिनी ।।

गज - गामिनी,      मनोहारिनी ।
मम्   हृदय - कुञ्ज  विहारिणी ।।

मृदु - भाषिणी,  मित - भाषिणी ।
छलकय  अधर  सञो  वारुणी ।।

मधु - हासिनी ,     सौदामिनी ।
रति - छवि नयन  सुखदायिनी ।।

प्रिय - दर्शिनी,    मधु - वर्षिणी ।
शोभा       अलंकृत - कारिणी ।।

मन्मथ - जयी,     सद्यः   रती ।
कर काम  जय - ध्वज धारिणी ।।

अहँ   उर्वशी,    मम् उर बसी ।
अहँ    प्रीति पय - मन्दाकिनी ।।

हे  अए (ऐ)  हमर  शशिकामिनी ।
हे अए (ऐ)  हमर  शशिकामिनी ।।




* शशिकामिनी = चाँदनी = चानी



“विदेह” मैथिली पाक्षिक इ – पत्रिका, अंक ९९, वर्ष ५, मास ५० मे,  ‍१ फरवरी २०१२ कऽ, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।

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