सभसँ पहिने “विदेह” केर शतकांकक बधाई आ भविष्यक शुभकामना
संगहि समस्त विदेह परिवार केँ सादर धन्यवाद
अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस
(21 फरबरीक अवसरि पर विशेष)
एक – आध महिना पहिनुक गप्प
थिक । शीतलहरीक समय छल । साँझ खन दलान पर, लालटेमक ईजोत मे धिया – पुता सभ पढ़ि
रहल छल । सोझाँ मे घूर पजड़ल रहै आ सभ बूढ़ – पुरान लोकनि घूर लग बैसल छलाह ।
रेडियो बाजि रहल छल, गप्प –
सड़क्का चलि रहल छल । धिया – पुताक मोन सेहो पढ़बा पर कम्मे आ घूर लग बाजि रहल
रेडियो आ चलि रहल गप – शप दिशि बेशी छल । एक
तऽ शीतलहरी, दोसर रतुका भोजनक समय लगिचाएल आ तेसर सामने बजैत रेडियो आ गप्प
सड़क्का – तखन तऽ स्वभाविकहि जे पढ़बा मे मोन कोना लगओ ? मोन मसोसि कऽ बैसल किताब
दिशि ताकि रहल छल आ प्रतिक्षा मे छल जे कोनहुना समय बीतय आ खएबाक लेल जएबाक अनुमति
भेटओ ।
एतबहि मे हम आङ्गन सँ दलान
पर अयलहुँ । हमरा देखितहि धिया – पुता सभ केर मोन खुश । खुश होयबाक कारण ई जे आब
ओकरो सभ केँ गप्प मारबाक संवैधानिक अधिकार भेटैत बुझि पड़लै । जे लोकनि घूर लऽग
बैसल रहथि से बहुत पैघ, बहुत बुजुर्ग – तेँ पढ़ब छाड़ि हुनिका सभ सँ बतिअएबाक मतलब
छल डाँट सुनब । हुनिका सभक आशय जे जा धरि अङ्गना जयबाक बिझो नञि भऽ जाय ता धरि
किताब लऽ कऽ बैसल रहह ।
हमरा अबैत देखि कऽ
सोनी हमरा कुर्सी दैत बाजलि – यौ बैसू ।
– की पढ़ैत छी अहाँ सभ ?
वस्तुस्थिति तऽ हमरा बुझाइए गेल छल तथापि हम पूछल ।
- यौ की पढ़ब ? रेडियो सुनि
रहल छी – से तऽ अहूँ केँ बुझाइए गेल होयत । प्रिया धीरे सँ बाजलि ।
पढ़बा छाड़ि कऽ बतिआएब हमरो
पसिन्न नञि पर बेमोन सँ किताब लऽ कऽ बैसबा सँ की लाभ ? इएह सोचैत हम पूछल – ई बात
तऽ नीक नञि ?
केओ किछु नञि बाजल आ चुपचाप
हमरा दिशि ताकए लागल । हमरो बुझाएल जे एहि मे धिया – पुताक कोन दोष । नेनपन तऽ
निर्दोष होइत अछि, ओकर अप्पन कोनो दिशा नञि होइत छैक, जे दिशा देखाओल जाइछ तकर
अनुसरण करैछ । दोष ओहि वातावरणक थिक जाहि मे किछु लोकनि पढ़बाकेँ मात्र नित्य कर्म
जेकाँ बुझैत छथि आ धिया – पुताक अध्ययन – अध्यापन केर प्रति एखनहु लापरवाह छथि । ई
स्थिति कोनो एक ठामक नञि अपितु प्रायः सम्पुर्ण मिथिलाक अछि जे कि बहुत
असन्तोषप्रद अछि । अनायस मोन मे श्री अरविन्द कुमार “अक्कू”जीक गीतक चारि पाँती
याद आबि गेल
सखी पिया केँ पत्र आइ हम, कोना कऽ लिखबै हे ?
ककरा सँ अ – आ – क – ख – ग – ङ सिखबै हे ?
...............................................................
पाँचे बरष सँ फुलडाली लए, तोड़ब सिखलहुँ फूल अरहूल ।
जानी ने हम चिट्ठी - पत्री, छी बेटी मिथिला केर मूल ।
जानी ने हम चिट्ठी - पत्री, छी बेटी मिथिला केर मूल ।
हलाकि आजुक स्थिति उपरोक्त
गीतक पाँती सन नञि अछि, पर बेशी किछु एखनहु नञि बदलल अछि । आन ठामक धिया – पुता केर
पढ़बाक व पढ़एबाक तरीका परिस्कृत भेल अछि, ओ सभ एहि क्षेत्र मे सजग भेल अछि, ओहि
ठाम धिया – पुता नेनपनक आनन्द सेहो उठबैछ आ अपेक्षाकृत कम मेहनति कऽ कऽ नीक
शैक्षणिक स्तर केँ सेहो प्राप्त करैछ । अपना सन्दर्भ मे बात एकदम उनटा । मैथिल
धिया – पुता केर जे किछु उपलब्धि देखैत छी से अपेक्षाकृत बेशी मेहनति कऽ कऽ आ
नेनपनक बलिदान कएलाक उपरान्त भेटैछ । विशिष्ट उपलब्धि – जेना कि आइ॰ ए॰ एस॰, आइ॰
पी॰ एस॰ आदि - केर सुची भलहि नम्हर हो पर औसत मैथिल धिया – पुताक उपलब्धि बहुत
असन्तोषजनक अछि । या तऽ नेनपनक पाछाँ शिक्षा हेराए जाइत अछि या फेर शिक्षाक पाछाँ
नेनपन, जखन कि आन ठामक धिया – पुता केँ दुहुक लाभ ओ सुख भेटैछ । आ गामक सन्दर्भ मे
“धिया – पुता” कहाँ - एखनहु मात्र “पुता” । “धिया” केर पढ़ाई तऽ बहुशः एखनहु ओहिना
अछि – हाँ चिट्ठी जरूर पढ़ि - लीखि सकैत छथि, पर ताहि सँ की ? एखनहु बहुधा
स्थिति ओएह अछि, ओएह मानसिकता कि धिया – पुता किताब लऽ कऽ बैसल अछि, सामने फालतूक
गप्प चलि रहल अछि, रेडियो बाजि रहल अछि ..........................। बियाह काल वर पक्ष पुछैत
अछि कि कनिञा कते पढ़ल छथिन्ह तेँ नाँव लिखा देने छियै, पास तऽ भइए जेतै ......................... । एखनहु कते घण्टा किताब लऽ कऽ बैसल से देखल जाइत अछि, की पढ़लक से नञि ।
- यौ एकटा चीज पुछबाक अछि ।
सोनीक शब्द हमर मोनक विचार - प्रवाह केँ तोड़लक ।
- की ? पूछू । हम बजलहुँ ।
- ई “मातृभाषा दिवस” की
होइत छै ?
- अहाँ केँ के कहलक ?
- नञि, रेडियो पर किछु बजैत
छलै ।
- 21 फरवरी कऽ हर साल “अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस” (International
Mother Language Day) केर रूप मे मनाओल जाइत अछि । हम उत्तर देल ।
- से किएक ? पवन बाजल ।
- अहाँ सभ केँ तऽ बुझलहि
होयत कि 15 अगस्त 1947 ई॰ कऽ जखन भारत
स्वतन्त्र भेल तऽ भारत केर विभाजन भेल आ पाकिस्तान नामक देश बनल ।
- हाँ । से तऽ सभ
केँ बुझल छै - सोनी बाजलि ।
- ओहि समयक
पाकिस्तानक दू टा भाग छल पच्छिमी पाकिस्तान यानि कि आजुक “पाकिस्तान” आ “पुरबी
पाकिस्तान” अर्थात् आजुक “बाङ्गला देश” ।
- अच्छा । गम्भीर
स्वरेँ प्रिया बाजलि ।
- 21 मार्च 1948 ई॰ कऽ पाकिस्तानक
तत्कालीन गवर्नर जनरल स्व॰ मोहम्मद अली जिन्ना जी आदेश देलन्हि कि सम्पुर्ण
पाकिस्तान केर राजकाजक एकमात्र भाषा होयत “उर्दू” ।
- जेना कि अपना देश
मे “हिन्दी” - पवन बाजल ।
- नञि पवन बाबू, अहाँक ई
जानकारी गलत अछि । भारत एहि परिप्रेक्ष्य मे थोड़ेक उदार नीति अपनओलक । भारत केर संविधानक
“आठम अनुसुची” (8th
Schedule) मे मान्यता प्राप्त हरेक भाषा राष्ट्रभाषा थिक
आ नैतिक व संवैधानिक रूपेण समान अधिकार रखैछ । जा धरि “हिन्दी” केर लेल सम्पुर्ण
भारतवर्ष मे समान रूप सँ सहमति नञि होइछ ता धरि
पूरा भारत मे “हिन्दी” आ “अंग्रेजी” राजकाजक भाषा रहत । संगहि - संग आठम
अनुसुची मे शामिल आन भाषा सभ सेहो अपन – अपन क्षेत्र वा राज्यविशेष मे राजकाजक
भाषा रहत । जेना कि बंगाल मे बंगाली, महाराष्ट्र मे मराठी आ .............
- ............... आ मिथिला मे मैथिली । पवन बिच्चहि मे लोकैत बाजल ।
- हाँ । तऽ स्व॰ जिन्ना जी
केर आदेश सँ तत्कालीन पच्छिमी पाकिस्तानक लोक सभ केँ खुशी भेलन्हि किएक तऽ हुनिका
लोकनि केँ उर्दू नीक जेकाँ अबैत छल । पर तत्कालीन पुरबी पाकिस्तानक लोक क्षुब्ध भऽ
उठलाह कारण हुनिका लोकनि केँ “बाङ्गला” केर अतिरिक्त आन भाषा वा उर्दू नञि अबैत छलन्हि
।
- तऽ फेर की भेलै ?
उत्सुकता भरल स्वरेँ प्रिया पुछलक ।
- फेर पुरबी पाकिस्तान मे
एहि प्रस्तावक भयंकर विरोध भेल । पुरबी पाकिस्तानक राजधानी “ढाका” मे छात्र लोकनि
शान्तिपुर्ण प्रदर्शन कएलन्हि आ बन्न आयोजित कयलन्हि । पर तत्कालीन पाकिस्तान
सरकार एहि विरोधक यथासम्भव दमण कएलक । 21 फरबरी 1952 ई॰ केर दिन शान्तिपुर्ण प्रदर्शन कए रहल छात्र लोकनि पर गोली चलाओल
गेल । बहुत लोकनि घायल भेलाह आ बहुतहु प्राण गमओलाह । प्राण गमओनिहार आन्दोलनकारी
छात्र लोकनि मे प्रमुख छलाह स्व॰ अब्दुर्सलीम, स्व॰ रफ़ीक़ उद्दीन अहमद, स्व॰
अब्दुल बर्कत आ स्व॰ अब्दुल ज़ब्बार ।
- ई तऽ जलियाँबाला बाग
जेकाँ काज भेल । पवन बाजल ।
- हाँ । बाङ्गला देशक
स्वतन्त्त्रताक बाद 21 फरबरी 1952 ई॰ केर दिन दिवंगत भेल सभ गोटेक स्मरण चिन्हक रूप मे “ढाका
विश्वविद्यालय” केर प्राङ्गन मे एक गोट स्मारकक निर्माण कराओल गेल, जकर नाँव थिक
“शहीद मिनार” ।
चित्र १ – ढाका
विश्वविद्यालय परिसर स्थित “शहीद मिनार”
(साभार सौजन्य –
विकिपीडिया, पब्लिक डोमेन)
- तऽ तहिये सँ
“अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस” मनाओल जाय लागल । प्रिया बाजलि ।
- नञि । एतेक आसान नञि छल ।
बहुतहि संघर्ष चलल । 26 मार्च 1971 ई॰ कऽ पुरबी
पाकिस्तान अपना आप केँ स्वतन्त्र घोषित कएलक पर पाकिस्तान सरकार केँ से मान्य नहि
। अन्ततः 16 दिसम्बर 1971 ई॰ केर दिन युद्ध
मे पुरबी पाकिस्तान द्वारा पच्छिमी पाकिस्तान पराभूत भेल । पुरबी पाकिस्तान स्वतन्त्र देश बनल जकर नाँव
राखल गेल “बाङ्गला देश” । यद्यपि फरबरी 1974 ई॰ मे पकिस्तान बाङ्गला देश केँ स्वतन्त्र देश मानलक तथापि 26 मार्च 1971 ई॰ केर दिन केँ “बाङ्गला देश” मे स्वाधीनता दिवस केर रूप मे मनाओल जाइत अछि
।
- हाँ । 1971 ई॰ केर युद्धक चर्च हमर इतिहासक किताब मे अछि ।
विकास बाजल ।
- बहुत बाद मे 17 नवम्बर 1999 ई॰ कऽ यूनेस्को (UNESCO; United Nation's Educational, Scientific & Cultural Organization) द्वारा 21 फरबरी केँ औपचारिक
रूपेँ “अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस” केर रूप मे घोषित कएल गेल । आ ताहि दिन सँ हरेक वर्ष 21 फरबरी केर दिन “अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस” केर रूप मे मनाओल जाइत अछि । एहि दिवस केँ
मनएबाक मुख्य उद्देश्य भाषायी आ सांस्कृतिक वैविध्य केँ संरक्षण करब आ बहुभाषिता (multilingualism) केँ बढ़ायब थिक ।
चित्र २ – ऑस्फील्ड
पार्क, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया स्थित “अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस स्मारक”
(साभार सौजन्य –
विकिपीडिया, पब्लिक डोमेन)
- चलू, आइ बहुत नीक चीज
बताओल अहाँ । प्रिया बाजलि ।
- हाँ, ओना तऽ हम सभ खाली
किताब खोलि बैसल रही आ घूर तऽरऽक गप्प पिबैत रही । अहाँ केँ अयला सँ किछु नऽव सीखल
। सोनी बाजलि ।
- तऽ आब रतुका भोजन केर लेल
चली ? हम पूछल ।
- हँ ........ हँ .......... सभ धिया – पुता
बाजल । आ हम सभ रतुका भोजनक लेल आङ्गन दिशि विदा भेलहुँ ।
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