Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Sunday, 25 October 2015

पद्य - ‍१‍२‍३ - समाज आ विरोधाभास (कविता)

समाज आ विरोधाभास (कविता)






अप्पन बेटी डान्स करैए,
ई छी  गर्वक  बात ।
अनकर बेटी गीत गबैए,
धुर पीटता ओ माथ !!

अप्पन बेटी  मॉडेल छी तँऽ,
मिथिलानी  केर  भाग ।
पढ़बा लए हॉस्टल दोसर जँऽ,
उचित ने कनिञो बात ।।

अप्पन बौआ  उड़बए कौआ,
शार्प माइण्ड अछि रखने ।
दोसर पोथी बाँचि रहल जञो,
सुग्गा  सनि  की रटने ??

टू-पीस, थ्री-पीस अपना घरमे,
बड़-बड़   नबका  फैशन ।
ओकर पुतोहु केर पहिरन देखल,
मुशहरीक  किछु कतड़न ।।१

इएह समाज छी कमोबेश,
आ इएह  एकर छी ढर्रा ।
अपने ओकैजनल कहियो कऽ,
आन  पिबैत’छि   ठर्रा ।।२

अपना घर जेकिछु ऊकड़ू अछि,
परिवर्तन   छी   बौआ ।
अनका घर किछु नऽव भेल तँऽ,
बाजि रहल अछि ढौआ ।।

अपन बेढब जँ चालि – चलन,
नव क्रान्तिक शंख बजैए ।
आनक गति जँ रुचल-पचल नञि,
संस्कृति   नाश  करैए ।।

अपने कनिञा धिया-पुता लग,
आने  बोल  बजै  छी ।
तखन कोना मिथिलाभाषामे,
अनका बाध्य करै छी ।।

अप्पन टल्हा, सोना सिक्का,
अनकर   हीरा  - सीसा ।
अनकर कएल कर्मसभ अनुचित,
जीबितहि अपन चलीसा ।।३

अपने तालेँ नाचि रहल सभ,
अपनहि–अपनहि   बात ।
ककरो आन केओ नञि सूनए,
ई  छी  केहेन  समाज ।।


. मुशहरी = सुपर नेट या नेट बला साड़ी लेल गामक किछु वृद्ध वा वृद्धालोकनि द्वारा प्रयुक्त कटाक्ष भरल शब्द ।
. हम व्यक्तिगत रूपेण मदिरापानक प्रचारक नञि छी आ नहिञे स्वयं पिबैत छी । पर जे करैत छथि तनिकहि शब्द अक्षरशः अछि ।
. चलीसा = अप्पन सवयं केर प्रशंसाक अतिशय प्रचारार्थ कएल गेल कोनहु प्रकारक कृत्य ।

. हम व्यक्तिगत रूपेण ऊपर वर्णित कोनहु फैशन वा जीवनशैलीक विरोध नञि करैत छी पर समाजमे पसरल किछु विरोधाभाषकेँ उजागर करबाक लेल ओकर चर्च एहि कवितामे कएल गेल अछि ।




मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍190म अंक (‍15 नवम्बर 2015) (वर्ष 8, मास 95, अंक ‍190) मे प्रकाशित ।


No comments:

Post a Comment