बनल
मधेश मसान छै (गीत)
मारल गेलै
लोक कतेको, बनल मधेश मसान छै ।
केहेन छै
ई प्रजातन्त्र आ
केहेन संविधान छै !!
राजतन्त्रमे भेदभाव - ओहि ठामक लोक कहए छल ।
सम अधिकारक लेल
प्रजातन्त्रक ओ बाट ताकए छल ।
आइ दिवस ओ एलै मुदा,
बखड़ा नञि एक समान छै ।
केहेन छै
ई प्रजातन्त्र आ
केहेन संविधान छै !!
अधिकारक जे माँग कएलक, से गोलीक भेल शिकार ।
शोणितमय शुरुआत जकर,
तक्कर भविष्य की आश ?
दूमेसँ हर एक व्यक्ति,
जक्कर दहीन नञि - बाम छै ।
केहेन छै
ई प्रजातन्त्र आ
केहेन संविधान छै !!
देश स्वतन्त्र ओ भिन्न मुदा भारतक
सहोदर भाए ।
सएह सोचि भारत कहलक,
करू संकट केर उपाए ।
भारत केर हित वचनकेँ
उनटे, बूझए ओ अपमान छै ।
केहेन छै
ई प्रजातन्त्र आ
केहेन संविधान छै !!
एक देशमे
दू - नागरिकता, जखन - जतए भेलैए ।
साक्षी अछि इतिहासे - ओक्कर अप्पन अहित भेलैए ।
देश माए आ माएक लेल तँऽ
सुन्नर सभ सन्तान छै ।
केहेन छै
ई प्रजातन्त्र आ
केहेन संविधान छै !!
16 अक्टूबर 2015 कऽ प्रकाशनार्थ “विदेह - पाक्षिक मैथिली ई पत्रिका” केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट
पत्रिका “विदेह” केर 190म अंक (15 नवम्बर 2015) (वर्ष 8, मास 95, अंक 190) मे प्रकाशित ।
28 नवम्बर 2015 कऽ श्रीमति प्रेमलता मिश्र 'प्रेम'जीक पटना आवास पर आयोजित "सान्ध्य गोष्ठी"मे प्रस्तुति ।
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