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मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Wednesday 22 June 2016

पद्य - ‍१९‍१ - राजहंस या हंसावर (बाल कविता)

राजहंस या हंसावर (बाल कविता)






हउए   देखियौ   अरुण - क्रुञ्च,
वाह ! केहेन रमणगर  लागैत छै ! *
सागर तट पर झुण्डक - झुण्ड ओ,
केहेन   सोहनगर   लागैत  छै !! *

खन  सारस  सनि   ठाढ़  भेल छै,
खन   हंसहि  सनि   हेलैत  छै ।*
हंसहि   सनि   देखियौ   गर्दनि,
ओ  पानिसँ अनुखन खेलैत छै ।।

केओ कहैछ - छै  राजहंस इएह,
केओ  कहैछ  -  हंसावर  छै ।*
अपना  दिशि   नञि  छै  भेटैत,
ओकरा  बड़ रुचिगर सागर छै ।।*

हंसहि सनि  एकरहु  तँऽ  मूँहमे,
छन्नी  सनि  किछु  लागल छै ।
कादो   सानल   पानिसँ   सेहो,
स्वच्छ आहार  ओ  छानैत छै ।।*

संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - प्राचीन हिन्दू धर्मग्रण्थसभमे जाहि अरुण क्रुञ्च नामक चिड़ैकेँ अग्निदेवताक वाहन बताओल गेल अछि से इएह चिड़ै थिक ।

* - ई चिड़ै समुद्र तट पर रहब पसिन्न करैत अछि आ तेँ अपना दिशि नञि भेटैत अछि । भारतमे विशेष कऽ पछबारी समुद्रतटीय घाट पर ई चिड़ै आबैत अछि आ किछु संख्यामे पुबारी समुद्रतटीय घाट केर क्षेत्रमे (यथा - उड़ीसाक चिल्का झीलमे) सेहो । ई प्रबासी चिड़ै (MIGRATORY BIRD) थिक । गर्मीमे अफ्रिकाक समुद्री तटसँ भागि प्रायः दच्छिन-पच्छिम एसियाक आ यूरोपक समुद्र तट पर आबैत अछि आ ठण्ढीमे पुनः ओतहि चलि जाइत अछि ।

* - ठाढ़ भेल ई चिड़ै लाल रंगक सारस (क्रुञ्च या क्रौञ्च) जेकाँ लागैत अछि आ तेँ संस्कृतमे एकर एकटा नाम अरुण क्रुञ्च अछि । पानिमे हेलबा काल ई अनमन्न हंस सदृश लागैत अछि, हंसहि सनि एकर गर्दनि अंग्रेजीक S वर्ण जेकाँ देखाइ दैत अछि । एकर आबाज सेहो हंसहिसं मिलैत अछि । इएह कारणेँ राजहंस सेहो कहबैत अछि ।


* - किछु लोक अरुण क्रुञ्च नामक चिड़ै केर पर्यायी नाँओ राजहंस सेहो मानैत छथि तँऽ किछु लोक एकरा हंसावर कहि सम्बोधित करैत छथि ।

*- एहि चिड़ै केर लोलक भीतर एकटा छन्नी सनि संरचना (SIEVE LIKE STRUCTURE) होइत अछि जकर मदतिसँ कादो भरल पानिमेसँ सेहो अपन खएबा जोग बस्तुकेँ स्वच्छ स्वरुपमे प्राप्त कऽ लैत अछि आ बाँकी अनावश्यक पदार्थकेँ बाहरहि छोड़ि (छाड़ि) दैत अछि । एहि तरहेँ कहि सकैत छी जे प्राचीन शास्त्रसभमे वर्णित नीर - क्षीर विवेक (नीर = कादो वा निर्माल्ययुक्त पानि; क्षीर = पोषक तत्त्वसभ) केर गुण राजहंसमे पाओल जाइछ ।

किछु विशेष बात -
       
·         ई चिड़ै अपना दिशि (सम्पुर्ण मिथिलामे) नञि भेटैत अछि । तेँ एकर कोनहु आन मैथिली नाम नञि अछि । एहना स्थितिमे हम एहि ठाँ ओकर संस्कृतहि नामकेँ तत्सम स्वरूपमे मैथिली नामक रूपमे प्रयोग कयल अछि ।

·         मैथिली तँऽ मैथिली, संस्कृतहुमे राजहंस नाम केर सन्दर्भमे बहुत मत - मतान्तर अछि । परञ्च, संस्कृतक प्रशिद्ध ग्रण्थ अमरकोशमे देल गेल राजहंसक विवरण एहि चिड़ैसँ बेसी मेल खाइत अछि । संगहि आनहु बहुत रास गुण-धर्म केर मिलानक आधार पर आइ-काल्हि बेसीतर विद्वान एकरहि राजहंस मानैत छथि । अमरकोशक अनुसार राजहंसक विवरण निम्न प्रकारेँ अछि -

Ø  ……… राजहंसास्तु ते चक्षुचरणैर्लोहितैः सितः ……….।।

Ø  अर्थात्, राजहंस ओ थिक जे सित वर्ण (किछु धूसरि उज्जर; नञि कि स्वच्छ उज्जर) केर अछि आ जकर चक्षु (आँखि) ओ चरण (पएर) लोहित (लाल वा ललौन) वर्णक अछि ।

·         जाहि ठाम ई चिड़ै नञि पाओल जाइत अछि (मिथिलामे सेहो) ओहि ठामक सहित्यकारलोकनि आ लोकसभ राजहंस चिड़ै केर रूपमे अपना मन केर कल्पनाक अनुसार गढ़ि लैत छथि । अथवा, राजहंस शब्दक प्रयोग तँऽ करैत छथि पर राजहंसकेँ प्रत्यक्षतः चिन्हबाक झंझटिसँ दूरहि रहैत छथि ।

·          हिन्दीमे देल गेल एकटा आओर नाम अछि - हंसावर । ई नाम फादर कामिल बुल्के (अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश) द्वारा देल गेल छल । पर, हिन्दीअहुमे आब एहि शब्दक प्रयोग कम भऽ गेल आ एहि चिड़ै लेल राजहंस शब्दक प्रयोग होइत अछि ।

·         लॅमिङ्गो (राजहंस) केर विश्वमे कुल छओ (बेसीतर प्रणीशास्त्री द्वारा मान्य) जाति अछि-

Ø  GREATER FLAMINGO - Phoenicopterus roseus - बड़का राजहंस / गुलाबी राजहंस

Ø  LESSER FLAMINGO - Phoenicopterus minor - छोटका राजहंस

Ø  CHILEAN FLAMINGO - Phoenicopterus chilensis - चीलीक राजहंस

Ø  JAMES’ (or JAMES’S) FLAMINGO - Phoenicopterus jamesi - जेम्सक राजहंस

Ø  ANDEAN FLAMINGO - Phoenicopterus andinus - एण्डीज पहाड़क राजहंस

Ø  AMERICAN FLAMINGO - Phoenicopterus ruber - अमेरिकाक राजहंस

उपरोक्त जातिसभमेसँ (BIOLOGICAL SPECIES) पहिल दू गोट भारतमे भेटैत अछि । राजहंसक छओ जातिसभमेसँ पहिल केर संख्या विश्वभरिमे सभसँ बेसी अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍204म अंक (‍15 जून 2016) (वर्ष 9, मास 102, अंक ‍204) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




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