बनि जयतहुँ हम बच्चा (बाल गीत)
घण्टा – घण्टा बन्शी पाथितहुँ, रोहुक आश लगओने |
रोहु – बोआरि ने, पोठी दू टा, अबितहुँ हाथ डोलओने |
आइ अनायस, हमर मोनमे, सुन्नर सनि
एक इच्छा ।
ओ बीतल दिन
आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।
सरस
बसन्तक अबितहि भोरे,
बीछय जयतहुँ टिकुला ।
बिनु
मजड़ल, आमक झाँखुड़ तर, टाँगि
लगबितहुँ हिड़ला ।
दैत्यक
पहड़ा, जेठ - दुपहरिया, पर लोभेँ
बम्बईय्या ।
बौअइतहुँ गाछी - कलमेँ, पाबितहुँ मालदह - कलकतिया ।
पाकल पीयर - लाल बैड़ हम, जेबी भरि - भरि अनितहुँ ।
लिच्ची जामुन आओर जिलेबी, किछु खयतहुँ,
संग लबितहुँ ।
भूत - पड़ेतक डऽर तऽ, चलि जयतय
पड़ाय कलकत्ता ।
ओ बीतल दिन
आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।
साओन मास − पहिल वर्खा , बम्मासँ खसइत
झड़ - झड़ ।
जाय
नहयतहुँ, जेना पहाड़क, कल-कल सुन्नर निर्झर ।
सण्ठीकेँ धुधुआय बनबितहुँ,
सिगरेटक हम नाना ।
घूरमे
दऽ अधखिज्जू आलू ,
तकर बनबितहुँ साना ।
चोड़ा - नुका, निज माए -
बापसँ, जयतहुँ दौड़ल भोड़हा ।
कोमल - हरियर - कञ्च - बदाम, उखाड़ि बनबितहुँ ओड़हा ।
फलना
केँ रखबाड़ पकड़लक,
भेल गाम भरि
चर्चा ।
ओ बीतल दिन
आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।
दुर्गापूजा - छठि - दिवाली, पावनि
तीनि सहोदरि ।
मास दिवस इस्कूल दरस नञि, पावनि सम नञि दोसर ।
की भसान केर छल उमंग ! की सुन्नर हुक्का – लोली !
खेल
कबड्डी - किरकेट - गोली, खेली
नुक्का - चोरी ।
चौठ - चन्द्र, मिथिलाक विशेषीकृत पावनि अति अनुपम ।
भाँति - भाँति पकवान देखि, बढ़ि जाय हृदय स्पन्दन ।
घण्टा - घण्टा बन्शी पाथितहुँ, रोहुक
आश लगओने ।
रोहु - बोआरि ने, पोठी दू टा, अबितहुँ
हाथ डोलओने ।
बन्शी लऽ घुमितहुँ भरि दिन, पोखड़ि - डाबर ओ खत्ता ।
ओ बीतल दिन
आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।
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