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Saturday 15 October 2011

पद्य - ‍१४ - बनि जयतहुँ हम बच्चा

  बनि जयतहुँ हम बच्चा (बाल गीत)



घण्टा – घण्टा बन्शी  पाथितहुँ,  रोहुक  आश  लगओने

रोहु – बोआरि ने, पोठी  दू टा,  अबितहुँ  हाथ डोलओने



आइ अनायस,   हमर मोनमे,   सुन्नर सनि  एक इच्छा ।
ओ बीतल दिन आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।


सरस  बसन्तक  अबितहि  भोरे,  बीछय जयतहुँ  टिकुला ।
बिनु  मजड़ल, आमक झाँखुड़ तर,  टाँगि लगबितहुँ हिड़ला ।
दैत्यक  पहड़ा,  जेठ - दुपहरिया,   पर  लोभेँ  बम्बईय्या ।
बौअइतहुँ  गाछी - कलमेँ, पाबितहुँ  मालदह - कलकतिया ।
पाकल पीयर - लाल  बैड़ हम, जेबी भरि - भरि  अनितहुँ ।
लिच्ची जामुन आओर जिलेबी, किछु खयतहुँ, संग लबितहुँ ।

भूत - पड़ेतक डऽर तऽ, चलि  जयतय   पड़ाय  कलकत्ता ।
ओ बीतल दिन आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।


साओन मास − पहिल वर्खा , बम्मासँ खसइत झड़ - झड़ ।
जाय  नहयतहुँ,  जेना  पहाड़क, कल-कल  सुन्नर निर्झर ।
सण्ठीकेँ   धुधुआय   बनबितहुँ,   सिगरेटक  हम  नाना ।
घूरमे  दऽ  अधखिज्जू  आलू ,  तकर  बनबितहुँ  साना ।
चोड़ा - नुका,  निज माए - बापसँ,  जयतहुँ दौड़ल भोड़हा ।
कोमल - हरियर - कञ्च - बदाम, उखाड़ि बनबितहुँ ओड़हा ।

फलना  केँ  रखबाड़  पकड़लक,  भेल  गाम  भरि  चर्चा ।
ओ बीतल दिन आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।


दुर्गापूजा - छठि - दिवाली,   पावनि   तीनि   सहोदरि ।
मास दिवस इस्कूल दरस नञि,  पावनि सम नञि दोसर ।
की भसान केर  छल उमंग !  की सुन्नर हुक्का – लोली !
खेल  कबड्डी - किरकेट - गोली,  खेली  नुक्का - चोरी ।
चौठ - चन्द्र, मिथिलाक विशेषीकृत पावनि अति अनुपम ।
भाँति - भाँति पकवान देखि,  बढ़ि जाय  हृदय स्पन्दन ।
घण्टा - घण्टा बन्शी  पाथितहुँ,  रोहुक  आश  लगओने ।
रोहु - बोआरि ने, पोठी  दू टा,  अबितहुँ  हाथ डोलओने ।

बन्शी लऽ घुमितहुँ भरि दिन,  पोखड़ि - डाबर ओ खत्ता ।
ओ बीतल दिन आपिस चलि अबितय, बनि जयतहुँ हम बच्चा ।।


विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ४६, अंक ९२, ‍दिनांक - १५ अक्टूबर २०११ मे प्रकाशित ‍।


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