परिछनि गीत
(द्विरागमन / दुरागमन / गौना केर बादक परिछनि)
चलू – चलू सखी आजु
अयोध्या, परिछऽ रघुवर
श्रीराम केँ ।
नेने आयल छथि
संग मे बहुरिया,
जनकपुर केर चान
केँ ।।
गेल छलाह यज्ञक रक्षा लए,
मुनि कौशिक केर संग ।
जाय जनकपुर कयलन्हि ओहिठाँ,
शिवक धनुषकेँ भंग ।
जाय मिथिला नगरिया रखलन्हि ओ, मिथिलेशक मान – सम्मान केँ ।
चलू – चलू सखी आजु
अयोध्या, परिछऽ रघुवर
श्रीराम केँ ।।
कान दुहु कुण्डल लटकै छन्हि,
गला मे कञ्चन
हार ।
डाँढ़ शोभन्हि बिअहुतिया धोती,
माथ पर ललका पाग ।
सुन्नर हिनकर सुरतिया लगय छन्हि, आ मुँह पर मधुर मुस्कान गे ।
चलू – चलू सखी आजु
अयोध्या, परिछऽ रघुवर
श्रीराम केँ ।।
श्रीराम – सिया, भरत ओ माण्डवी,
लखनोर्मिल, शत्रुघ्न – श्रुतिकीर्त्ति
।
मोनहि मोन होइछ
हर्षित सभ,
देखि ई अनुपम
चारू जोड़ी ।
सुन्नर चारू ई जोड़िया लगैत’छि,
सखी जेना चकोर आ चान गे ।
चलू – चलू सखी आजु
अयोध्या, परिछऽ रघुवर
श्रीराम केँ ।।
कनक दीप ओ घी केर बाती,
कञ्चन थार सजल दुहु
हाथ ।
हर्षित मन परिछथि तीनू माता,
एकाएकी बारम्बार
।
देखि चारू बहुरिया, होइ छथि
हर्षित, सभ बासी अयोध्या धाम केर ।
चलू – चलू सखी आजु
अयोध्या, परिछऽ रघुवर
श्रीराम केँ ।।
उच्चारण संकेत :-
अंग्रेजी आदिक पोथी सभ मे “आन
भाषा – भाषी”क लेल वा “नवसिखिया” सभक लेल कोष्ठ मे “उच्चारण संकेत” (Pronunciations
/ Phœnetic symbols) देल रहैत छै । मैथिली मे
ई परिपाटी नहि, तथापि हमरा लगैत अछि जे देबाक चाही, तेँ एहि बेर सञो शुरू कए रहल
छी ।
मैथिली मे बहुधा “साहित्यिक
शब्द लेखन” ओ “शब्दोच्चारण”क बीच थोड़ेक अन्तर देखल जाइछ, जकरा “आन भाषा – भाषी मैथिली
शिक्षणार्थी” लोकनि वा “नवसिखिया” लोकनि ठीक सँ नञि बूझि पबैत छथि आ “हिन्दी
व्याकरण” केर आधार पर उच्चारण करैत छथि ।
बहुत बेर “मैथिल” लोकनि “सर्व – साधारण गप्प – शप” मे तँ सही उच्चारण करैत छथि परञ्च जञो “लिखित मैथिली” केँ पढ़ि कऽ उच्चारण करबाक हो तँ ओ “हिन्दी” व्याकरणक आधार पर उच्चारण करैत पाओल जाइत छथि ।
एहि सभ कारण सँ कए बेर लिखल
कविता वा गीत वा गजल सभक उच्चारण, लय, ताल, मात्रा आदि बदलि जाइत अछि । ओना तँ एहि
बदलाव सभ केँ रोकब पुर्णतः सम्भव नञि आ पाठक ओ गायक लोकनिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता
सेहो । पर कएक बेर ई बदलाव एहि स्वरूपक होइछ जे अभिप्रेत लय, ताल पुर्णतया बदलि
जाइत अछि । नचारी, डिस्को भऽ जाइत अछि आ सुगम संगीत पॉप या रैप ।
तेँ उपरोक्त कारण सभक
द्वारेँ, हम अप्पन रचना मे प्रयुक्त किछु शब्द सभक उच्चारण संकेत एहि बेर सँ देअब
शुरू कएल अछि ।
क्रम संख्या
|
लिखित शब्द
|
अभिप्रेत उच्चारण
|
१
|
परिछनि
|
परिछैन, परिछनि
|
२
|
लए
|
लए, लेऽ
|
३
|
कयलन्हि
|
कयलन्हि, केलन्हि,
केलैन्ह, केलैन
|
४
|
छलाह
|
छलाह, छला
|
५
|
मुनि
|
मुनि, मुइन
|
६
|
शोभन्हि
|
शोभन्हि, शोभैन्ह, शोभैन
|
७
|
बिअहुतिया
|
बिअहुतिया, बिहौतिया
|
८
|
परिछथि
|
परिछथि, परिछइथ, परिछैथ,
पइरछैथ, पैरछैथ
|
९
|
देखि
|
देखि, देइख
|
१०
|
केर
(सम्बन्ध कारक
विभक्ति)
|
केर (।।, एकमात्रक दू आखर/अक्षर),
के (ऽ, द्विमात्रिक एक आखर/अक्षर )
|
११
|
केँ
(कर्म ओ सम्प्रदान
कारक विभ॰)
|
केँ (ऽ, द्विमात्रिक),
के
(ऽ, द्विमात्रिक)
|
१२
|
के
(प्रश्नवाचक सर्वनाम
वा प्रश्नवाचक सार्वनामिक सम्बोधन)
|
के
(एक-, द्वि- या
त्रिमात्रिक)
|
१३
|
अछि
|
अछि, अइछ, ऐछ, अइ
|
१४
|
छन्हि
|
छन्हि, छैन्ह, छैन
|
१५
|
छथि
|
छथि, छैथ
|
डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”
“विदेह” पाक्षिक मैथिली
इ – पत्रिका, वर्ष –५, मास –५५, अंक –१०९ , ०१ जुलाई २०१२ मे “स्तम्भ ३॰२”
मे प्रकाशित ।
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