विरह गीत
किए भेलियै,
पिया ! अहाँ
एहेन कठोर ?
स्नेह सलिल केर बदला मे, देल किए नोर ??
आयब शिघ्रहि, पिया जाइत
कहलहुँ अहाँ ।
मुदा जानि ने, कतऽ जाय बैसलहुँ अहाँ ।
चान एकसरि
अछि बैसल
अहाँ बिनु चकोर ।
स्नेह सलिल केर बदला
मे, देल किए नोर ??
दिन बीतल अनेक,
मास बीतल कतेक ।
बीतल सरस बसन्त, आयल साओन
केर मेघ ।
मेघ रहितहुँ
ने पिया आइ
नचइछ मन मोर ।
स्नेह सलिल केर बदला
मे, देल किए नोर ??
किए अएलाह ने पिया, मोन
कङ्गना पुछय ।
बन्न पिञ्जरा सनि, जेना ई
अङ्गना लगय ।
भेल केहेन
ई राति जकर
अबइछ ने भोर ?
स्नेह सलिल केर बदला
मे, देल किए नोर ??
भेल आन्हर ई नैन, बाट अहँ
केर तकैत ।
उड़ि गेल मोर चैन, याद अहाँ केँ करैत ।
भेल पाथर
जेना, पिया !
बिहुँसय ने ठोर ।
स्नेह सलिल केर बदला
मे, देल किए नोर ??
की गेलियै बिसरि, अहाँ
कोहबर केर राति ।
की यादहु ने अबइछ, ओ पावनि
बरिसाति ।
कोना बनलहुँ
पिया अहाँ
एहेन निशोख ?
स्नेह सलिल केर बदला
मे, देल किए नोर ??
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष –५, मास –५३ , अंक –१०६, १५ मई २०१२ मे “स्तम्भ ३॰७” मे प्रकाशित ।
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