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Monday 18 July 2016

पद्य - ‍२०५ - नीर मएना या धार मएना (बाल कविता)

नीर मएना या धार मएना (बाल कविता)



मएनहि सनि, मएनहि छी बूझू,
पर तइयो किछु अन्तर छी ।
मएनाक  लोल छी पीयर रंगक,
संतोला - रंग  एक्कर छी ।।*

मएना भेटत  घऽर - आङ्गनमे,
ताहि ठाँ कम्महि भेटत ई ।
नदी - धार - नालाक   कातमे,
जंगल - झाड़क  बासी ई ।।*

बहैत पानि केर  कातक भिण्डा,
घास - फूससँ झाँपल छी ।
ताहि ठाँ बियरि बना कऽ रहइछ,
बियरहि एक्कर खोंता छी ।।*

ई मएना  रहइछ ने  गाछ पर,
जेना बगेरी, सुगबा सीकी ।
गाछ पर ओ  खोंता ने बनबैछ,
मुदा झुण्डकेँ बैसल देखी ।।*

भारतीय  उप - महाद्वीप  केर,
बस अगबहि छी थाती ई ।
विश्वमे  अन्तऽ   नञि  भेटैछ,
आसामसँ सिन्धक बासी ई ।।*



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - मएनहि सनि = साधारण मएना - जे कि घऽर-आङ्गनमे भेटैत अछि - तकरहि सनि मोटा-मोटी रूप । तथापि एकर रंगमे बहुत किछु विशिष्ट अन्तर थिक । संगहि, आन बहुत रास बातमे अन्तर थिक ।

* - ई मएना बेसीतर मीठ पानिक बहैत श्रोतक (RUNNING FRESH-WATER SYSTEMS) कातमे भेटैत अछि । ओना एकर प्राकृतिक आवास क्षेत्र कम भऽ जयबाक कारणेँ स्थिर पानिक श्रोत लग सेहो देखल जा सकैत अछि । तेँ एकर मैथिली, अंग्रेजी आ हिन्दीमे एकर ताहि तरहक नाम थिक ।

* - ई चिड़ै गाछ पर खोंता नञि लगबैत अछि आ बगेरी ओ सुगवा-सीकी नामक चिड़ै जेकाँ माटिक भीतर बियरि (बिल) (UNDERGROUND BURROW) बनाए रहैत अछि । नदी, धार, नहरि, पैघ नाला आदिक भीड़ (भिण्डा) पर जाहि ठाम मनुक्खक आबर-जात कम रहैछ आ जे घास-फूस झाड़ी आदिसँ झाँपल रहैछ ताहि ठामक नम-भूमिमे ई चिड़ै बियरि बनबैछ । इएह बियरि एकर खोंता थिक । कखनहु - कखनहु पुरना परित्यक्त ईनारक भीतमे सेहो बियरि बनाए खोंता बनबैत अछि । ई चिड़ै प्रायः छोट-छोट झुण्डमे रहैत अछि ।

* - ई मएना भारतीय उपमहाद्वीप (INDIAN SUBCONTINENT) केर मूल निवासी (NATIVE SPECIES) अछि । एतहु ओ मात्र किछु सीमित भू-भागहिमे भेटैत अछि । पच्छिममे रावी-सतलुज-सिन्धु केर मैदानी भागसँ लऽ कऽ पूबमे गंगा नदीक त्रिमुहानी या डेल्टा (DELTA) क्षेत्र धरि भेटैत अछि । दच्छिनमे उपरोक्त मैदानी भागक दछिनबरिया सीमा धरि आ उत्तरमे हिमालयक तराई क्षेत्र धरि भेटैत अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍205म अंक (‍01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक ‍205) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




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