“बाज” तँऽ अरबीसँ निकलल अछि ।
“बुलबुल” फारसीसँ छिटकल अछि ।*१
मैथिलीमे
होइतछि प्रयोग मुदा,
अर्थ मूलसँ
किछु बदलल अछि ।।*२
बुलबुल चिड़ै छी
गाबय बाली ।
प्रायः माथ पर नोकगर
कलगी ।
विविध आकार आ रंग-रूप
केर,
एसिया आओर अफ्रिका
निवासी ।।*३
भ्रमित लोक रातिचर बुझैत अछि ।
कहैछ जे रातिअहिमे गाबैत अछि ।
अनुवादक किछु चूकिक
कारण,
भ्रम ई सौंसे जग
पसरल अछि ।।*४
मैथिलीक
साहित्यक बुलबुल ।
छी यथार्थ कम, बेसी
हुलबुल ।
चीन्हथि लोक ने,
लीखथि तइयो,
राजहंस - हंसहि सनि हुलचुल ।।*५
ओना तँऽ बुलबुलहि लालबोङ्गी ।
पर से अगबहि आनक
देखसी ।
मैथिलीक
बुलबुलक अर्थ छी,
बुलबुल शेष, रहित लालबोङ्गी ।।*६
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - बुलबुल
शब्द मूलतः फारसी भाषाक (किछु विद्वान
लोकनिक अनुसार अरबी भाषाक) छी । आ ताहिसँ मैथिली सहित आन भाषासभमे आयातित भेल अछि
। तेँ मैथिलीमे विदेशज / विदेशी / बिदेसी श्रेणीक शब्द भेल ।
*२ - प्राणीशास्त्रमे पिक्नोनोटाइडी
कुल (Family - PYNONOTIDAE) केर अन्तर्गत आबएबला सभ चिड़ैकेँ अरबी-फारसीक “बुलबुल” शब्दक अन्तर्गत मानल गेल अछि । मैथिलीमे
बुलबुल शब्द जाहि चिड़ै समूहक लेल प्रयुक्त होइत अछि तकर क्षेत्र ओकर मूल भाषाक
क्षेत्रसँ कने कम भऽ गेल अछि । ओहिमेसँ लालबोङ्गी/ललबोङ्गी/ललबोंगी अलग छिटकि गेल अछि ।
*३ - बुलबुल एसिया आ
अफ्रिकाक मूल निवासी अछि आ ताहि ठामसँ लोक सभ द्वारा पिञ्जरामे पोसुआ बनाए आनहु
ठाम पहुँचाओल गेल अछि । विभिन्न प्रकारक बुलबुलक रंग-रूप ओ आकार-सुकारमे बहुत बेसी
वैविध्य अछि ।
*४ - अरबी-फारसीमे बुलबुल शब्दक अर्थ होइत अछि “रातिमे गाबयबाली चिड़ै” आ ताहिसँ ओकर भ्रामक अंग्रेजी अनुवाद कयल गेल −
नाइटिङ्गॅल (NIGHTINGALE) । मुदा, अंग्रेजीमे नाइटिङ्गॅल (NIGHTINGALE) एकटा दोसर गाबयबाली चिड़ै केर नाम थिक जकर जैववैज्ञानिक
नाँओ थिक ल्युस्सिनिया मेगारिंकॉस (Luscinia megarhynchos) । ई चिड़ै
मूलतः युरोप आ दच्छिन-पच्छिम एसियामे (भारत आ भारतक पड़ोसी देशसभमे नञि) पाओल जाइत
अछि आ शीतकालमे प्रवासी चिड़ै केर रूपमे अफ्रिका महादेश केर उतरबारी भागसभमे भेटैछ
। भारतीय उप-महाद्वीपमे असली नाइटिङ्गॅल केर अनुपस्थितिक कारण BULBUL = NIGHTINGALE चलैत रहल । परञ्च आब नञि; ब्रिटिश अंग्रेजीमे हमेशासँ बुलबुल
(BULBUL) आ नाइटिङ्गॅल (NIGHTINGALE) क्रमशः स्वतन्त्र चिड़ै-समूह ओ चिड़ै केर नाम थिक आ एखनहु अछि ।
एहि भ्रामक अनुवादसँ एकटा दोसर भ्रम
जन्म लेलक कि बुलबुल रातिमे गाबयबाली चिड़ै (NOCTURNAL SINGING BIRD) अछि । पर, सेहो यथार्थ नञि - बुलबुल गाबैत अवश्य अछि पर दिनचर चिड़ै (DIURNAL SINGING BIRD) अछि । हाँ, यूरोपक नाइटिङ्गॅल (NIGHTINGALE) अवश्य रातिअहिमे गाबैत अछि ।
एहिसँ, बुझना जाइछ जे प्राचीन समयमे
सम्भवतः अरबी-फारसीक “बुलबुल” शब्दक अन्तर्गत यूरोपक “नाइटिङ्गॅल” नामक चिड़ै सेहो अबैत होयत । एकर कारणहु अछि − पहिल तँऽ
अरबी-फारसी जाहि क्षेत्रक मूल भाषा थिक ताहि क्षेत्रमे “बुलबुल” ओ “नाइटिङ्गॅल” दुहु संगहि भेटैत अछि । दोसर बुलबुल कोनहु एकटा खास
चिड़ै केर बोध नञि कराए विभिन्न रंग-रूपबाला बहुत रास चिड़ै केर सामुहिक परिचायक
थिक । आ, तेसर अछि अरबी भाषामे बुलबुल शब्दक अर्थ ।
*५ - मैथिलीमे साहित्यमे बुलबुल शब्दक प्रयोग
हिन्दी-उर्दूक आधार पर गाबयबाली एकटा चिड़ै केर प्रतीकात्मक रूपमे भेल अछि ।
बुलबुल केर स्वरूप आजुक मैथिली साहित्यमे तहिना काल्पनिक अछि जेना कि राजहंस ओ
हंसक − बिना चिन्हनहि अपना मोन-मोताबिक काल्पनिक स्वरूप ।
*६ - लालबोङ्गी (ललबोंगी) केँ छाड़ि ओहि समूहक शेष
चिड़ैकेँ मैथिलीमे “बुलबुल” कहल जा सकैत अछि । अहाँ कहब से किएक ? −
तँऽ उत्तर अछि जे लालबोङ्गी तथाकथित चिड़ै केर बेसी सटीक तथा विशिष्ट पहिचान (SPECIFIC IDENTITY) बताबएबला नाम अछि जखनि कि बुलबुल एकटा समूहक नाम अछि जे कि
ओहि समूहक एकटा अस्पष्ट पहिचान (VAUGE
IDENTITY) बताबैत अछि । अस्पष्टक
ऊपर स्पष्टक चयन होयबाक चाही । संगहि, जँ मैथिलीमे कोनहु विशिष्ट वर्गीकरण अछि तँऽ
ओकरा स्थान भेटबाक चाही − नञि कि आन भाषामे कयल गेल वर्गीकरणकेँ (भाषायी वर्गीकरण
आ प्राणीशास्त्रीय वर्गीकरण दुहु पृथक विषय थिक) । बाँकी भाषाशास्त्री लोकनिक
इच्छा । ओना, लालबोङ्गी (ललबोंगी)
प्रणीशास्त्रक अनुसारेँ बुलबुल परिवार (Family - PYCNONOTIDAE) केर सदस्य तँऽ अछिअहि (अछिए) ।
किछु
विशेष -
मिथिलाक एहेन जन-सामान्य जे
बुलबुल पकड़ि कऽ बेचबाक कारोबारसँ जुड़ल नञि छथि/छलाह/छलीह आ संगहि आन हिन्दी, उर्दू वा अंग्रेजी भाषाक साहित्यक सम्पर्कमे नञि आयल
छथि/छलाह/छलीह (बेसीतर
आब जिबैत नञि छथि) तनिकर
·
अनुसारेँ बुलबुल बहुत-किछु लालबोङ्गी चिड़ै सनि होइत अछि मुदा
ओकर पेटक नीचाँमे लाल रंग नञि रहैत अछि
·
ठण्ढीक समयमे बुलबुल बेसी देखाइत छल आ ताहि समय मे कएक - प्रकारक बुलबुल
देखाइत छल - उजरा कनपट्टीबला, कारी मूरीबला, पीयर लोलबला आदि ।
ओ लोकनि बुलबुलक
जाहि प्रकारकेँ “बुलबुल” ” कहैत छलाह/छलीह, ताहिमेसँ किछु निम्न प्रकारेँ भऽ सकैत अछि -
·
पहिल जकरा आइ-काल्हि “हिमालयक बुलबुल / उजरा गाल वा कनपट्टीबला बुलबुल (HIMALAYAN BULBUL / WHITE CHEEKED BULBUL)” कहल जाइत अछि । एकरहि जैववैज्ञानिक नाँओ
Pycnonotus leucogenys अछि । हिन्दीमे तकरा “कांगड़ा बुलबुल” नाम देल गेल । परञ्च एहेन भयंकर - भयंकर
नामसँ डेरएबाक काज नञि − मिथिलाक बुलबुलमेसँ
एक थिक ।
·
दोसर जकरा आइ-काल्हि “ कारी बुलबुल / हिमालयक कारिया बुलबुल / एसियाक करिया बुलबुल (BLACK BULBUL / HIMALAYAN BLACK BULBUL / ASIAN BLACK BULBUL)” कहल जाइत अछि तकर एक गोट प्रजाति जकर
जैववैज्ञानिक नाँओ Hypsipetes leucocephalus psaroides अछि ।
भलहि ई बुलबुलसभ आइ मिथिलामे (खास
कऽ भारतक मिथिलामे) कम देखल जाइत हो वा मिथिलाक मात्र उतरबारी भागमे देखल जाइत हो
पर उपरोक्त वक्तव्यसभसँ ध्वनित होइत अछि जे मिथिलामे पहिने एकर क्षेत्र ओ संख्या
बेसी व्यापक रहल होयत जे पछिला डेढ़ शताब्दीमे (विशेषतः पछिला 50-70 वर्षमे) एहि क्षेत्रमे भेल वन-विनाश, पर्यावरणीय असंतुलन ओ
शीतकालीन औसत तापमानमे भेल वृद्धिक कारण सङ्कुचित भेल अछि ।
RED VENTED BULBUL आ RED WHISKERED BULBUL मिथिलामे लालबोङ्गी/ललबोङ्गी/ललबोंगी कहबैत अछि जकरा मैथिलीमे स्वतन्त्र रूपेण क्रमशः लाल
गाल/कनपट्टीबला लालबोङ्गी तथा कारी मूरी/माथबला लालबोङ्गी कहि सकैत छी । जहिना “कौआ” आ “कारकौआ” एकरंगाह रहितहुँ आ एक्कहि कुल (कौआ कुल = Family CORVIDAE) केर सदस्य रहितहुँ मैथिली भाषामे
अलग-अलग अर्थ रखैत अछि तहिना बुलबुल आ लालबोङ्गी सेहो ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 205म अंक (01 जुलाई 2016) (वर्ष 9, मास 103, अंक 205) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।