लोक कहैतछि, छी ब्राह्मण
अहाँ, तेँ लीखि सकलहुँ मैथिली ।
जएह बजैत छी, सएह लीखैत
छी, तेँ लीखैत छी मैथिली ।।
सुनू यौ बाबू, ब्राह्मण भेने,
लीखि ने सकितहुँ
मैथिली ।
संस्कृत पढ़ितहुँ, हिन्दी
छँटितहुँ, कोना कऽ लीखितहुँ मैथिली ।।
घऽर अहाँ केर दरिभंगा
अछि, तेँ लीखैत छी
मैथिली ।
दरिभंगा रहितहुँ
छी प्रवासी, बूझए ने जाहि ठाँ
मैथिली ।।
माए - बाप घुमितहि
रहलाह, भारत सरकारक
नौकरी ।
बदली भऽ जाहि ठाँ रहलाह, पर बजलन्हि घरमे मैथिली ।।
पटनासँ मैट्रिक कएलहुँ, लड़ि - झगड़ि कऽ लेलहुँ मैथिली ।
नओमामे नहिञे भेंटल, दसमामे पढ़लहुँ
मैथिली ।।
दसमोमे ईस्कूल प्रशासन, कहलक राख
ने मैथिली ।
रखबेँ तँऽ
नञि केओ पढ़एतौ,
अपने पढ़िहें मैथिली ।।
माए मैथिलीक
इच्छा, हमसभ राखल तइयो मैथिली ।
माए मैथिली बनि अध्यापिका,* शिक्षा देलन्हि
मैथिली ।।
अहाँ कहब - दरभंगिया बाभन, शुद्ध लीखी
तेँ मैथिली ।
हम जनैत छी, जेँ पढ़लहुँ, तेँ लीखि पाबैत छी मैथिली ।।
लीखबामे मिथिलाभाषा आ लीखलकेँ पढ़बामे ।
ओहने हमरो लेल कठिन छल, डेग
पहिल चलबामे ।।
मैथिली जे हम बजैत रही आ
छल साहित्यक अलगे ।
पढ़ल - गुनल - लीखब सीखल, की होयत रहि दरिभंगे ।।
मोनमे ई भ्रम् जुनि राखू, ई कपटी सभक प्रपञ्च ।
अपन माएसँ दूर करक छी, दुष्टक ई षडयण्त्र ।।
जोधा - अकबर केर पुत्र सलीमक, कथा सकल छी बूझले ।
डाहेँ सलीमकेँ हफीम खोआए, कएलक की रूकैया बूझले ।।
जे ब्राह्मण दरिभंगे रहि कऽ, पढ़ल ने कहियो मैथिली ।
लीखि ने सकत, बाँचत की लीखल, सीखू बौआ मैथिली ।।
जाति धर्म ओ डेग - डेग पर, जे किछु अलग लगैए ।
से बूझू, ओहि ठामक बोलीक, मधुर सुगन्धि आनैए ।।
जहिना हिन्दी अछि एक्के, पर सभ-ठाँ भिन्न लगैए ।
बंगाली - बिहारी - मराठी - दिल्ली अलग बजैए ।।
तहिना मैथिली अछि एक्के, बेतियासँ लऽ कऽ बनैली ।
एक्के तिरहुत, तीरभुक्ति, मिथिला, विदेह आ बज्जी ।।
नञि अनुचित जँ केओ व्यक्ति, भाषा दू-चारि जनैए ।
पर अनुचित ओ मैथिल जे, मैथिलीसँ मूँह फेरैए ।।
दोसरोक माए अपनहि छी माए, यौ हमहूँ सएह
बूझै छी ।
पर अनुचित निज माएक बलि दऽ, अनका जँ जुड़बै छी ।।
हम नञि छी भगवान - भगवती, सांसारिक छी प्राणी ।
मैथिली हम्मर माएक भाषा, बस एतबहि - टा जानी ।।
विश्वक सभ भाषा प्रिय हमरा, पर निज भाषा नेह ।
एकर अहित जे केओ करैछ, तकरासँ हमरा द्वेष ।।
* हमर विद्यालयमे २ सत्रमे (शिफ्टमे) पढ़ौनी छल । हम जाहि
सेक्शनमे रही से प्रातः कालीन सत्रमे छल । ओहि विद्यालयमे मैट्रिकमे मैथिलीक लेल
कोनहु शिक्षक/शिक्षिका नियुक्त नञि छलाह/छलीह । भरि नओमा संघर्ष कएलहुँ पर मैथिली
नञि राखए देल गेल । दसमामे अएलाक बाद किछु सूत्रसभसँ पता चलल जे ओही विद्यालयमे
अपरान्हकालीन सत्रमे +2 मे मैथिलीक पढ़ौनी लेल एक गोट शिक्षिका नियुक्त छथि, पर ओ
भारतीय प्रशासनिक सेवाक परीक्षाक तैय्यारी लेल छुट्टी पर छथि । बहुत प्रयत्न कएलाक
बाद हुनिकासँ भेंट भऽ सकल । ई भेंट आशातीत नञि अपितु आशासँ बेसी नीक रहल । मैथिलीक
पढ़ौनी हेतु हुनक पुर्ण सहयोग भेटल, तत्कालीन विद्यालय प्रशासनक विरुद्ध जा ओ
सहयोग कएलन्हि । ओहि सालक विभिन्न सेक्शनक आठ गोट विद्यार्थी (हमरा सहित) मैथिली
रखलहुँ । हुनिक नाँव छलन्हि श्रीमति उषा ठाकुर
(चौधरी) । बादमे ज्ञात भेल जे ओ भारतीय प्रशासनिक सेवामे चयनित भेलीह ।
बहुत बादमे ईहो पता चलल जे हुनिक सासुर “दुलारपुर” (हमरहि पञ्चायत)
छलन्हि । पुनः भेंट करबाक इच्छा छल पर दुर्भाग्यवश से पूरा नञि भऽ सकल । हालहि मे
जानकारी भेंटल जे कैन्सरक कारण अल्प वयसहिमे हुनिक देहावसान भऽ गेलन्हि । हुनिका
सादर नमण । मैथिलीक सम्बन्धमे सम्पुर्ण विद्यालय यथाशक्ति असयोग कएलक । मात्र दू
गोटे सहयोग कएलन्हि जनिक नाँव लेब उचित - पहिल श्रीमति
गौरी गुप्ताजी (अर्थशास्त्रक शिक्षिका, स्वयं बाङ्ग्लाभाषी रहथि) आ दोसर श्रीमति वीणापानि “सुधांशु”जी (दसमाक अन्तिम
किछु महिनाक समयमे हमर विद्यालयक प्रधानाध्यापिका) । हमर एहि विद्यालयक नाँव छल “शहीद देवीपद चौधरी
स्मारक ईण्टर स्तरीय विद्यालय, अदालतगञ्ज, पटना” अथवा “मिलर हाई स्कूल, पटना” ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट
पत्रिका “विदेह” केर 190म अंक (15 नवम्बर 2015) (वर्ष 8, मास 95, अंक 190) मे प्रकाशित ।