ईद छै कि होली छै (बाल कविता)
ईद   छै   कि   होली  
छै ।
दुर्गा − छठि − दिवाली  छै ।
हमरा लए हर दिन सुन्नर, कारण इस्कूलमे छुट्टी छै ।।
कक्कर पाबनि, के मनबै छै ।
कहाँ बात से  एतेक
फुरै छै ।
हमसभ खुश छी इएह सोचि कऽ, आबै बला छुट्टी छै ।।
ककर जन्म आ कक्कर बरषी ।
सभटा   सरकारक  मनमर्जी ।
हम बच्चासब इएह सोचै छी, एक दिन फेरो छुट्टी छै ।।
रौद छै कड़गर, लूऽऽ चलै छै ।
बर्खा - बुन्नी, 
शीतलहरी छै ।
एतेक प्रखर हो हर मौसिम जे, होअए घोषणा - छुट्टी छै ।। 
30 JULY 2015 कऽ प्रकाशनार्थ “मिथिला दर्शन” केर सम्पादकीय
कार्यालयकेँ प्रेषित । 
तत्पश्चात,
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 216म अंक (15  दिसम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 108, अंक 216) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
 


 
 
No comments:
Post a Comment