हमहूँ पढ़बै मैथिली (बाल कविता)
हे ऐ बहिनजी, यौ
मास्टरजी,
हमहूँ पढ़बै मैथिली ।
हिन्दी, ईंग्लिश,
जर्मन सीखबै,
पर ने बिसरबै मैथिली ।।
मैथिली बाजथि दादा - दादी,
नाना - नानी मैथिली ।
बाहर जा कऽ माम
बिसरलाह,
मामी बिसरलीह
मैथिली ।।
कक्का - काकी जखन
बजै छथि,
हिन्दी फेंटल मैथिली ।
बौआ - बुच्चीक
मोन होइछ पर,
सीखितहुँ हमहूँ
मैथिली ।।
तेँ टीचरजी
हमरा पढ़बू,
हम्मर भाषा मैथिली ।
आनो भाषा
नीक लगए, पर
मीठगर छी बड़
मैथिली ।।
गणित - ज्ञान -
विज्ञानक भाषा,
जखनहि होयत मैथिली ।
बुझबामे भाङ्गठ नञि होयत,
अप्पन भाषा
मैथिली ।।
30 JULY 2015 कऽ प्रकाशनार्थ “मिथिला दर्शन” केर सम्पादकीय
कार्यालयकेँ प्रेषित ।
तत्पश्चात,
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 216म अंक (15 दिसम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 108, अंक 216) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
No comments:
Post a Comment