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मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday, 1 August 2015

पद्य - ‍१‍१५ - हमहूँ पढ़बै मैथिली (बाल कविता)

हमहूँ पढ़बै मैथिली (बाल कविता)




हे ऐ बहिनजी, यौ मास्टरजी,
हमहूँ      पढ़बै     मैथिली ।
हिन्दी, ईंग्लिश, जर्मन सीखबै,
पर  ने  बिसरबै  मैथिली ।।

मैथिली बाजथि  दादा - दादी,
नाना - नानी      मैथिली ।
बाहर जा कऽ माम बिसरलाह,
मामी बिसरलीह मैथिली ।।

कक्का - काकी जखन बजै छथि,
हिन्दी   फेंटल   मैथिली ।
बौआ - बुच्चीक मोन होइछ पर,
सीखितहुँ हमहूँ मैथिली ।।

तेँ  टीचरजी   हमरा   पढ़बू,
हम्मर    भाषा    मैथिली ।
आनो  भाषा  नीक लगए, पर
मीठगर छी बड़ मैथिली ।।

गणित - ज्ञान - विज्ञानक भाषा,
जखनहि होयत मैथिली
बुझबामे  भाङ्गठ  नञि  होयत,
अप्पन भाषा मैथिली ।।



30 JULY 2015 कऽ प्रकाशनार्थ मिथिला दर्शन केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।

तत्पश्चात,

मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍216म अंक (‍15  दिसम्बर 2016) (वर्ष 9, मास 108, अंक ‍216) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।

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