रामराज्य मिथिलामे (कविता)
चुनाओ छियै
मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।
रामराज्य
मिथिलामे, बाँचल किछु मुद्दे नञि ।।
दिल्लीक चर्चा छै,
चर्चा गुजरात केर ।
एम॰पी॰ केर
चर्चा छै,
चर्चा महाराष्ट्र केर ।
छपलै मेनिफेस्टो,
एतुक्का चुनाओ लेल
।
एत्तहिं केर
बात छाड़ि,
सभहक विचार भेल ।
भोंट जकर माँगै
छै, तक्कर किछु चर्चे नञि ।
चुनाओ छियै
मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।
फलनाक मेट्रो आ
चिलनाक आई॰ टी॰ ।
हम जन-साधारण, ओ
बुल्लेट भी॰ आई॰ पी॰ ।
शिक्षण आ
जीविका लए,
भटकि रहल छी
सगरो ।
मिथिलेमे भेटए से,
मतलब कहाँ ककरो
।
देशक विकाश पैघ,
मिथिलाक हिस्से नञि ।
चुनाओ छियै
मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।
लोकसभा की छै,
आ
की छै विधानसभा ।
कक्कर की अर्थ,
आ
कक्कर की हो
मुद्दा ।
मुद्दा बहरुआ किछु,
सभकेँ छै हाँकि
रहल ।
एहि ठामक
मुद्दासभ,
धूरा छै फाँकि रहल ।
मैथिल छथि कूदि
रहल, मैथिल केर मुद्दे नञि ।
चुनाओ छियै
मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।
हमरा की लेब देब,
की छै गुजरातमे ।
गोआ, बंगालमे,
आ
केरल महाराष्ट्रमे ।
पूछै छी हम
किएक,
पिछड़ल विकाशमे ।
करबै की मिथिला
आ
मैथिलीक उसासमे ?
डिजिटल की
बुझबै, मोबाइलक नेटवर्के नञि ।
चुनाओ छियै
मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।
30 JULY 2015
कऽ “समय साल” आ तत्पश्चात् (समय साल पत्रिकाक प्रकाशन बन्न होयबाक
कारण) 07 AUG. 2015 कऽ प्रकाशनार्थ “मिथिला दर्पण” केर सम्पादकीय
कार्यालयकेँ प्रेषित ।
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