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Thursday, 30 July 2015

पद्य - ‍१‍१‍१ - रामराज्य मिथिलामे (कविता)


रामराज्य मिथिलामे (कविता)


चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि



चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।
रामराज्य मिथिलामे,  बाँचल किछु मुद्दे नञि ।।

दिल्लीक  चर्चा   छै,
चर्चा  गुजरात  केर ।
एम॰पी॰ केर चर्चा  छै,
चर्चा  महाराष्ट्र केर ।
छपलै     मेनिफेस्टो,
एतुक्का चुनाओ लेल ।
एत्तहिं केर बात  छाड़ि,
सभहक विचार  भेल ।
भोंट जकर माँगै छै,  तक्कर  किछु चर्चे नञि ।
चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।

फलनाक  मेट्रो    आ
चिलनाक   आई॰ टी॰ ।
हम  जन-साधारण, ओ
बुल्लेट  भी॰ आई॰ पी॰ ।
शिक्षण आ जीविका लए,
भटकि रहल छी सगरो ।
मिथिलेमे   भेटए   से,
मतलब  कहाँ  ककरो ।
देशक  विकाश  पैघ,  मिथिलाक  हिस्से नञि ।
चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।

लोकसभा की छै, आ
की  छै विधानसभा ।
कक्कर की अर्थ, आ
कक्कर की हो मुद्दा ।
मुद्दा बहरुआ  किछु,
सभकेँ छै हाँकि रहल ।
एहि ठामक मुद्दासभ,
धूरा छै  फाँकि रहल ।
मैथिल छथि कूदि रहल, मैथिल केर मुद्दे नञि ।
चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।

हमरा की  लेब देब,
की छै  गुजरातमे ।
गोआ, बंगालमे, आ
केरल  महाराष्ट्रमे ।
पूछै छी हम किएक,
पिछड़ल  विकाशमे ।
करबै की मिथिला आ
मैथिलीक  उसासमे ?
डिजिटल की बुझबै,  मोबाइलक  नेटवर्के नञि ।
चुनाओ छियै मिथिलामे, मिथिलाक मुद्दे नञि ।।





30 JULY 2015 कऽ समय साल आ तत्पश्चात् (समय साल पत्रिकाक प्रकाशन बन्न होयबाक कारण)  07 AUG. 2015 कऽ प्रकाशनार्थ मिथिला दर्पण केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।


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